मशरूम की खेती में पराली इस्तेमाल कर रहा है सुखदेव
गांव मीरांपुर का किसान सुखदेव सिंह जहां पिछले करीब 8 सालों से पराली नहीं जला रहा ।
जेएनएन, डकाला (पटियाला) : गांव मीरांपुर का किसान सुखदेव सिंह जहां पिछले करीब 8 सालों से पराली नहीं जला रहा वहीं वह इस पराली का प्रयोग मशरूम की काश्त करते हुए दूसरे किसानों को भी रास्ता दिखा रहा है।
पंजाब सरकार के खेती विभिन्नता प्रोग्राम के तहत कृषि विज्ञान केंद्र रौणी, पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना और डायरेक्टोरेट ऑफ मशरूम रिसर्च सोलन से मशरूम उगाने का प्रशिक्षण हासिल करके मशरूम की सीजनल खेती करके लाभ लेने वाले इस प्रगतिशील किसान ने अब मशरूम का काम सारा साल एयर कंडीशनर शेड डालने जा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने 21 लाख रुपये का कर्ज लेने के लिए बागबानी विभाग मे आवेदन किया है जिस पर उसे 8 लाख रुपए की सब्सिडी भी मिलेगी।
8 साल पहले सुखदेव सिंह ने 2 शैड से अपना काम शुरू किया था और अब 2 एकड़ जमीन में 22 शेड डाल कर पैदा की मशरूम को लुधियाना और जालंधर मंडी में बेचकर अच्छा लाभ कमा रहा है। उसने बताया कि वह अपनी 9 एकड़ जमीन की पराली तो मशरूम फार्म के लिए इस्तेमाल कर ही रहा है बल्कि के आसपास के किसानों के खेतों की पराली भी ले रहा है। क्योंकि 1 शेड में 60 क्विटल कंपोस्ट लग जाती है और इस से करीब 30 क्विटल औसत मशरूम पैदा होती है।