यहां के Street dogs विदेशों में रह रहे ठाठ-बाठ से, अब तक 89 कुत्तों को मिल चुका आशियाना
यहां गलियों में घूमने वाले कुत्ते(Street dogs) विदेशों में ठाठ-बाठ से रह रहे हैं। गार्जियंस ऑफ वायसलेस संस्था की मदद से अब तक 89 बेसहारा कुत्तों को विदेशों में आशियाना मिल चुका है।
पटियाला [संजय वर्मा]। वाहनों की तेज रफ्तार मानवीय जिंदगी के लिए तो घातक है ही। साथ ही सड़कों पर दौड़ते बेसहारा पशुओं विशेषकर कुत्तों के लिए खतरनाक होती है। वाहन चालक सड़क पर दौड़ते कुत्तों (Street dogs) को बड़ी बेरहमी से टक्कर मारकर चले जाते हैं। इससे कई कुत्तों की मौत हो जाती है और कई ताउम्र के लिए अपंग हो जाते हैं। ऐसे हादसों में जख्ती होने वाले कुत्तों को नई जिंदगी दे रही है गार्जियंस ऑफ वायसलेस संस्था।
इस संस्था के स्वयंसेवी कार्यकर्ता पटियाला की सड़कों पर भटकने वाले जख्मी कुत्तों को पहले संस्था के कार्यालय ले जाते हैं। इसके बाद इन कुत्तों को नहलाने और उपचार करने के बाद विदेश में बैठे लोगों को गोद दे देते हैं। संस्था इसके लिए कोई शुल्क नहीं लेती, बल्कि कुत्ते को गोद लेने वाले को उसके विदेश भेजने के लिए खर्च दिया जाता है। संस्था की इस कवायद से पटियाला के लगभग 89 बेसहारा कुत्तों को अलग-अलग देशों में आशियाना मिल चुका है। इनमें यूके, कनाडा और जर्मन जैसे देशों में भारतीय देसी कुत्ते भेजे गए हैं।
छोटू और हनु को मिली नई जिंदगी
बात जनवरी 2018 की है। संस्था के सदस्यों को ठंड में ठिठुरता हुआ एक बुरी तरह जख्मी पिल्ला (कुत्ते का बच्चा) मिला। सदस्यों ने इसका उपचार किया। उसकी हालत में कुछ सुधार हुआ, तो संस्था के सदस्यों ने उसे पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका के वर्जीनिया प्रांत की शेलिया ग्लास को गोद दे दिया। शेलिया ने अच्छी तरह देखरेख की। अब छोटू दो साल का हो गया है। शेलिया ग्लास अपने फेसबुक अकाउंट पर छोटू की फोटो शेयर करती हैं।
शेलिया ने आठ दिसंबर को छोटू की फोटो शेयर कर उसको जन्मदिन की बधाई भी दी थी। ऐसी ही कहानी हनु की भी है। दो साल पहले वह जून 2017 में कार की चपेट में आकर बुरी तरह घायल हो गया था। संस्था के सदस्यों ने उसका उपचार किया। इसके बाद अपने फेसबुक अकाउंट पर हनु की फोटो शेयर की। वर्जीनिया की ओलीविया ने उसे गोद लिया। अब हनु की जिंदगी आरामदायक हो गई है। ओलिविया ने 16 जून 2018 को अपने फेसबुक अकाउंट पर हनु की फोटो शेयर की और लिखा कि हनु को गोद लिए एक साल हो गए हैं। मैं कितनी भाग्यशाली हूं कि उसे गोद लिया। इसी प्रकार मौली, लाडू और निक्कू को भी विदेश में आशियाना मिल चुका है।
संस्था अच्छा काम कर रही : सिंगला
मॉडल टाउन के पुरुषोत्तम सिंगला बताते हैं कि पॉश एरिया होने के बाद भी यहां सड़कों पर कुत्तों की भरमार थी। इस संस्था को एक जख्मी कुत्ते की सूचना दी गई, वालंटियर मौके पर पहुंचे। उन्होंने कुत्ते का उपचार किया और उसे डॉग लवर को अडाप्ट करवाया। संस्था अच्छा काम कर रही।
बेसहारा पशुओं को खौफ कम करना है काम
पटियाला के साथ ही ऋषिकेश में प्रोजेक्ट चला रही संस्था के पंजाब प्रोजेक्ट हेड पंकज अरोड़ा बताते हैं कि संस्था घायल पशुओं और पक्षियों का इलाज करती है। संस्था लोगों में बेसहारा पशुओं का बढ़ता खौफ दूर करने का काम कर रही है। बेसहारा पशुओं की संख्या कम करने के लिए इलाज के साथ इनकी नसबंदी भी की जाती है। पांच साल पहले शुरू हुई इस संस्था में तीन सदस्य थे, अब छात्र भी जुड़ चुके हैं। स्कॉटलैंड की अमांडा लेसिक कहता हैं कि देखरेख करने से भारतीय कुत्ते खूबसूरत और सेहतमंद रहते हैं। अच्छी परवरिश से वे परिवार का हिस्सा बन जाते हैं।
अमेरिका में की गार्जियंस ऑफ वायसलेस की स्थापना
गार्जियंस ऑफ वायसलेस संस्था की स्थापना यूएसए में संस्था की अध्यक्ष लुज्मा गोम्स ने की है। पटियाला की सड़कों पर घूम रहे लावारिस कुत्तों को लुज्मा गोम्स के सहयोग से विदेशियों ने अडाप्ट किया है। संस्था लावारिस कुत्तों की समस्या से निजात दिलाने के लक्ष्य से पटियाला के अलावा पंजाब के दूसरे शहरों में भी प्रोजेक्ट शुरू कर रही है। भारत में इसका संचालन दिल्ली, ऋषिकेश और पटियाला में हो रहा है।
पटियाला, दिल्ली और ऋषिकेश को इसलिए चुना संस्था ने
संस्था के पंजाब प्रोजेक्ट हेड पंकज अरोड़ा बताते हैं कि वह पटियाला के ही रहने वाले हैं, इसलिए संस्था सबसे ज्यादा काम पटियाला में ही करती है। दिल्ली में संस्था का हेड ऑफिस है। संस्था की अध्यक्ष लुज्मा गोम्स भारत घूमने आती हैं। उनको ऋषिकेश पसंद है। वहां सड़कों पर लावारिस पशुओं को दयनीय हालत में देखकर उन्होंने अपनी मुहिम चलाने का फैसला लिया।
बकौल पंकज, लुज्मा गोम्स कहती हैं कि ऋषिकेश जैसे पर्यटक स्थल पर सड़कें भी अच्छी होनी चाहिए। उस पर लावारिस पशुओं की भरमार नहीं होनी चाहिए। संस्था ने तीनों शहरों में पंकज अरोड़ा का मोबाइल नंबर 98721-99856 जारी किया हुआ है। किसी को भी कहीं जख्मी जानवर विशेषकर कुत्ता या बिल्ली दिख जाते हैं, तो उसकी सूचना पंकज के नंबर पर दे देता है। इसके बाद पंकज संस्था के वालंटियर्स को वहां भेज देते हैं। वालंटियर पशु का इलाज करते हैं। इसके बाद कुत्ते को गोद लेने के इच्छुक लोगों की तलाश करती है। इसके बाद इनको गोद दे दिया जाता है।
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