जल संरक्षण की मिसाल बना राजपुरा का गांव उगाणी

हलका राजपुरा के गांव उगाणी के तालाब को नया रूप मिलने से गांववासी काफी खुश हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Feb 2021 05:41 AM (IST) Updated:Fri, 05 Feb 2021 05:41 AM (IST)
जल संरक्षण की मिसाल बना राजपुरा का गांव उगाणी
जल संरक्षण की मिसाल बना राजपुरा का गांव उगाणी

जागरण संवाददाता, पटियाला : हलका राजपुरा के गांव उगाणी के तालाब को नया रूप मिलने से गांववासी काफी खुश हैं। गांववासियों का कहना है कि उनके गांव का दूषित पानी पहले फसलों को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ, मछलियों को मारने और गांव में बीमारियां फैलाने का कारण बनता था। अब गांव के तालाब का सीचेवाल माडल के तहत नीवीनीकरण होने के बाद उसकी काया ही बदल गई है।

कबीर सवा सौ घरों वाले गांव उगाणी के 70 से अधिक घर इस तालाब के साथ सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। तालाब के नवीनीकरण से पहले पानी का टीडीएस 868 था और अब टीडीएस का स्तर 396 तक रह गया है। तालाब में प्रतिदिन 162 क्यूबिक मीटर पानी साफ किया जाता है और इसकी क्षमता 1900 क्यूबिक मीटर है। 20 सितंबर 2020 को नाभा पावर लिमिटेड द्वारा जल सप्लाई तथा सीवरेज बोर्ड विभाग की मदद से 20 लाख रुपये की लागत से अस्तित्व में आए इस तालाब के नए रूप के साथ अब फसलों को सिचाई के लिए पानी तथा नजदीकी मछली पालन पौंड को भी साफ पानी मिल रहा है। गांववासी अमृतपाल सिंह ने कहा कि तालाब की दशा सुधरने से गांव को काफी लाभ हो रहा है। गांव का गिरते भूजल स्तर में भी गिरावट आई है। साथ ही गांव का पीने योग्य पानी भी साफ हो गया। इसके अलावा अब बरसात का पानी भी संभाला जाने लगा है। वहीं, जीत सिंह ने कहा कि तालाब के नवीनीकरण के बाद अब गांव में मक्खी मच्छरों की संख्या भी काफी कम हो गई है। अब उन्हें पहले की तरह बीमारियां फैलने का खतरा नहीं है। इस तरह होता है पानी साफ

गांव की सरपंच गुरप्रीत कौर ने बताया कि गांव के घरों से निकलने वाले पानी को तालाब में फेंकने से पहले स्क्रीनिग चैंबर में से निकाला जाता है ताकि इसमें से मोटी-मोटी गंदगी साफ हो सके। इसके बाद यह पानी तीन गहरी खुहियों में से गोल-गोल तरीके से घुमाकर निकाला जाता है ताकि गंदगी के छोटे कणों को साफ किया जा सके। इसके बाद पानी तालाब में चला जाता है। यह पानी पशुओं के पीने व पशुओं के नहाने सहित सिचाई के लिए प्रयोग करने योग्य हो जाता है। सरपंच ने बताया कि अब तालाब के आस-पास वृक्ष लगाकर वातावरण को साफ-सुथरा रखने के लिए एक सैरगाह के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

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