ऑनलाइन लघुकथा संगोष्ठी का आयोजन

पूर्वोत्तर हिदी अकादमी शिलांग (मेघालय) के तत्वावधान में डॉ. अकेला भाई द्वारा ऑनलाइन हिदी लघुकथा संगोष्ठी का आयोजन करवाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 11:51 PM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 11:51 PM (IST)
ऑनलाइन लघुकथा संगोष्ठी का आयोजन
ऑनलाइन लघुकथा संगोष्ठी का आयोजन

जेएनएन, पटियाला : पूर्वोत्तर हिदी अकादमी, शिलांग (मेघालय) के तत्वावधान में डॉ. अकेला भाई द्वारा ऑनलाइन हिदी लघुकथा संगोष्ठी का आयोजन करवाया गया। इस ऑनलाइन संगोष्ठी में देश के विभिन्न भागों से नौ लघुकथाकारों ने भाग लिया। शिलांग से डॉ. अकेला भाई की अध्यक्षता में आयोजित इस संगोष्ठी में कहानी महाविद्यालय अंबाला छावनी की निदेशक एवं वयोवृद्ध साहित्यकार ऊर्मि कृष्ण विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित हुईं। उन्होंने सभी उपस्थित लघुकथाकारों को बधाई देते हुए लघुकथा की रूपरेखा के विषय में अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अरुणा कुमारी उपाध्याय द्वारा किया।

संगोष्ठी में देश के विभिन्न भागों से आए 9 लघुकथाकारों ने सामाजिक विसंगतियों को उकेरती अपनी रचनाएं पढ़ीं। लघुकथा पाठ का आरम्भ सिरसा से जुड़े ज्ञान प्रकाश 'पीयूष' की लघुकथा 'मुझे ऐतराज नहीं' से हुआ। उन्होंने अपनी लघुकथा के माध्यम से एक विवाह योग्य जवान बेटी के पिता की चिता को उकेरा। पटियाला, पंजाब से इस संगोष्ठी में जुड़ी साहित्यकार डॉ. पूनम गुप्त ने डर लघुकथा में अपने घर में भी नारी के असुरक्षित होने की विसंगति को बखूबी बयान किया। बिहार की लघुकथाकार अर्चना कृष्ण श्रीवास्तव ने गबन का जिम्मेदार कौन लघुकथा में एक मध्यवर्गीय परिवार की विवशता को उकेरा। संगोष्ठी का बखूबी संचालन कर रही मेघालय की कवयित्री डॉ. अरुणा कुमारी उपाध्याय ने अपनी लघुकथा नारी सशक्तिकरण के माध्यम से कथनी और करनी के अंतर को बखूबी प्रस्तुत किया।

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