पांच शिकायतों में शिकायतकर्ता की जगह अपलोड की सांझ केंद्र की खिड़कियां

राजपुरा सिटी थाने के सांझ केंद्र में दर्ज पांच शिकायतों में शिकायतकर्ता की फोटो की जगह ऑफिस की खिड़कियों की फोटो अपलोड कर दी गई।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Oct 2019 12:36 AM (IST) Updated:Sat, 19 Oct 2019 12:36 AM (IST)
पांच शिकायतों में शिकायतकर्ता की जगह अपलोड की सांझ केंद्र की खिड़कियां
पांच शिकायतों में शिकायतकर्ता की जगह अपलोड की सांझ केंद्र की खिड़कियां

जागरण संवाददाता. पटियाला : राजपुरा सिटी थाने के सांझ केंद्र में दर्ज पांच शिकायतों में शिकायतकर्ता की फोटो की जगह ऑफिस की खिड़कियों की फोटो अपलोड कर दी गई। एक शिकायत को फर्जी बता जांच की मांग करने पर आरटीआइ एक्टिविस्ट को सांझ केंद्र राजपुरा सिटी का जो रिकॉर्ड मिला वह चौंकाने वाला था। पुलिस ने शिकायतकर्ता की जगह खिड़की की फोटो को अपलोड किया था। सीसीटीएनएस साफ्टवेयर (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिग नेटवर्किंग सिस्टम) में गड़बड़ करने की जांच की मांग की गई तो नतीजा जीरो रहा। शिकायत दर्ज करने वाले पुलिस मुलाजिमों के मुताबिक तकनीकी गड़बड़ कारण व्यक्ति की जगह खिड़की की फोटो अपलोड हुए।

आरटीआई एक्टिविस्ट आकाश वर्मा ने बताया कि 10 जून 2014 को थाना सिटी राजपुरा के सांझ केंद्र में डीडीआर नंबर 2 में शिकायतकर्ता अवकार सिंह की फोटो की जगह खिड़की की फोटो अपलोड की गई, इसी तरह डीडीआर 15, 18,19 और 24 में भी शिकायकर्ता के फोटो की खिड़कियों की फोटो अपलोड कर दी गई। कागजात गुम होने का फर्जी शिकायत की जांच के दौरान साल 2018 में थाने से रिकार्ड मांगा गया तो शिकायतकर्ता गायब थे उनकी जगह खिड़कियों की फोटो अपलोड थी। ऐसे में करोड़ों में खरीदे गए सीसीटीएनएस साफ्टवेयर के स्मार्ट होने पर संदेह है। इस मामले की शिकायत पर सीसीटीएनएस सिस्टम के डिप्टी डायरेक्टर ने नोडल आफिसर को जांच के आदेश भी दिये परंतु नतीजा कुछ भी नहीं। जांच एक डीएस को दी गई तो सांझ केंद्र में शिकायत दर्ज करने वाले मुलाजिमों ने बयान देते हुए माना कि सर्वर डाउन होने कारण शिकायत में शिकायकर्ता की जगह आफिस की खिड़की फोटो अपलोड हुई ऐसा एक ही दिन 5 मामलों में हुआ। उन्होंने कहा तकनीकी खराबी कारण ऐसा हुआ।

अपराधी के चेहरे की पहचान कर सकता है सीसीटीएनएस

साल 2008 में मुम्बई में हुए आतंकवादी हमले के बाद केंद्र सरकार ने करीबन 2 हजार करोड़ की लागत से सीसीटीएनएस साफ्टवेयर विप्रो से खरीदा था। साफ्टवेयर का उद्देश्य अपराधियों का पहचान करना था। चेहरे की पहचान के लिए सभी अपराधियों की फोटो साफ्टवेयर में अपलोड कर पब्लिक प्लेस पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरों के साथ जोड़ा गया। सीसीटीवी कैमरे में अपराधी की फोटो आने पर साफ्टवेयर में दर्ज फोटो के साथ अगर मिलान हो तो अलार्म इसकी सूचना दे देता है।

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