बजट न बढ़ने से मिड डे मील की गुणवत्ता पर असर

विद्यार्थियों के मिड-डे-मील का बजट न बढ़ने से इसका असर विद्यार्थियों को मिलने वाले मिड-डे-मील पर पड़ना शुरू हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 29 Sep 2021 06:55 AM (IST) Updated:Wed, 29 Sep 2021 06:55 AM (IST)
बजट न बढ़ने से मिड डे मील की गुणवत्ता पर असर
बजट न बढ़ने से मिड डे मील की गुणवत्ता पर असर

-खराब गुणवत्ता की शिकायत पर एमएचआरडी की केंद्रीय टीम ने अमृतसर, फरीदकोट और पटियाला के स्कूलों का दौरा किया गौरव सूद, पटियाला

विद्यार्थियों के मिड-डे-मील का बजट न बढ़ने से इसका असर विद्यार्थियों को मिलने वाले मिड-डे-मील पर पड़ना शुरू हो गया है। मील की गुणवत्ता तो कम हुई ही है कम बजट का असर हफ्ते में एक दिन मिलने वाली खीर और हलवा को फिलहाल मेन्यू से हटाने का हुआ है। मिड डे मील की गुणवत्ता और मेन्यू से हफ्ते में एक दिन खीर और हलवा हटाने संबंधी शिकायत मिलने पर पिछले दिनों मिनिस्ट्री आफ हयूमन रिसोर्स डेवलपमेट (एमएचआरडी) की केंद्रीय टीम ने अमृतसर, फरीदकोट और पटियाला जिले के स्कूलों का दौरा भी किया है। जिसकी रिपोर्ट वह आने वाले दिनों में सबमिट करेंगे। वहीं विभाग के अधिकारी इस दौरे को पाजिटिव बता रहे हैं और गुणवत्ता को लेकर किसी किस्म की कोई शिकायत नहीं बता रहे।

उधर, मिड-डे-मील कर्मचारी यूनियन के प्रांतीय प्रधान परवीन कुमार ने बताया कि मिड-डे-मील का बजट अब काफी नहीं है। ऐसे में बच्चों को क्वालिटी फूड मुहैया नहीं करवाया जा पा रहा। उन्होंने कहा कि पिछले छह महीनों में रसोई में इस्तेमाल होने वाली चीजों के भाव लगभग दोगुने हो चुके हैं। जिसके चलते रिफाइंड तेल के भाव 70 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 200 रुपये प्रति लीटर, सरसों के तेल के भाव 130 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 180 प्रति लीटर, चीनी 35 रुपये किलो से बढ़कर 41 किलो और सिलेंडर 650 रुपये प्रति सिलेंडर से बढ़कर 914 रुपये प्रति सिलेंडर हो गया है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार को मिड डे मील का बजट बढ़ाना चाहिए ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण खाना दिया जा सके। घनौर बलाक निवासी अमनदीप सिंह ने बताया कि पिछले कुछ दिन से उनके बच्चों को हफ्ते में एक दिन मिलने वाली खीर व हलवा नहीं मिला है।

मिड-डे-मील की कुकिग कास्ट

मिड-डे-मील के तहत गेहूं और चावल सरकार की तरफ से मुहैया करवाए जाते हैं, जबकि अन्य सामान की खरीद के लिए प्राइमरी स्कूल के विद्यार्थियों को 4.97 रुपये प्रति छात्र और अपर प्राइमरी के छात्रों को 7.45 रुपये प्रति छात्र के हिसाब से हर रोज दिए जाते हैं। जिसमें गेहूं को पिसाने से लेकर खाने को पकाने तक की कीमत शामिल है। कोरोना के कारण जहां स्कूल बंद थे तो ऐसे में जहां सूखा राशन स्टूडेंट्स को घर-घर पहुंचाया गया, वहीं कुकिग खर्च उनके खातों में ट्रांसफर किया जाता था।

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एमएचआरडी की टीम ने पिछले दिनों जतिदर ग्रोवर की अध्यक्षता में सरकारी सीनियर सेकेंडरी कन्या स्कूल सनौर का दौरा किया। जिसके तहत टीम ने मिड-डे-मील के खाने को लेकर संतुष्टि जाहिर की। हालांकि टीम से कुकिग कोस्ट समेत कुक वर्करों को मिलने वाले मानदेय में बढ़ोतरी की मांग की है।

अमरजीत सिंह, डीईओ

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