चार माह बाद स्कूलों में लौटी रौनक, पहले दिन 30 फीसद बच्चे पहुंचे

स्कूलों में बढ़े कोरोना संक्रमण के बाद मार्च से बंद हुए स्कूलों में सोमवार सो फिर रौनक लौटी आई।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 07:18 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 07:18 PM (IST)
चार माह बाद स्कूलों में लौटी रौनक, पहले दिन 30 फीसद बच्चे पहुंचे
चार माह बाद स्कूलों में लौटी रौनक, पहले दिन 30 फीसद बच्चे पहुंचे

जागरण संवाददाता, पटियाला : स्कूलों में बढ़े कोरोना संक्रमण के बाद मार्च से बंद हुए स्कूलों में सोमवार सो फिर रौनक लौटी आई। हालांकि अभी केवल दसवीं, 11वीं और बारहवीं क्लास के बच्चों के लिए स्कूल खोलने के आदेश हैं, लेकिन स्कूल खुलने के पहले ही दिन बच्चों और अध्यापकों में काफी उत्साह दिखा। सुबह स्कूल पहुंचे बच्चों का स्टाफ ने जहां मुंह मीठा करवाकर और गले में हार पहनाकर स्वागत किया वहीं, बच्चों ने भी अपने अध्यापकों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। जिले के स्कूलों में पहले दिन औसतन 25 से 30 प्रतिशत विद्यार्थी ही स्कूल पहुंचे।

स्कूलों के एंट्री प्वाइंट पर मौजूद स्कूल के स्टाफ ने बच्चों की थर्मल स्क्रीनिग के बाद ही उन्हें स्कूल में दाखिल होने की अनुमति दी गई। साथ ही बच्चों के अभिभावकों द्वारा लिखित रूप में बच्चों को स्कूल भेजने की सहमति और मास्क के साथ ही बच्चों को स्कूूल में आने दिया गया। इसके अलावा क्लासरूम में एक बेंच पर एक बच्चे को बैठाया गया और एक बेंच से दूसरे बेंच तक तीन गज की दूरी भी सुनिश्चित की गई। अध्यापकों ने विद्यार्थियों को महामारी से बचाव बारे जागरूक भी किया।

इस संबंध में जिला शिक्षा अफसर सेकेंडरी हरिदर कौर ने बताया कि कोरोना बचाव संबंधी नियमों के पालन के साथ जिले के समूह सरकारी हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में दसवीं, 11वीं और 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की पढ़ाई बाकायदा रूप में शुरू हो गई है। उन्होंने बताया कि उन्होंने जिले के कई स्कूलों का दौरा किया। इस दौरान स्कूल खुलने की खुशी स्कूल मुखियों, विद्यार्थियों और अध्यापकों के चेहरों पर साफ झलक रही थी। आनलाइन से बजाय आफलाइन है बढि़या

करीब चार महीने बाद सरकारी मल्टीपर्पज सीनियर सेकेंडरी स्कूल पहुंचे विद्यार्थी शरनदीप सिंह चीमा ने स्कूल खुलने पर खुशी जताते हुए कहा कि अब उसे क्लास रूम में बैठकर पढ़ाई करने का अवसर मिलेगा। उसने कहा कि आनलाइन के बजाय आफलाइन बढि़या है। इससे पढ़ाई का नुकसान नहीं होता और एक माहौल मिलता है पढ़ाई के लिए।

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