अब फोकल प्वाइंट में पावरकाम में स्मार्ट मीटर की होगी नो एंट्री
पावरकाम के स्मार्ट मीटर को लेकर फोकल प्वाइंट इंडस्ट्री ने नो एंट्री का प्रस्ताव पास कर दिया है।
प्रेम वर्मा, पटियाला
पावरकाम के स्मार्ट मीटर को लेकर फोकल प्वाइंट में अब नो एंट्री का प्रस्ताव पास कर दिया है। इन मीटर के लगने के बाद फैक्टरी मालिकों का बिल डेढ़ गुना बढ़कर पहुंचा है, जिसे देखते ही पिछले एक हफ्ते के दौरान फोकल प्वाइंट में हलचल मच गई है। इस समय फोकल प्वाइंट में 450 यूनिटें चल रही हैं, जिनमें से 100 यूनिटों में यह मीटर लग चुका है। अचानक बिजली के बिल की बढ़ोतरी देखते हुए फोकल प्वाइंट इंडस्ट्री एसोसिएशन (एफपीआइए) के सदस्यों ने फैसला किया है कि अब फोकल प्वाइंट में किसी भी फैक्टरी में यह मीटर नहीं लगने देंगे। यही नहीं पहले लग चुके मीटर को भी उतरवाने के लिए पावरकाम के अधिकारियों को मांगपत्र सौंपा जाएगा। यदि पावरकाम ने एफपीआइए के मांगपत्र को गंभीरता से लेते हुए स्मार्ट मीटर का काम बंद नहीं करवाया तो संघर्ष तेज किया जाएगा और विरोध करते हुए मुलाजिमों को मीटर नहीं लगवाने देंगे।
फोकल प्वाइंट इंडस्ट्री एसोसिएशन के सदस्यों ने कहा कि पहले चक्कर पूरे करने वाले मीटर रीडिग का सिस्टम फालो किया जाता था। इसके बाद कंप्यूटर वाला मीटर सिस्टम लागू कर दिया, जिससे बिजली बिल में बढ़ोतरी हो गई थी। इस दौरान पावरकाम ने टैक्स के नाम पर कई तरह की वसूली की और फिक्स चार्जेस भी लगाए। अब स्मार्ट मीटर के नाम पर दोगुनी स्पीड से चलने वाले मीटर लगा दिए हैं, जिसके पहले बिल में फैक्टरी मालिकों के पास डेढ़ गुना बिल पहुंच गया है। पिछले एक हफ्ते के दौरान बिल मिलने के बाद ही फोकल प्वाइंट के सदस्यों ने इसका विरोध करने का फैसला किया है। वजह यह है कि फोकल प्वाइंट में दस हजार रुपये से लेकर तीन लाख रुपये प्रति महीना बिल अदा करने वाली फैक्टरियां हैं, जो बिल बढ़ने की आशंका से घबराई हुई हैं। फोकल प्वाइंट नहीं शहर में भी बंद हों स्मार्ट मीटर : अश्वनी
फोकल प्वाइंट इंडस्ट्री एसोसिएशन के महासचिव अश्वनी गुप्ता ने कहा कि उनकी यूनिट में भी पावरकाम स्टाफ ने स्मार्ट मीटर लगा दिया है। मीटर लगने के बाद से उनका बिल डेढ़ गुना बढ़ गया है। ऐसे तो पचास हजार रुपये बिल वाले यूनिट मालिक को 65 या 75 हजार रुपये तक भरने पड़ जाएंगे। इस स्मार्ट मीटर का वह पूरी तरह से विरोध करते हैं और शहरवासी भी इन मीटरों को न लगाने दें। यह मीटर तो दोगुनी स्पीड से चलते हैं और बिल आने पर ही झटका लगता है। बिजली बिल देखा तो परेशानी बढ़ गई : अरुण गुप्ता
एफपीआइए के पूर्व वाइस चेयरमैन अरुण गुप्ता ने कहा कि उनकी यूनिट में रूटीन का ही काम चल रहा है। पिछले कुछ महीनों से वैसे ही कोविड की वजह से काम मंदा पड़ा है। हर महीने चार हजार रुपये आने वाला बिल इस बार करीब सात हजार रुपये आया है, जिसे देख उनकी परेशानी बढ़ गई है। पावरकाम मीटर में नुक्स सुनने को तैयार नहीं है और मंदी में वित्तीय बोझ बढ़ गया है। यह स्मार्ट मीटर लोगों के हित में नहीं है, इसे रोकना चाहिए। सरकार स्मार्ट मीटर के फैसले पर समीक्षा करे : परमजीत
सीनियर इंडस्ट्रियलिस्ट परमजीत सिंह ने कहा कि स्मार्ट मीटर उनकी यूनिट में अभी लगा नहीं है लेकिन सदस्यों का विरोध शुरू हो चुका है। सरकार इंडस्ट्री के हित को देखते हुए स्मार्ट मीटर के फैसले की समीक्षा करे ताकि घाटे में चल रही इंडस्ट्री को बचाया जा सके। कोविड से उबरी इंडस्ट्री को इस समय मदद की जरूरत है, ऐसे में नुक्सान पहुंचाने वाले फैसलों को लागू न किया जाए। शहर के लोग ये मीटर न लगने दें। पावरकाम तो इंडस्ट्री को डुबो देगी : संजीव गोयल
इंडस्ट्रियलिस्ट संजीव गोयल ने कहा कि इंडस्ट्री तो पहले से ही घाटे में है। हर महीने तीन लाख रुपये का बिजली बिल देना मुश्किल हो चुका है, अब स्मार्ट मीटर की वजह से बढ़े बिलों को चुकाने में उद्योगपति बेबस है। इस फैसले को लागू करके पावरकाम इंडस्ट्री को डुबो देगी जबकि इस समय इंडस्ट्री को बचाने की जरूरत है। सरकार को इस स्मार्ट मीटर के बारे में जल्द से जल्द समीक्षा करनी चाहिए ताकि उद्योगपतियों को राहत मिल सके। पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन द्वारा जारी निर्देश और रेगुलेटरी कमीशन द्वारा तय मापदंडों के मुताबिक ही यह मीटर लगाए जा रहे हैं। इन मीटरो में अगर कोई तकनीकी खामी पाई जाती है तो संबंधित व्यक्ति पावरकाम अधिकारियों के पास अपना मुद्दा रख सकता है। मीटर लगाने से पहले इसकी पूरी जांच की जाती है ताकि किसी भी उपभोक्ता को कोई समस्या न आए।
एसएस शर्मा, सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर, पावरकाम