मछली पालन ने बदली कुलदीप की किस्मत
सहायक व्यवसायों से आय बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के तहत मछली पालन विभाग किसानों को इस पेशे के बारे में जानकारी प्रदान कर रहा है।
जागरण संवाददाता, पटियाला : सहायक व्यवसायों से आय बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के तहत मछली पालन विभाग किसानों को इस पेशे के बारे में जानकारी प्रदान कर रहा है। ऐसे में अब किसानों ने मछली पालन को भी व्यवसाय के रूप में अपनाना शुरू कर दिया है। ऐसे ही समाना के फतेहगढ़ छन्ना गांव के किसान कुलदीप सिंह हैं, जिन्होंने मछली पालन विभाग से पांच दिन की ट्रेनिग लेकर अपनी 2.5 एकड़ जमीन पर मछली पालन शुरू किया। कुलदीप सिंह ने बताया कि उन्होंने 7500 किलोग्राम से अधिक मछली बेची है और लगभग सवा चार लाख रुपये का लाभ कमाया है। उन्होंने कहा कि वह मछली तलाब के किनारे बागवानी का सहायक व्यवसाय भी कर रहे हैं और सबसे बड़ा फायदा तलाब से पानी को खेतों में इस्तेमाल करने से मिल रहा है।
मछली पालन के अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा करते हुए कुलदीप सिंह ने कहा कि ट्रेनिग के दौरान विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मछली आय का अच्छा स्त्रोत होने के साथ-साथ पौष्टिक आहार भी है। उन्होंने मछली पालन विभाग के निर्देशानुसार अपनी निजी जमीन पर तलाब तैयार किया। उन्हें करीब 1,62,600 रुपये की आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई। उन्होंने कहा कि मछली पालन व्यवसाय खराब मौसम या बारिश से प्रभावित नहीं होता है, लेकिन जल स्तर बढ़ने से मछली उत्पादन में वृद्धि होती है। इस पेशे के लिए ट्रैक्टर, ट्राली, आइसिग, हल आदि किसी उपकरण की आवश्यकता नहीं पड़ती। एक बार पौंड बनने के बाद छह से सात साल तक किसी उपकरण की जरूरत नहीं पड़ती। मछली के तलाब किराये पर भी लिए जा सकते हैं। कुलदीप सिंह ने कहा कि मछली की मार्केटिग में कोई दिक्कत नहीं होती और ठेकेदार आकर खुद मछली पकड़कर तोल कर ले जाते। मछली पालन में किसान अपनी कीमत पर मछली बेच सकता है।