चूल्हे पर साग बनाने के माहिर हैं डीईओ अमरजीत सिंह

जिला शिक्षा अधिकारी एलिमेट्री इंजीनियर अमरजीत सिंह को तो आप एक जुझारू मेहनती और जुनूनी अधिकारी के तौर पर जानते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 08:08 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 08:08 PM (IST)
चूल्हे पर साग बनाने के माहिर हैं डीईओ अमरजीत सिंह
चूल्हे पर साग बनाने के माहिर हैं डीईओ अमरजीत सिंह

गौरव सूद, पटियाला

जिला शिक्षा अधिकारी एलिमेट्री इंजीनियर अमरजीत सिंह को तो आप एक जुझारू, मेहनती और जुनूनी अधिकारी के तौर पर जानते हैं। आज हम आपकी पहचान एक अलग ही अमरजीत सिंह से करवाने जा रहे हैं। ये अमरजीत सिंह चूल्हे पर इतना स्वादिष्ट साग बनाते हैं कि घरवालों ने साग बनाने की उनकी पक्की ड्यूटी लगा दी है। इसके अलावा सुबह की चाय भी उन्हीं के जिम्मे है।

अमरजीत सिंह ने देश के प्रमुख इंजीनियरिग संस्थानों में शामिल थापर इंजीनियरिग कालेज और पोलिटेक्निकल कालेज से पढ़ाई की। वह चाहते तो किसी मल्टीनेशनल कंपनी में बड़े पैकेज पर आसानी से नौकरी ज्वाइन करके सुखद जीवन व्यतीत कर सकते थे। लेकिन उनकी सोच तो कुछ और थी। उन्होंने बड़े पैकेज पर नौकरी ज्वाइन करने के बजाय आर्थिक तौर पर कमजोर बच्चों को स्किल्ड कोर्स करवाकर रोजगार के काबिल बनाने के लिए अध्यापन को ही अपना रोजगार बनाने की सोची।

इंजीनियर अमरजीत सिंह खुद एक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंधित हैं। इसी कारण अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए उन्हें कई चुनौतियों का सामना किया, जिसके बाद उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र को ही अपनी कर्मभूमि बना लिया। इसी मेहनत और लगन के चलते उन्होंने साल 2020 में पटियाला जिले के सभी प्राइमरी स्कूलों को राज्य में सबसे पहले स्मार्ट बनाकर सम्मान हासिल हासिल किया। इसी मेहनत और लगन के चलते इंजीनियर अमरजीत सिंह ने वोकेशनल अध्यापक से जिला शिक्षा अफसर तक का सफर तय किया।

वे कितने मेहनती हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे छुट्टी वाले दिन भी जिले के विभिन्न इलाकों में डोर-टू-डोर जाकर ज्यादा से ज्यादा पेरेंट्स को सरकारी स्कूलों में दाखिल करवाने के लिए प्रेरित करते हैं। जिसके चलते साल 2020 में जिले के सरकारी स्कूलों में करीब 13 हजार विद्यार्थियों का दाखिला बढ़ाया और इस साल करीब पांच हजार छात्रों का दाखिला बढ़ा है। काम के प्रति इतने जुनूनी हैं कि विभाग का कोई भी आदेश आने पर वह उसे लागू करने से पहले खुद उस पर अमल करते हैं और फील्ड में जाकर उसके प्रति काम करने के बाद अध्यापकों को इसे आगे बढ़ाने को कहते हैं। उनकी पत्नी कुलवंत कौर भी पोलिटिकल साइंस की लेक्चरर हैं। बेटी एमटेक करने के बाद कैनेडा में बतौर इंजीनियर नौकरी कर रही हैं, जबकि बेटा जसकरन सिंह बीटेक करने के बाद सिविल सर्विसिज की तैयार कर रहा है।

खेल के प्रति अपने लगाव के बारे में उन्होंने बताया कि वह हाकी को राज्य स्तर पर अपने स्कूल और कालेज को रीप्रिजेंट कर चुके हैैं। खेल के प्रति उनके जुनून का पता इसी से चलता है कि अपनी नौकरी के दौरान भी बाबा फरीद हाकी क्लब बनाया और इसके तहत हाकी में अच्छा प्रदर्शन करने वाले बच्चों को अडाप्ट करके उन्हें हाकी में अच्छा करियर बनाने के लिए सहायता कर रहे हैं। इसके अलावा खाली समय में घर पर रियाज करने के साथ-साथ हिदी और पंजाबी साहित्यक किताबें पढ़ना भी पसंद करते हैं। उन्होंने घर में लाइब्रेरी बना रखी है। जिसमें हिदी, अंग्रेजी और पंजाबी साहित्य की करीब 250 किताबें शामिल हैं। इसके अलावा उन्हें गाडर्निग का काफी शौक है। उन्होंने घर की छत पर किचन गार्डन बनाया हुआ है, जहां उन्होंने कई तरह की सब्जियां लगाई हुई है, इनकी देखभाल भी वह खुद ही करते हैं। स्कूलों को बेहतर बनाकर मिलता है सुकून

सरकारी स्कूलों में संसाधनों और फंड की कमी के कारण ज्यादातर स्कूलों में बेहतर स्टाफ होने के बावजूद स्कूल पिछड़ जाते हैं। ऐसे में अमरजीत सिंह ने जिले में स्थापित नामवर प्राइवेट कंपनियों से बैठकें करके जहां जिले के करीब एक दर्जन स्कूलों को प्राइवेट कंपनियों द्वारा अडाप्ट करवाकर उनकी बिल्डिग से लेकर उनके फर्नीचर समेत अन्य सभी जरूरतें पूरी करवा चुके हैं, वहीं इससे बच्चों को भी पढ़ाई करने में आसानी होती है।

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