इंडस्ट्री पर पड़ी कोरोना की मार, एक से चार हजार रुपये ट्रांसपोर्ट खर्च बढ़ा

पटियाला कोरोना महामारी के मद्देनजर इन दिनों इंडस्ट्री पर ट्रांसपोर्टेशन का खर्च बढ़ गया है। कोविड 19 के चलते ट्रेन सर्विस अभी पूरी तरह से बहाल भी नहीं हुई थी कि किसान आंदोलन के कारण चल रही ट्रेनें भी बंद कर दी गई थी। ऐसे में इंडस्ट्री के पास माल के आयात व निर्यात के लिए एकमात्र रास्ता ट्रक आपरेटरों की सर्विस इस्तेमाल का ही रह गया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 06:32 PM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 04:09 AM (IST)
इंडस्ट्री पर पड़ी कोरोना की मार, एक से चार हजार रुपये ट्रांसपोर्ट खर्च बढ़ा
इंडस्ट्री पर पड़ी कोरोना की मार, एक से चार हजार रुपये ट्रांसपोर्ट खर्च बढ़ा

प्रेम वर्मा, पटियाला

कोरोना महामारी के मद्देनजर इन दिनों इंडस्ट्री पर ट्रांसपोर्टेशन का खर्च बढ़ गया है। कोविड 19 के चलते ट्रेन सर्विस अभी पूरी तरह से बहाल भी नहीं हुई थी कि किसान आंदोलन के कारण चल रही ट्रेनें भी बंद कर दी गई थी। ऐसे में इंडस्ट्री के पास माल के आयात व निर्यात के लिए एकमात्र रास्ता ट्रक आपरेटरों की सर्विस इस्तेमाल का ही रह गया है। अब ट्रक चालकों ने कोरोना के नाम पर ट्रांसपोर्ट का खर्च एक हजार से लेकर चार हजार रुपये तक बढ़ा दिया है। जो गाड़ी दिल्ली में 10 हजार रुपये में माल पहुंचाती और लाती थीं। वही, गाड़ी का खर्च अब इंडस्ट्रियलिस्ट को 13 से 14 हजार रुपये में पड़ रहा है। उधर, कटिग टूल इंडस्ट्री से जुड़े कारोबारियों ने कहा कि उनका अधिकतर सामान अब कोरियर सर्विस के जरिए जाने लगा है। हालांकि बड़ा आर्डर होने पर उन्हें ट्रक या मिनी ट्रक की सर्विस लेनी पड़ती है, जो उन्हें आजकल महंगी पड़ रही है।

एक्सपोर्ट का माल ब्लाक होने लगा : लांबा

पटियाला इंडस्ट्री एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी एचपीएस लांबा ने कहा कि ट्रेन की सर्विस तो पटियाला में पहले ही काफी कम थी। अब तो ट्रकों के जरिए ही माल की सप्लाई मंगवाई या भेजी जाती है। इसका खर्च 25 से 38 फीसद बढ़ चुका है। उनकी खुद की कंपनी का एक्सपोर्ट का माल लुधियाना में फंसा हुआ है और उनके जैसे बहुत इंडस्ट्रियलिस्ट इस परेशानी से गुजर रहे हैं। सरकार को पालिसी बनाकर ट्रेनों की सर्विस बहाल करनी होगी, क्योंकि कोविड 19 के कारण लगे लाकडाउन को धीरे-धीरे खोला जा रहा है, तो ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी बहाल करवाना चाहिए।

ट्रेनों की नहीं उद्योगों की रफ्तार थमी : अश्वनी

फोकल प्वाइंट इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रधान अश्वनी गुप्ता ने कहा कि कोविड में जहां कई सर्विस बहाल हुई हैं, तो गुड्स ट्रेन भी बहाल होनी चाहिए थी। इन ट्रेन को इंडस्ट्रियलिस्ट ट्रांसपोर्टेशन के तौर पर इस्तेमाल करते हैं, तो उन्हें ट्रकों के खर्च से थोड़ी राहत मिलती है। यहां तक कि सप्लाई को लेकर समय और पैसा दोनों बचता है। ऐसे में लगता है कि ट्रेनों की नहीं, बल्कि इंडस्ट्री की रफ्तार थमी है। दिल्ली, गुजरात व अन्य राज्यों में माल की सप्लाई भेजने के लिए काफी परेशानी हो रही है और पंजाब के अंदर ही माल भेजना व मंगवाने का खर्च बढ़ चुका है।

दोगुना हो गया है ट्रांसपोर्ट खर्च : संजीव

इंडस्ट्रियलिस्ट संजीव गोयल ने कहा कि ट्रांसपोर्ट का खर्च दोगुना हो गया है, क्योंकि ट्रेनों की सर्विस बंद पड़ी है। हालात यह बन चुके हैं कि माल की सप्लाई भेजने के लिए ट्रक तक नहीं मिल रहे हैं और जब मिलते हैं तो इनका किराया बहुत ज्यादा होता है।

कटिग टूल इंडस्ट्री चली लेकिन खर्च बढ़ा : मित्तल

सीनियर इंडस्ट्रियलिस्ट सुरिदर मित्तल ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण लगे लाकडाउन खुलने के बाद फैक्ट्रियों में काम शुरू हो चुका है। काम के आर्डर भी आने लगे हैं और लेबर से काम चल भी रहा है। अब ट्रांसपोर्ट का काम कोरियर के जरिए करवाया जा रहा है, लेकिन जब ट्रक से भेजते हैं तो इसका खर्च बढ़ गया है।

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