बिल्डिंग कांट्रैक्टर को सौंप दिया कुत्तों की नसबंदी का जिम्मा

राजपुरा में साल 2020 में कुत्तों की नसबंदी के अभियान में पांच लाख रुपये की वित्तीय गड़बड़ी का मामला सामने आया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 08:17 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 08:17 AM (IST)
बिल्डिंग कांट्रैक्टर को सौंप दिया कुत्तों की नसबंदी का जिम्मा
बिल्डिंग कांट्रैक्टर को सौंप दिया कुत्तों की नसबंदी का जिम्मा

बलविदरपाल सिंह, पटियाला

राजपुरा में साल 2020 में कुत्तों की नसबंदी के अभियान में पांच लाख रुपये की वित्तीय गड़बड़ी का मामला सामने आया है। मामले संबंधी राजपुरा निवासी शिकायतकर्ता रविदर कुमार ने चीफ विजिलेंस डायरेक्टर को शिकायत दी है। इसके बाद डायरेक्टर ने इस मामले की पड़ताल का जिम्मा एडीसी (डी) का लगाया है। एडीसी (डी) ने नगर कौंसिल के ईओ रवनीत कौर को मामले से संबंधित दस्तावेजों सहित शुक्रवार को पेश होने को कहा है। मामले का पता शिकायतकर्ता द्वारा आरटीआइ डालने से चला। आरटीआइ के जवाब में कुत्तों का आपरेशन करने वाले डाक्टर की ओर से नकली अनुभव सर्टिफिकेट लगाने की बात सामने आई। साथ ही शिकायतकर्ता का आरोप है कि नगर कौंसिल ने बिना जांच के टेंडर अलाट किए।

शिकायतकर्ता ने बताया कि नगर कौंसिल द्वारा राजपुरा की चिराग गवर्नमेंट कांट्रैक्टर नाम की कंपनी को कुत्तों की नसबंदी का टेंडर अलाट कर दिया गया है, जबकि कंपनी का काम बिल्डिग तैयार करना है। हैरानी है कि इस कंपनी के संचालक ने काम को आगे 'कावा' नाम की संस्था को सबलेट कर दिया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि संस्था के जिस डाक्टर ने कुत्तों की नसबंदी करने का काम किया, उसका अनुभव सर्टिफिकेट फर्जी है। डाक्टर ने पंचकुला की 'बेजुबान संस्था का अनुभव सर्टिफिकेट लगाया है, जबकि संस्था इसे फर्जी बता रही है। शिकायतकर्ता ने बताया कि नियम अनुसार कंपनी इस काम को आगे सबलेट नहीं कर सकती थी। नगर कौंसिल द्वारा मामले की बिना पड़ताल के ही संस्था को पांच लाख रुपये की पेमेंट कर दी गई। नगर कौंसिल द्वारा टेंडर अलाट करने के लिए जो दस्तावेज की मांग की गई थी, सभी दस्तावेज पूरे किए गए। दस्तावेज सही थे तभी तो कौंसिल ने टेंडर अलाट किया है। दस्तावेज तो कौंसिल ने ही वेरिफाई करने थे।

चिराग, संचालक, चिराग गवर्नमेट कांट्रैक्टर संस्था द्वारा 500 कुत्तों की नसबंदी की गई है। जिस डाक्टर का अनुभव सर्टिफिकेट फर्जी बताया जा रहा है, उसी ने कुत्तों की सर्जरी की, तब तो कोई दिक्कत नहीं आई। जब ये मामला सामने आया तो प्रोजेक्ट पूरा हो चुका था और डाक्टर को रिलीव कर दिया गया था। अब डाक्टर को इसके बारे में कैसे पूछ सकते हैं। वह हमारे संपर्क में नहीं है।

राहुल, संस्थापक, कावा संस्था एडीसी ने दस्तावेजों सहित दफ्तर में पेश होने को कहा था, पर दफ्तरी कामकाज में व्यस्त होने के चलते एडीसी (वि) के सामने पेश नहीं हो सकता। यह आरोप बिल्कुल बेबुनियाद है। सभी दस्तावेज हमारे पास हैं और पांच अगस्त को अगली पेशी के दौरान एडीसी के आगे दस्तावेजों को रख देंगे।

रवनीत सिंह, ईओ नगर कौंसिल राजपुरा।

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