भक्ति मनुष्य को देती है शक्ति : स्वामी परमानंद
जीवन में भगवान की भक्ति से ही शक्ति आती है और भक्ति ही मनुष्य को निर्मल बनाती है।
जागरण संवाददाता, पटियाला : जीवन में भगवान की भक्ति से ही शक्ति आती है और भक्ति ही मनुष्य को निर्मल बनाती है। जिसका मन निर्मल होता है, वही परमात्मा को प्राप्त कर सकता है। यह बात बुधवार को स्वामी परमानंद जी वीर हकीकत राय स्कूल में आयोजित 27वें भक्ति योग वेदांत संत सम्मेलन के दूसरे दिन प्रवचनों में कही। उन्होंने कहा कि मन हमारा बहुत चंचल होता है और भटकना इसका मुख्य उद्देश्य रहता है। इस लिए मन को काबू में रखना बहुत आवश्यक है। जिसने मन को काबू कर लिया समझो हाथी को अपने अधीन कर लिया।
स्वामी जगतप्रकाश त्यागी चित्रकूट वालों व महा मंडलेश्वर साध्वी दिव्य चेतना ने कहा कि परमात्मा बिना पैर के भी चलते हैं। बिना कान के भी सुनते हैं, सारे कर्म बिना शरीर के रहते भी कर सकते हैं। इसलिए उनका मुकाबला इंसान नहीं कर सकता वो तो केवल उनके सामने अरदास ही कर सकता है। इसी दौरान भजन भी गाया गया जिसे सुनकर सभी आनंदित हुए। आगे कहा जीवन में लगा सबका मेला, हंस जब भी उड़ा अकेला ही उड़ा। स्वामी सत्यप्रकाश जी ने मंच का संचालन किया। महामंडलेस्वर स्वामी ज्योतिर्मयानंद ने जीवन दर्शन के बारे में प्रकाश डालते कहा बिन गुरु के ज्ञान प्राप्त नही हो सकता इस लिए मनुष्य का कर्म अच्छा होना चाहिए और गुरु के प्रति समर्पण होना आवश्यक है। उन्होंने नशे पर भी कटाक्ष किया और कहा कि हमारी युवा पीढ़ी नशे के कारण बर्बाद हो रही है उनको सत्संग के जरिए सुधारा जा सकता है।