सिंबल पोस्ट पर शहीद कमलजीत की याद में शहीदी समारोह कल

पोस्ट के बाकी जवान पोस्ट छोड़ पीछे हट गये मगर कमलजीत सिंह अकेला ही पाक सेना से जूझते हुए हेडक्वार्टर गुरदासपुर को सूचना भेजता रहा तथा गांव सिबल के लोगों को भी सुरक्षित जगह पर जाने के लिए संदेश भेजता रहा।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 04:21 AM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 04:21 AM (IST)
सिंबल पोस्ट पर शहीद कमलजीत की याद में शहीदी समारोह कल
सिंबल पोस्ट पर शहीद कमलजीत की याद में शहीदी समारोह कल

संवाद सहयोगी, बमियाल: जब भी किसी दुश्मन की नापाक दृष्टि भारत मां के पाक दामन पर पड़ी देश के जांबाज सैनिकों ने दुश्मन के नापाक इरादों को धूल चटाई है। ऐसा ही एक रणबांकुरा बीएसएफ की 20 बटालियन का वायरलेस आप्रेटर नायक कमलजीत सिंह था, जिसने 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाक सेना को धूल चटाते हुए अपना नाम शहीदों की श्रेणी में दर्ज करवा लिया।

शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविदर सिंह विक्की ने बताया कि कमलजीत सिंह का जन्म 18 जुलाई 1945 को अमृतसर में माता करतार कौर व पिता बहादुर सिंह के घर हुआ। सरकारी हाई स्कूल अमृतसर से 10वीं करने के उपरांत यह बीएसएफ की 20 बटालियन में भर्ती हो गये। चार दिसंबर 1971 को भारत-पाक युद्ध के दौरान इनकी ड्यूटी भारत-पाक सीमा की जीरो लाइन पर स्थित बीएसएफ की सिबल पोस्ट पर थी, जिस पर पाक सेना ने हमला बोल दिया। पोस्ट पर बीएसएफ जवानों की संख्या कम थी तथा पाक सेना की पूरी बटालियन थी। वायरलेस आप्रेटर कमलजीत सिंह ने अपने साथियों सहित पाक सेना का कड़ा मुकाबला किया, मगर पाक सैनिकों की ज्यादा संख्या होने के कारण इस पोस्ट के जवानों ने पोस्ट छोडने का फैसला कर लिया। मगर नायक कमलजीत सिंह ने पोस्ट छोड़ने से इंकार करते हुए कहा कि जिसने जाना है तो जाये, मगर वह अंतिम गोली व आखिरी सांस तक पाक सेना का मुकाबला करेगा। पोस्ट के बाकी जवान पोस्ट छोड़ पीछे हट गये, मगर कमलजीत सिंह अकेला ही पाक सेना से जूझते हुए हेडक्वार्टर गुरदासपुर को सूचना भेजता रहा तथा गांव सिबल के लोगों को भी सुरक्षित जगह पर जाने के लिए संदेश भेजता रहा। काफी समय तक उसने अपनी बहादुरी दिखाते हुए पाक सेना को रोककर रखा।

मगर नायक कमलजीत सिंह ज्यादा समय पाक सेना के सामने टिक नहीं पाया और पाक सेना ने उन्हें बंदी बनाकर अपने साथ ले गई और उसका सिर कलम कर सिबल पोस्ट पर बेरी के पेड़ पर लटका दिया तथा साथ ही उसके माथे पर एक चिट लिखकर लगा दी, जिस पर लिखा था पाक सेना का आइजी बीएसएफ को तोहफा। इस तरह कमलजीत सिंह ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए सिबल पोस्ट व गांव वासियों के प्राणों को बचाते हुए अपना बलिदान दे दिया।

इस वीर योद्धा की शहादत को नमन करने हेतु चार दिसंबर को भारत-पाक सीमा की जीरो लाईन पर स्थित बीएसएफ की सिबल पोस्ट पर शहीद की याद में बने स्मारक पर एक श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इसमें कई गणमान्य लोग व बीएसएफ के अधिकारी शामिल होंगे।

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