पठानकोट में अब न चेते तो आने वाला कल होगा अंधकारमय
गर्मियों का मौसम शुरू होते ही कंडी व सीमावर्ती क्षेत्रों में जल संकट की समस्या पैदा हो गई है।
जागरण टीम, पठानकोट : गर्मियों का मौसम शुरू होते ही कंडी व सीमावर्ती क्षेत्रों में जल संकट की समस्या पैदा हो गई है। ज्यादातर गांवों में हैंड पंप ने जबाव देना शुरू कर दिया है। वाटर लेबर भी लगातार गिरता जा रहा है। फिलहाल यह स्थिति किसी प्राकृतिक आपदा के कारण पैदा नहीं हुई है, बल्कि माधोपुर स्थित रावी दरिया के मुख्य गेटों की रिपेयरिग की वजह से है, लेकिन आने वाले दिनों में भी यदि हम लोग पानी बचाने को लेकर गंभीर न हुए तो वह दिन दूर नहीं जब सभी पानी की बूंद-बूंद को तरसेंगे। लोग पानी बचाने की मुहिम को लेकर गंभीर नहीं दिख रहे हैं। अगर इस ओर जल्द ध्यान न दिया तो हमारी आने वाली पीढि़यों के लिए जलसंकट की स्थिति पैदा हो जाएगी। पानी के लिए हाहाकार मच जाएगा।
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इस प्रकार गिर रहा जल स्तर
सीमावर्ती क्षेत्र नरोट जैमल सिंह
वर्ष जलस्तर
1999- 10 फीट
2001-12
2003 -14 फीट
2005- 16 फीट
2007-17
2009- 19 फीट
2011-20 फीट
2012-21
2014-23
2016=26
2018-28
2020-30 फीट
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1999- 19 फीट
2001-20
2003 -23 फीट
2005- 27 फीट
2007-27
2009- 29 फीट
2011-29.5 फीट
2012-29
2014-32
2016=35
2018-37
2020-40 फीट
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पठानकोट की करें तो पिछले बीस वर्षों के दौरान लेबर 50 फीट से अधिक नीचे चला गया है।
=कंडी क्षेत्र में 30 से 35
-सुजानपुर एरिया में 40 फीट और नरोट जैमल सिंह-बमियाल एरिया में 30 फीट नीचे चला गया।
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जनसंख्या जिला 12 लाख 90 हजार से अधिक
प्रति व्यक्ति औसतन 135 लीटर पानी प्रतिदिन इस्तेमाल करता है।
हर आदमी को 110 से 115 लीटर मिल रहा पानी
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जल गिरने की मुख्य वजह
-जिला में अवैध अवैध का ग्राफ बढ़ना।
-लोगों द्वारा अपने घरों के आंगन को पक्का बनाना।
-बारिश का पानी जमीन में रिसने की बजाय नालियों में बहना।
-धान की खेती में ज्यादा पानी लगाना।
-पानी की वेस्टेज ज्यादा।
-लोग समस्या को लेकर गंभीर नहीं।
-सरकार की योजनाओं पर लोग नहीं दिखाते गंभीरता।
-रेन हार्वेसिटंग सिस्टम जरूरी लागू करने में जिला प्रशासन नहीं दिखा रहा उत्साह।
-ग्रामीण एरिया में लोग अपनी मर्जी से कुंए खोद लेते हैं।