यूआरएमयू ने किया केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ किया रोष प्रदर्शन
कर्मचारियों की चिर लंबित मांगों को लेकर उत्तर रेलवे मजदूर यूनियन ने शुक्रवार को केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर रोष प्रदर्शन किया।
जागरण संवाददाता, पठानकोट : कर्मचारियों की चिर लंबित मांगों को लेकर उत्तर रेलवे मजदूर यूनियन ने शुक्रवार को केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर रोष प्रदर्शन किया। शाखा प्रधान हरजिद्र कुमार व असिस्टेंट सेक्रेटरी किरण बाला के नेतृत्व में आयोजित गेट रैली के दौरान सदस्यों ने केंद्र सरकार को कर्मचारी विरोधी करार देते हुए प्रदर्शन किया।
शाखा सचिव मंगत राम सैनी ने कहा कि केंद्र सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ सभी केंद्रीय कर्मचारियों को एक जुट होकर लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनडी-दो का गठन होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह रेलवे का निजीकरण नहीं करेंगे, लेकिन दुख की बात है कि दूसरी बार सत्ता में आने पर केंद्र सरकार सबसे ज्यादा रेलवे का ही निजीकरण कर रही है। देश के कुछेक उच्च घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए वह विभाग में ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दे रही है जिसे रेलवे कर्मचारी किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि यूआरएमयू ने हमेशा कर्मचारियों के हकों के लिए लड़ाई लड़ी है और आगे भी लड़ती रहेगी। कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
- कर्मचारियों का बंद किया हुआ डीए हर हाल में बहाल करवाया जाएगा।
- कोरोना काल में शहीद हुए कर्मचारियों को कम से कम 50 लाख की सहायता और उनके परिवारों को नौकरी और पेंशन दी जानी चाहिए।
- लार्जेस स्कीम के तहत जिन कर्मचारियों ने अक्टूबर 2017 तक अपने आवेदन दिए थे उन कर्मचारियों को लार्जेस स्कीम के तहत जल्दी से जल्दी नौकरी देनी चाहिए।
- सभी कर्मचारियों का आठ घंटे का डयूटी रोस्टर चालू किया जाए।
- ट्रैक मैन के लिए रिव्यूकमेटी की रिपोर्ट को पूर्ण रुप से लागू किया जाए।
- किसी भी कैटेगरी में जो भर्ती निकाल रही है उसमें ट्रैकमैन को दस फीसद कोटा दिया जाए।
- नई पेंशन स्कीम को रद्द कर पुरानी पेंशन स्कीम को चालू किया जाए।