शहीद मदन लाल का श्रद्धांजलि समारोह आज, आतंकी घुसपैठ को रोकते हुए हो गए थे शहीद

जुलाई 2016 को इन्हें 20 डोगरा यूनिट में शामिल कर कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के नौगांव सेक्टर भेज दिया गया। 20 सितंबर 2016 को इन्हें सूचना मिली कि सीमा पार से आतंकी भारतीय सीमा में घुसपैठ कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 03:53 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 03:53 AM (IST)
शहीद मदन लाल का श्रद्धांजलि समारोह आज, आतंकी घुसपैठ को रोकते हुए हो गए थे शहीद
शहीद मदन लाल का श्रद्धांजलि समारोह आज, आतंकी घुसपैठ को रोकते हुए हो गए थे शहीद

संवाद सहयोगी, घरोटा: जब जम्मू कश्मीर के नौगांव सेक्टर में पाक प्रशिक्षित आतंकियों की घुसपैठ की थी तो उन्हें रोकते हुए सेना की 20 डोगरा यूनिट के हवलदार मदन लाल शर्मा निवासी घरोटा ने अपना बलिदान देकर अपना नाम शहीदों की फेरहिस्त में स्वर्ण अक्षरों में अंकित करवाया। शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविदर विक्की ने इस वीर योद्धा के जीवन संबंधी बताया कि हवलदार मदन लाल शर्मा का जन्म 4 फरवरी 1979 को माता धर्मों देवी और पिता धर्म चंद के घर गांव घरोटा में हुआ। अगस्त 1999 को यह सेना की 5 डोगरा यूनिट में भर्ती होकर देश सेवा में जुट गए। अपने 17 वर्षो के सेवाकाल के दौरान यह अधिकतर आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में ही रहे। जुलाई 2016 को इन्हें 20 डोगरा यूनिट में शामिल कर कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के नौगांव सेक्टर भेज दिया गया। 20 सितंबर 2016 को इन्हें सूचना मिली कि सीमा पार से आतंकी भारतीय सीमा में घुसपैठ कर रहे हैं। सर्च अभियान पर निकले हवलदार मदन लाल शर्मा और उनकी सैन्य टुकड़ी से आतंकियों की मुठभेड़ हो गई। मदन ने अपने साथियों सहित आतंकियों का कड़ा मुकाबला किया। इसी बीच एक गोली इनके सीने को भेदते हुए निकल गई, जिससे इस रणबांकुरे ने शहादत का जाम पिया। इनकी इस बहादुरी को देखते हुए भारत सरकार ने इन्हें मरणोपरांत सेना मैडल से सम्मानित किया। कुंवर विक्की ने बताया कि इस जांबाज सैनिक की शहादत को नमन करने के लिए 20 सितंबर को गांव घरोटा के सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल में श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें कई गणमान्य लोग व सैन्याधिकारी शामिल होकर इन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। स्कूल का नाम शहीद के नाम पर नहीं हो पाया

शहीद मदनलाल के अनेकों शहीदी समागम के दौरान कई बार स्कूल का नाम शहीद के नाम करने के एलान तो खूब हुए। लेकिन आज पांच वर्ष बीत जाने के उपरांत भी स्कूल का नाम शहीद के नाम पर नहीं हो पाया, जिससे लोगों में गहरा रोष पाया जा रहा है। उधर, सरपंच अनु बाला व पूर्व सरपंच नरेश कुमार ने कहा कि सरकार जल्द अपना किया वादा पूरा करके, इलाके का गौरव को बढ़ाए।

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