ट्रेनें चल नहीं रही, बसों के प्रवेश पर अभी भी पाबंदी

ट्रेनें चल नहीं रही और इंटर स्टेट बसें जम्मू कश्मीर में दाखिल नहीं हो रही।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 07:30 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 07:30 AM (IST)
ट्रेनें चल नहीं रही, बसों के प्रवेश पर अभी भी पाबंदी
ट्रेनें चल नहीं रही, बसों के प्रवेश पर अभी भी पाबंदी

जागरण संवाददाता, पठानकोट : ट्रेनें चल नहीं रही और इंटर स्टेट बसें जम्मू कश्मीर में दाखिल नहीं हो रही। इससे एक तरफ जिले के लोगों का कारोबार प्रभावित हो रहा है। वहीं त्योहारों में अपनों के पास जाने और आने के लिए लोगों को बेसब्री से इंतजार है। महिलाएं इस पाबंदी से खासकर परेशान हैं। उनका कहना है कि रक्षा बंधन की तरह कहीं करवाचौथ भी कोरोना की भेंट न चढ़ जाए। क्योंकि जेएंडके प्रशासन नियमों का हवाला देकर बसों को प्रवेश की अनुमति नहीं दे रहा।

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80 फीसद लोग बसों से करते हैं सफर

जेएंडके के लिए रोडवेज की 70 बसें, हिमाचल की 20 व अन्य ट्रांसपोर्ट की 30 से अधिक बसें रोजाना जम्मू के लिए जाती हैं। बसों के माध्यम से लगभग 80 फीसद लोग सफर करते हैं। इतना ही नहीं जिले के दो हजार से अधिक लोग नौकरी और कारोबार के लिए हर रोज बसों से ही जम्मू जाते और आते हैं।

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शनिवार को फैसले पर निगाह

शनिवार से अनलाक-6 भी शुरू होने वाला है। इससे प्रदेश के लोगों को फिर से इंटर स्टेट बसों का आवागमन शुरू होने की उम्मीद है। अनलाक-5 के समय केंद्रीय राज्य मंत्री ने ट्वीट कर लखनपुर में इंटर स्टेट गतिविधि पर जारी रोक हटने की बात कही थी। इसके बाद भी सरकार ने 31 अक्टूबर तक दूसरे राज्यों की परिवहन सेवा पर पूरी तरह से रोक लगा दी।

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सात महीनों से सारी गतिविधियां बंद

ट्रेनें न चलने के कारण यहां सिटी व कैट रेलवे स्टेशन पर पिछले सात माह से सारी गतिविधियां बंद हैं। विभाग ने दिल्ली से कनेक्टिविटी के उद्देश्य से राजधानी एक्सप्रेस चलाई थी, परंतु वह भी पिछले पंद्रह दिनों से किसान आंदोलन के चलते बंद पड़ी है। दोनों स्टेशनों पर करीब 150 रेलवे कर्मचारी हैं, जो ट्रेनें न चलने के कारण शांत होकर बैठे हैं।

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सरकार के फैसले का इंतजार : सुषमा

गांव मुट्ठी जागीर की नायब सरपंच सुषमा देवी का कहना है कि उनकी ननद पठानकोट में है। कोरोना के चलते वह आठ महीनों से उनके पास जा पाई है। इस दौरान हमारे घर में भी तीन फंक्शन हो गए, परंतु वह नहीं आ पाई। अब करवाचौथ का व्रत है और वह अपनी ननद को व्रत भी नहीं दे पा रही।

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दोस्तों से नहीं मिल सका : हरविद्र

इंजीनियरिग छात्र हरविद्र बनोत्रा का कहना है कि अपने दोस्तों को मिले आठ माह से अधिक का समय हो गया है। दोस्तों से मिलने को बड़ा मन करता है लेकिन, वापसी पर आना मुश्किल हो जाएगा इसी बात को देखते हुए वह सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे हैं।

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जेएंडके सुने हमारी पुकार : राकेश

लेक्चरार राकेश कुमार का कहना है कि उनके पिता रिटायर्ड तहसीलदार ब्रह्म दत्त का जालंधर में उपचार चल रहा है। लेकिन, कोरोना के चलते पिछले सात महीनों से वह डाक्टर से फोन पर बात कर यहीं से काम चला रहे हैं। उन्होंने जेएंडके सरकार से मांग करते हुए कहा कि लोगों को पेश आ रही परेशानियों को देखते हुए शीघ्र रास्ता खोला जाए।

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हमारी तैयारी पूरी: एसएस

पठानकोट डिपो के स्टेशन सुपरवाइजर सरदार हरभजन सिंह ने कहा कि हमारी पूरी तैयारी है, लेकिन जेएंडके सरकार अभी इंटर स्टेट बस सर्विस को मंजूरी नहीं दे रही। मंजूरी मिलते ही पठानकोट डिपो जम्मू व बमियाल सहित बाकी सर्विस शुरू कर देगा।

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