करवाचौथ 24 को, इस बार लाकडाउन नहीं, खरीदारी करने में जुटे दंपती
इस व्रत का इंतजार सुहागिनें पूरा वर्ष करती हैं। बता दें कि इस बार करवाचौथ कार्तिक पक्ष की चतुर्थी तिथि को आ रहा है। इस दिन भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है।
जागरण संवाददाता, पठानकोट : करवाचौथ इस बार 24 अक्टूबर को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस बार लाकडाउन नहीं इस लिए इस त्योहार को लेकर नवविवाहित युवतियों में खासा क्रेज देखा जा रहा है। वे अभी से ही करवाचौथ की तैयारियों में जुट गई हैं। करवाचौथ का पर्व सुहाग की लंबी उम्र, उसकी अच्छी सेहत व सुरक्षा के साथ जुड़ा हुआ है। इस व्रत का इंतजार सुहागिनें पूरा वर्ष करती हैं। बता दें कि इस बार करवाचौथ कार्तिक पक्ष की चतुर्थी तिथि को आ रहा है। इस दिन भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है।
वहीं इसे लेकर बाजारों में भीड़ बढ़ने लगी है। महिलाएं नए कपड़े, उपहारों की खरीदारी करती हुई नजर आ रही हैं। वहीं सर्राफा बाजार से भी महिलाओं ने आकर्षक डिजाइनों में बिछुए, पायल और अन्य गहनों की खरीदारी कर रही हैं। इस त्योहार पर सुहागिनें नए कपड़े, गहने व चूड़ियां पहनकर पति की दीर्घायु के लिए पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। ब्राइडल मेकअप किया जा रहा पसंद
ब्यूटीशियन अर्चना ने बताया कि करवाचौथ को लेकर महिलाओं में सजने-संवरने का खास क्रेज रहता है। अभी से ही महिलाओं ने ब्यूटी पार्लरों में अडवांस बुकिंग करवा ली है। ब्राइडल मेकअप को सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है। इसके अलावा महिलाएं अपनी जरूरत के अनुसार फेशियल व वैक्सिंग आदि कराने के लिए भी बुकिंग करवा रही हैं। पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं सुहागिनें
बाबा लाल दयाल मंदिर गोसाईपुर के पंडित रमेश शात्री ने बताया कि करवाचौथ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है करवा यानी मिट्टी का बर्तन और चौथे यानी चतुर्थी। इस त्योहार पर मिट्टी के बर्तन यानी करवे का विशेष महत्व माना गया है। भारतीय सनातन धर्म में सुहागिनें साल भर इस त्योहार का इंतजार करती हैं और इसकी सभी विधियों को बड़ी श्रद्धा भाव से पूरा करती है। यह व्रत पति की दीर्घायु के लिए महिलाओं द्वारा रखा जाता है। इसे लेकर बहुत सी कथाएं हैं प्रचलित हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार करवाचौथ व्रत की परंपरा देवताओं के समय से ही चली आ रही है। माना जाता है कि एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरू हो गया और उसमें देवताओं की हार हो रही थी। ऐसे में देवता गण ब्रह्मा जी के पास गए और रक्षा के लिए प्रार्थना करने लगे। तब ब्रह्मा जी ने इस संकट से बचने के लिए उन्हें गणेश चतुर्थी व्रत रखने के लिए कहा। संयोगवश उस दिन कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की संकट चतुर्थी यानी कि करवाचौथ चौथ की तिथि थी। इस कारण उस व्रत के पुण्य प्रभाव से देवताओं को विजय प्राप्त हुई और सभी राक्षस गण अपराजित हो गए। उस दिन से यह कथा लोक प्रचलित हुई और सनातन धर्म में आज भी सुहागिनें अपने पति की दीर्घायु व रक्षा के लिए इस व्रत को बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ रखती हैं।