सोमवार को शहर की सड़कों पर रेंगते दिखे वाहन, सात फाटक एक साथ बंद हो जाने से थम जाती है शहर की रफ्तार
बता दें कि पठानकोट से जोगिद्रनगर के लिए रोजाना चौदह ट्रेनें अप-डाउन चलती हैं। प्रत्येक ट्रेन के गुजरने से दस मिनट पहले शहर के सात फाटक एक साथ बंद कर दिए जाते हैं। इससे शहर दो भागों में बंट जाता है।
जागरण संवाददाता, पठानकोट: सोमवार को दिन भर शहरवासियों को जाम का सामना करना पड़ा। कारण, नैरोगेज रेलवे फाटक के बंद होने और सप्ताह का पहला दिन होने के कारण शहर की सड़कों पर ट्रैफिक ज्यादा था। दिन के वक्त शहर के वाल्मीकि चौक, रेलवे रोड, सलारिया चौक, गाड़ी अहाता चौक, डलहौजी रोड व काली माता मंदिर एरिया में सैकड़ों वाहन चालकों को जाम का सामना करना पड़ा। ट्रैफिक को सुचारु बनाने के लिए पुलिस कर्मियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
बता दें कि पठानकोट से जोगिद्रनगर के लिए रोजाना चौदह ट्रेनें अप-डाउन चलती हैं। प्रत्येक ट्रेन के गुजरने से दस मिनट पहले शहर के सात फाटक एक साथ बंद कर दिए जाते हैं। इससे शहर दो भागों में बंट जाता है। एक बार गुजरी ट्रेन के कारण पैदा हुई ट्रैफिक व्यवस्था अभी सुचारु भी नहीं होती कि दूसरी ट्रेन के पहुंचने का समय हो जाता है। उक्त रेलवे लाइन को आरओबी में तबदील करने का कई बार प्रोजेक्ट बना परंतु अभी तक इसे सिरे नहीं चढ़ाया जा सका। इसी प्रकार पठानकोट कैंट रेलवे स्टेशन का फाटक भी दिन में करीब 30 बार बंद होता है। प्रत्येक बार दस मिनट तक फाटक बंद रहता है, जिस कारण शहर की एक तिहाई आबादी को समस्या पेश आती हैं। हालांकि, उक्त फाटक पर आरओबी बनाने का काम शुरू हो चुका है। जारी वित्त वर्ष के दौरान इसे पूरा करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है। इसके बाद कम से कम एक तिहाई आबादी को ताउम्र के लिए राहत मिल जाएगी, लेकिन शहर के बीचों-बीच गुजरने वाली आबादी को कब राहत मिलेगी यह तो समय ही बताएगा। नैरोगेज को आरओबी का काम भी ठंडा
वर्ष 2016 में तत्कालीन सांसद स्व. विनोद खन्ना ने शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए पठानकोट के बीचो-बीच गुजरती नैरोगेज रेलवे लाइन को एलीवेटिड रेल लाइन में तबदील करने के लिए काम शुरू किया था। 2016 में उन्हें इसमें कामयाबी मिली। रेल मंत्रालय ने सर्वे भी करवाया, लेकिन 2017 में उनका निधन हो गया। इसके बाद स्थानीय विधायक अमित विज ने तत्कालीन सांसद सुनील जाखड़ (अब सीनियर कांग्रेस नेता) के प्रयासों से उक्त प्रोजेक्ट को की जगह आरओबी पारित करवाया। वहीं आरओबी प्रोजेक्ट के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा अपने-अपने स्तर पर डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) के तहत फंड जारी करने की बात भी कही। हालांकि पिछले करीब एक साल से इस पर न तो सत्ता और न ही विपक्ष के नेता बोल रहे हैं, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। हर बार विधान सभा व लोक सभा चुनाव में यह प्रोजेक्ट मुद्दा बनता हैं, परंतु चुनाव संपन्न होने के बाद यह फिर से ठंडे बस्ते में चला जाता है। कैंट स्टेशन पर अभी सात-आठ महीने झेलना पड़ेगा संताप
इसी प्रकार शहर के अति व्यस्त मार्गों में शुमार ढाकी रोड रेलवे फाटक पर भी दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है। बता दें कि कैंट स्टेशन से देश के विभिन्न राज्यों से जम्मूतवी, कटड़ा व उधमपुर जाने के लिए रोजाना 70 ट्रेनों का आवागमन होता है। औसतन चौबीस घंटे में 30 से अधिक बार फाटक बंद होता है। ट्रेन के गुजरने से दस मिनट पहले फाटक बंद किया जाता है। औसतन चौबीस घंटा में उक्त फाटक तीन घंटा तक बंद रहता है। हालांकि, कैंट स्टेशन पर आरओबी का 45 फीसद काम हो चुका है, परंतु अभी कम से कम उक्त मार्ग से गुजरने वालों को सात-आठ महीनों का और इंतजार करना पड़ेगा।