तीन लगेज पोर्टरों पर निर्भर है कैंट रेलवे स्टेशन के पार्सल, क्लाक रूम तक नहीं है

हालांकि विभाग की ओर से प्लेटफार्म के बाहर पार्सल शेड तो बनाई गई है लेकिन उसे अभी तक शुरू ही नहीं किया गया है। ऐसे में पार्सल अधिकारी चाहते हुए भी उक्त पार्सल को पार्सल घर में शिफ्ट नहीं कर सकते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 05:18 AM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 05:18 AM (IST)
तीन लगेज पोर्टरों पर निर्भर है कैंट रेलवे स्टेशन के पार्सल, क्लाक रूम तक नहीं है
तीन लगेज पोर्टरों पर निर्भर है कैंट रेलवे स्टेशन के पार्सल, क्लाक रूम तक नहीं है

जागरण संवाददाता, पठानकोट: फिरोजपुर रेल मंडल के ए क्लास स्टेशनों में शामिल पठानकोट कैंट स्टेशन पर यात्रियों को सी-क्लास की सुविधाएं मिलती हैं। स्टेशन पर खुले में पार्सल बिखरे पड़े रहते हैं, जिस कारण यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं स्टेशन पर क्लाक रूम की सुविधा तक नहीं है। इस कारण यात्रियों को अपना समान साथ लेकर जाना पड़ता है। हालांकि, विभाग की ओर से प्लेटफार्म के बाहर पार्सल शेड तो बनाई गई है, लेकिन उसे अभी तक शुरू ही नहीं किया गया है। ऐसे में पार्सल अधिकारी चाहते हुए भी उक्त पार्सल को पार्सल घर में शिफ्ट नहीं कर सकते हैं। बता दें कि पिछले दिनों डीआरएम फिरोजपुर सीमा शर्मा ने उक्त पार्सल घर को जल्द से जल्द शुरू करने का आदेश जारी किया था, लेकिन हालत जस की तस है। कैंट स्टेशन पर उतरते हैं 30 गाड़ियों के पार्सल

देश के विभिन्न राज्यों से जम्मूतवी, उधमपुर व कटड़ा जाने व आने वाली करीब तीस गाड़ियों से पार्सल का समान बुक होता व उतरता है। औसतन पठानकोट से रोजाना 40 से 45 नग बाहरी राज्यों के लिए बुक होते हैं। करीब 50 से अधिक नग उतरते भी हैं। उक्त नगों को लोडिग व अनलोडिग करने के लिए विभाग के पास केवल तीन ही लगेज पोर्टर हैं। एक की रेस्ट होती है ओर दो पोर्टरों पर ही सारा दारोमदार होता है। इसी कारण ट्रेन से उतारने के बाद नग प्लेटफार्म पर ही पड़े रहते हैं। एक ही कमरे में बना है पार्सल घर

आठ साल पहले रेलवे ने शहर के व्यापारियों की समस्या को देखते हुए प्लेटफार्म पर ही एक कमरे में पार्सल घर बना दिया, जिसे अभी तक स्थायी जगह नहीं मिल पाई है। आज भी पार्सल घर का सारा काम एक ही कमरे में होता है। ऐसे में बुक तथा बाहर से आने वाले पार्सलों को प्लेटफार्म पर ही प्लेस करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है। छोटे-छोट नगों को प्लेटफार्म पर ही खुले में लगा दिया जाता है, जबकि मोटरसाइकिल व अन्य व्हीकलों को प्लेटफार्म पर प्लेस करने से यात्रियों को भारी दिक्कते होती हैं। खास कर तब जब कोई ट्रेन प्लेटफार्म पर प्लेस होती है। प्लेटफार्म पर ही पार्सल बिखरा होने की वजह से यात्री जब अपना डिब्बा ढूंढते हुए आगे-पीछे होते हैं तब अक्सर लोग इनमें टकरा कर गिर जाते हैं। विभागीय नियमों के अनुसार प्लेटफार्म पर पार्सल घर नहीं बनाया का सकता। कारण वहां आने वाले वाहनों में अगर गलती से पेट्रोल रह जाए तो इससे दुर्घटना भी हो सकती है। इसके अलावा सामान की हिफाजत के लिए एक अलग सा पार्सल गोदाम होता है।

सामान जमा करवाने के लिए पर्यटक ढूंढते रहते हैं क्लाक रूम

कैंट स्टेशन पर रेलवे आज तक क्लाक रूम की सुविधा मुहैया नहीं करवा पाया है। देश के विभिन्न राज्यों से पंजाब, हिमाचल प्रदेश व जम्मू-कश्मीर के पर्यटक स्थलों पर आने वाले पर्यटक जब क्लाक रूम में सामान जमा करवाने के लिए पूछते हैं तो जवाब मिलता है कि यहां क्लाक रूम की सुविधा ही नहीं है। जबकि नियमों के अनुसार ए क्लास स्टेशनों पर यह सुविधा होना जरूरी है। क्लाक रूम की सुविधा न होने के कारण पर्यटकों को अपना सामान रखने के लिए होटलों अथवा चाय-पानी के लिए आगे पीछे होते वक्त होने पर अपना सामान साथ लेकर जाना पड़ता है। उच्चाधिकारियों के ध्यान में है समस्या

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि स्टाफ की कमी और पार्सल घर के लिए अतिरिक्त शेड न होने की बात उच्चाधिकारियों के ध्यान में है। इस पर वह अपने स्तर पर कुछ नहीं कह सकते।

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