डाक्टर्स आन स्ट्राइक: एक्स-रे के लिए एक घंटे तक स्ट्रेचर पर पड़ा रहा मरीज

हड़ताल के दौरान जोगिदर सिंह नाम का मरीज सिविल पहुंचा। उसका मोटरसाइकिल के साथ एक्सीडेंट हो गया था। इमरजेंसी में मौजूद डाक्टरों ने उसे एक्स-रे करवाने को कहा। जब स्ट्रेचर पर परिवारिक सदस्य उसे एक्स-रे वार्ड के बाहर ले गए तो पता चला कि रेडियोग्राफर भी हड़ताल में गए हैं। वो एक घंटे तक स्ट्रेचर पर ही रहा। एक घंटे बाद स्टाफ आया और उसका एक्स-रे हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 06:18 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 10:18 PM (IST)
डाक्टर्स आन स्ट्राइक: एक्स-रे के लिए एक घंटे तक स्ट्रेचर पर पड़ा रहा मरीज
डाक्टर्स आन स्ट्राइक: एक्स-रे के लिए एक घंटे तक स्ट्रेचर पर पड़ा रहा मरीज

संवाद सहयोगी, पठानकोट : एनपीए को लेकर सरकारी चिकित्सकों की ओर से की जा रही हड़ताल के चलते आम जनता पिस रही है। 'सुत्ती सरकारे जाग, अपना घंमड त्याग' के नारे से सिविल अस्पताल गूंजा रहा था। सरकार की तरफ से भी अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। सोमवार को सेहत विभाग के सभी कर्मचारियों और डाक्टरों ने हड़ताल का समर्थन करते हुए कामकाज पूरी तरह से ठप रखा। वहीं डाक्टरों ने कहा है कि अगले दो दिन तक इसी तरह हड़ताल जारी रहेगी।

वहीं हड़ताल के दौरान जोगिदर सिंह नाम का मरीज सिविल पहुंचा। उसका मोटरसाइकिल के साथ एक्सीडेंट हो गया था। इमरजेंसी में मौजूद डाक्टरों ने उसे एक्स-रे करवाने को कहा। जब स्ट्रेचर पर परिवारिक सदस्य उसे एक्स-रे वार्ड के बाहर ले गए तो पता चला कि रेडियोग्राफर भी हड़ताल में गए हैं। वो एक घंटे तक स्ट्रेचर पर ही रहा। एक घंटे बाद स्टाफ आया और उसका एक्स-रे हुआ।

गौर हो कि हड़ताल को लैब टेक्नीशियन, सिविल सर्जन कार्यालय स्टाफ, क्लेरिकल स्टाफ, पैरा मेडिकल स्टाफ, फार्मासिस्ट यूनियन, रेडियोग्राफर यूनियन आदि यूनियनों का समर्थन है। सुबह ही सिविल सर्जन कार्यालय भी बंद करवा दिया गया था। सिविल में सरकारी व पैरलल ओपीडी, ब्लड टेस्टिग, दवाएं न मिलना, जनरल मेडिकल, एक्सरे, जनरल लैब, आयुष्मान कार्ड, असलहा लाइसेंस, ड्राइविग लाइसेंस, दिव्यांग प्रमाण पत्र आदि कई प्रकार की मेडिकल सुविधा बंद होने से काम प्रभावित हुए। इसके बाद सिविल सर्जन डा. हरविदर सिंह और एसएमओ डा. राकेश सरपाल ने भी डाक्टरों की हड़ताल में समर्थन किया।

दूसरी ओर सुबह से ही काफी संख्या में मरीज भी अपना चेकअप करवाने व अन्य जरूरी काम के लिए सिविल पहुंचे, लेकिन मेडिकल सुविधा की जगह निराशा उनके हाथ लगी। हड़ताल के दौरान इमरजेंसी वार्ड में सिर्फ नाम की सेवाएं चालू थीं, क्योंकि इमरजेंसी में आए लोगों को भी उपचार के लिए इधर-उधर भटकना पड़ा है। कइयों के ब्लड टेस्ट होने से उपचार नहीं हो पाया। इमरजेंसी में तीन एक्स-रे, जनरल लैब में 25 लोगों की टेस्टिग, 110 लोगों की ओपीडी हुई। बाकी सभी सेवाएं ठप होने से कोई काम नहीं हुआ।

पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (पीसीएमएसए) के जिला प्रधान मदर मट्टू, डा. सुनील चंद, डा. पुनीत गिल, डा. शारिन धीमान, डा. अभय गर्ग सहित कई अन्य डाक्टरों का कहना है कि सरकार की ओर से एनपीए में कटौती कर डाक्टरों के साथ बेइंसाफी की है। सिर्फ एक डाक्टर ही है जो सभी परिस्थितियों से लड़कर लोगों की सुरक्षा में अपना जीवन दाव पर लगा देते है। ऐसे में वह अपने परिवार को भी समय नहीं दे पाते।

डाक्टर सरकार से और मरीज डाक्टरों से नाराज

आंखों के आपरेशन के लिए दिया था सोमवार का समय, नहीं हुआ

सिहोड़ा कलां निवासी 60 वर्षीय सोमराज ने कहा कि उसकी दोनों आंखों की रोशनी बहुत कम हो गई है। 28 जुलाई को सिविल में पैरलल ओपीडी दौरान डाक्टर से आंखों की जांच करवाई थी। इसके बाद उन्होंने आपरेशन के लिए सोमवार का समय दिया था। वह एक मजदूर है और इतनी दूर से बार-बार अस्पताल के चक्कर काटने से उसे बारी खर्च का सामना करना पड़ता है। डाक्टरों को मरीजों की बढ़ती समस्या की तरफ ध्यान देते हुए उनका उपचार करना चाहिए। आंखों की करवानी थी जांच, अब और चला नहीं जाता

पठानकोट निवासी 73 वर्षीय छज्जू राम ने बताया कि उन्हें आंखों की समस्या होने पर वह जांच करवाना चाहते थे और इसी दौरान वे सिविल में अपनी आंखों की जांच करवाने के लिए आए हैं, लेकिन डाक्टर हड़ताल पर होने के कारण उन्हें खाली हाथ घर को वापस जाना पड़ रहा है। बढ़ती उम्र के चलते अब चला भी नहीं जाता पति की टौंग टूट गई है, आयुष्मान कार्ड बनवाना था

सैली कुलियां निवासी शीला देवी ने बताया कि उसके पति की एक टांग टूटी हुई है और वे खुद भी बीमार रहती हैं और गरीब परिवार से संबंध रखती है। इसी दौरान वे आष्युमान कार्ड बनाने के लिए सिविल अस्पताल आई थी। हड़ताल होने के कारण उसका आयुष्मान कार्ड नहीं बन पाया और उसे खाली हाथ घर को वापस लोटना पड़ा है।

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