स्वच्छता सर्वेक्षण में 151 पायदान चढ़ा पठानकोट, पिछले वर्ष 257 रैंक था
नगर निगम के मेडिकल आफिसर डाक्टर एनके सिंह ने बताया कि स्वच्छता सर्वेक्षण में पठानकोट और बेहतर कर सकता था पर फिलहाल पठानकोट में एक ही मैटीरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) यूनिट स्थापित किया जा सका है वो भी अधूरा है।
जागरण संवाददाता, पठानकोट: स्वच्छ भारत सर्वेक्षण में 2020 में 257वें पायदान पर रहे पठानकोट शहर ने बीते एक साल में सफाई के मामले में काफी ऊंची छलांग लगाई है। 2021 के स्वच्छ भारत सर्वेक्षण में पठानकोट ने सीधे 151 पायदान चढ़ते हुए 106वां रैंक हासिल किया है। इसके साथ ही 2020 में पठानकोट को पंजाब के शहरों में 9वां स्थान हासिल हुआ था। पर 2021 में पठानकोट ने इसमें भी बेहतर प्रदर्शन कर छठा स्थान हासिल किया है।
नगर निगम के मेडिकल आफिसर डाक्टर एनके सिंह ने बताया कि स्वच्छता सर्वेक्षण में पठानकोट और बेहतर कर सकता था, पर फिलहाल पठानकोट में एक ही मैटीरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) यूनिट स्थापित किया जा सका है वो भी अधूरा है, जबकि सूखे कचरे के निस्तारण के लिए शहर में सात एमआरएफ स्थापित किए जाने हैं। इसके चलते सूखे कचरे का निस्तारण करने के मामले में भेजी गई रिपोर्ट से पठानकोट शहर की सर्वेक्षण में रैंकिग पर खासा नकारात्मक असर पड़ा। निगम के चीफ सैनिटरी इंस्पेक्टर जानू चलोत्रा ने बताया कि गीले कचरे (किचन वेस्ट) के निस्तारण के लिए शहर में 163 कंपोजिट पिट बनवाए गए हैं। इसका भी सर्वेक्षण में पठानकोट का लाभ मिला। स्वच्छता सर्वेक्षण में पठानकोट शहर पहली बार 2017 में शामिल हुआ था। इसके बाद से लगातार पठानकोट की रैंकिग में सुधार किया जा रहा है।
बतों दे कि ओडीएफ (ओपन डेफेकेशन फ्री) अथवा जीएफ (गारबेज फ्री) श्रेणी में पठानकोट को काफी अच्छे अंक हासिल हुए थे। इसके साथ ही सिटिजंस वायस (पब्लिक फीडबैक) में भी पठानकोट को काफी अच्छे अंक हासिल हुए थे। सर्विस लेवल में भी पठानकोट की स्थिति बेहतर रही। डाक्टर एनके सिंह ने बताया कि अगले साल के स्वच्छता सर्वेक्षण से पहले एमआरफ स्थापित करने की कोशिश रहेगी। ऐसा होने पर पठानकोट के देश के पहले दस साफ शहरों की लिस्ट में आने की संभावना बढ़ जाएगी। किसमें कितने अंक मिले:
ओडीएफ अथवा जीएफ में 500
पब्लिक फीडबैक में 1187
सिर्वस लेवल प्रोग्राम में 1508
कुल छह हजार में से 3195 अंक मिले पठानकोट को।
कम नहीं थीं चुनौतियां..
नगर निगम पठानकोट में सैनिटरी इंस्पैक्टरों के दस पदों से नौ पद खाली पड़े हैं। असिस्टेंट मेडिककल अफसर के चारों पद खाली पड़े हैं। सफाई कर्मचारियों के 119 पद खाली पड़े हैं। सीवर मैन के 22 पद खाली पड़े हैं। इसके साथ ही निगम के पास कोई रोड स्वीपिग मशीन नहीं है। कचरा उठाने के लिए रेहड़ियों की कमी होने के साथ ही ट्रैक्टर-ट्रालियों की भी कमी है।