प्रदेशभर के स्कूलों में 2003 से संस्कृत का कोई अध्यापक नहीं रखा गया : शास्त्री

अखिल भारतीय सनातन धर्म पथ परिषद पठानकोट की ओर से कोविड-19 के चलते आनलाइन सभा का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 04:00 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 04:00 AM (IST)
प्रदेशभर के स्कूलों में 2003 से संस्कृत का कोई अध्यापक नहीं रखा गया : शास्त्री
प्रदेशभर के स्कूलों में 2003 से संस्कृत का कोई अध्यापक नहीं रखा गया : शास्त्री

जागरण संवाददाता, पठानकोट: अखिल भारतीय सनातन धर्म पथ परिषद पठानकोट की ओर से कोविड-19 के चलते आनलाइन सभा का आयोजन किया गया। परिषद के संयोजक पंडित राकेश शास्त्री व प्रधान आचार्य सतीश शास्त्री ने कहा कि पंजाब में संस्कृत जोकि वैदिक एवं भारत की मूल भाषा है तथा जिसे समूचा विश्व मानता है, इसी भाषा के द्वारा ही हिदू धर्म के 16 संस्कारों की पूर्ति होती है। पंजाब प्रदेश में यह भाषा पूर्णतय: समाप्त की जा चुकी है। प्रदेशभर के स्कूलों में वर्ष 2003 से लेकर संस्कृत का कोई अध्यापक नहीं रखा गया, जोकि हिदू वर्ग के लोगों के लिए महान चिता का विषय है।

उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा को सभी स्कूलों में पढ़ाने के लिए सरकार व प्रशासन को कहा जाएगा। उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार भारत में संस्कृत भाषा के अध्ययन को बंद नहीं कर सकती। अगर ऐसा हुआ तो विवश होकर परिषद को संघर्ष का पथ चयन करना होगा। इस विशाल सभा में मुख्य केंद्र पदाधिकारी उपाध्यक्ष रूपलाल शास्त्री, जम्मू के अध्यक्ष डा. चंद्र मौली रैना, डा. विनोद जम्मू, विश्वा शर्मा, ज्ञान बृज नंदन शास्त्री मुकेरियां, अरविद नूरपुर, सतपाल नूरपुर, सतपाल पलाखी इंदौरा, मणिकरण मोहटली, अमित कुमार प्रधान धारीवाल, अनिल कुमार, राजगुरु एवं सुदेश बहरामपुर, सतपाल, रोहित शास्त्री, धनेरा से शिवकुमार, श्याम लाल, पुष्पराज प्रिसिपल संस्कृत कॉलेज दुर्गियाना मंदिर अमृतसर, मुकेश श्रीवास्तव (कानपुर यूपी), संदीप जांगिड़ (जोधपुर राजस्थान), ओंमकार मिश्रा (इटावा यू पी), श्यामदेव पालीवाल (जैसलमेर राजस्थान), आचार्य रोहित शास्त्री (दुरंगखड्ड-दुनेरा) आदि अनेक विद्वानों ने सभा के समापन पर संकल्प लिया कि भारतवर्ष के किसी भी राज्य में संस्कृत भाषा की अवहेलना स्वीकार नहीं की जाएगी।

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