पठानकोट-जोगिंद्रनगर ट्रैक पर दौड़ेंगे नए इंजन

पठानकोट 92 वर्ष पुराने पठानकोट-जोगिद्रनगर रेल सेक्शन पर पुराने इंजनों के स्थान पर उच क्षमता वाले इंजन दौड़ना शुरू होंगे। इसके लिए रेलवे द्वारा भेजे गए पांचों इंजनों का ट्रायल हो चुका है। लेकिन कोरोना के चलते अभी केवल एक ही ट्रेन दौड़ रही है। जिस कारण इन इंजनों को अभी ट्रैक पर नहीं दौड़ाया जा रहा है। आगामी दिनों में एक-एक कर सारी ट्रेनें बहाल होने पर नए इंजन लगाकर ट्रैक पर दौड़ाने का कार्यक्रम फाइनल हो रहा है। नए इंजन से यात्रियों को अभी तक पुराने इंजनों के बीच रास्ते हांफ जाने के कारण पेश आने वाली परेशानियों से निजात मिलेगी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 11:21 PM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 06:31 AM (IST)
पठानकोट-जोगिंद्रनगर ट्रैक पर दौड़ेंगे नए इंजन
पठानकोट-जोगिंद्रनगर ट्रैक पर दौड़ेंगे नए इंजन

विनोद कुमार, पठानकोट

92 वर्ष पुराने पठानकोट-जोगिद्रनगर रेल सेक्शन पर पुराने इंजनों के स्थान पर उच्च क्षमता वाले इंजन दौड़ना शुरू होंगे। इसके लिए रेलवे द्वारा भेजे गए पांचों इंजनों का ट्रायल हो चुका है। लेकिन, कोरोना के चलते अभी केवल एक ही ट्रेन दौड़ रही है। जिस कारण इन इंजनों को अभी ट्रैक पर नहीं दौड़ाया जा रहा है। आगामी दिनों में एक-एक कर सारी ट्रेनें बहाल होने पर नए इंजन लगाकर ट्रैक पर दौड़ाने का कार्यक्रम फाइनल हो रहा है। नए इंजन से यात्रियों को अभी तक पुराने इंजनों के बीच रास्ते हांफ जाने के कारण पेश आने वाली परेशानियों से निजात मिलेगी। -------------

हांफ जाते हैं पुराने इंजन

रेलवे अधिकारियों के अनुसार एक इंजन की आयु 30 वर्ष मानी गई है। लिहाजा, चल रहे सभी इंजन अपनी आयु पूरी कर चुके हैं। जिन्हें रेलवे ओवरहालिग करके ट्रैक पर चला रहा है। पठानकोट रेलवे को 1981 के बाद कोई नया रेल इंजन नहीं मिला है। जिस कारण वर्किंग में चल रहे करीब सभी 13 इंजन अपनी आयु पूरी कर चुके हैं। पठानकोट रेलवे द्वारा पिछले दस वर्षो से सेक्शन को दुरुस्त करने के लिए 12 इंजनों की मांग की गई थी। जिस पर डेढ़ वर्ष पहले विभाग ने एक-एक कर नए इंजन भेजने का काम शुरू किया था।

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1927 में शुरू हुआ था ट्रैक का कार्य

जोगिद्रनगर में हाईड्रो प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य के लिए सामग्री पहुंचाने के लिए ही पठानकोट-जोगिद्रनगर नैरोगेज ट्रैक का निर्माण कार्य 1927 में शुरू किया गया था। दो वर्ष में ही बिना मशीनों के प्रयोग से केवल मैनपावर की सहायता से 164 किलोमीटर लंबे ट्रैक का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया। जब तक प्रोजेक्ट के बांध का काम चलता रहा, तब तक ट्रैक पर मालगाड़ी ही चलाई जाती थी। बाद में पैसेंजर ट्रेन बैजनाथ तक स्टीम इंजन से चलाई गई। 1972 में फिरोजपुर रेल मंडल ने स्टीम इंजन बंद कर सेक्शन पर डीजल इंजनों से रेलगाड़ियां शुरू कर दी थी।

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मुंबई की परेल वर्कशाप से आए हैं पांचों नए इंजन

दिसंबर 2019 में रेलवे ने पठानकोट के लिए सबसे पहले 715 नंबर का नया डीजल इंजन भेजा था। वर्तमान में चल रहे पुराने इंजनों की तुलना में इसकी यहां क्षमता ज्यादा है। वहीं इसके दोनों ओर ड्राइवर का कैबिन बना हुआ है। इससे ट्रेन को बिना शंट किए जिस मर्जी ओर से इंजन लगाकर चलाया जा सकता है। वर्तमान में चल रहे इंजनों को दूसरी साइड पर लगाने से पहले शंट करना पड़ता है। इसके बाद धीरे-धीरे मुंबई की परेल वर्कशाप से 716, 717, 719 व 720 नंबर के नए डीजल इंजन आए हैं। ये सारे इंजन लाकडाउन के दौरान आए हैं। उक्त पांच से चार का ट्रायल हो चुका है। एक का ट्रायल आगामी दिनों में होने वाला है।

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रेल सेक्शन पर दौड़ती हैं 14 ट्रेनें

यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए रेलवे द्वारा पठानकोट-जोगिद्रनगर रेल सेक्शन पर रोजाना 14 ट्रेनों (अप-डाउन) का संचालन होता है। रेल सेक्शन पर रोजाना करीब दस हजार से अधिक यात्री सफर करते हैं। रेल और बस के किराये में सात गुणा से भी अधिक अंतर होने की वजह से लोग रेल के सफर को ही प्राथमिकता देते हैं। पिछले वर्ष मार्च में कोरोना के चलते रेल सेक्शन पूरी तरह से बंद पड़ा था। हालांकि गत सप्ताह रेलवे ने एक्सप्रेस किराये के साथ एक ट्रेन (अप-डाउन) शुरू की हैं। उम्मीद है कि इसी माह या फिर अप्रैल में एक-एक कर सभी 14 ट्रेनें बहाल हो जाएंगी।

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ये हैं मुख्य स्टेशन

पठानकोट-जोगिद्रनगर नैरोगेज रेल सेक्शन पर नूरपुर रोड, तलाड़ा, ज्वांवाला शहर, हड़सर, नगरोटा सूरियां, गुलेर, ज्वालामुखी रोड, कोपरलहाड़, कांगड़ा, चामुंडा मंदिर, नगरोटा बगवां, मारंडा, पालमपुर, सूलह, एहजू, बैजनाथ, पपरोला व जोगिद्रनगर मुख्य स्टेशन हैं।

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रेल सेक्शन पर एक नजर

-164 किलोमीटर लंबे ट्रैक को ब्रिटिश सरकार ने दो वर्ष के कार्यकाल में पूरा करवाया।

-सेक्शन पर दो सुरंगें, 54 फाटक व 950 के करीब पुलियां व पुल हैं।

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