मुखर्जी का जीवन कार्यकर्ताओं के लिए अनुकरणीय : अश्वनी शर्मा

भारत की एकता एवम अखंडता के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले प्रखर राष्ट्रवादी विचारक महान शिक्षाविद व जनसंघ के संस्थापक डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के 68वें बलिदान दिवस पर भाजपा ने श्रद्धांजलि भेंट की।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 10:19 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 10:19 PM (IST)
मुखर्जी का जीवन कार्यकर्ताओं के लिए अनुकरणीय : अश्वनी शर्मा
मुखर्जी का जीवन कार्यकर्ताओं के लिए अनुकरणीय : अश्वनी शर्मा

संवाद सहयोगी, माधोपुर: भारत की एकता एवम अखंडता के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले प्रखर राष्ट्रवादी विचारक, महान शिक्षाविद व जनसंघ के संस्थापक डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के 68वें बलिदान दिवस पर भाजपा ने श्रद्धांजलि भेंट की। इस दौरान पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा, जिला भाजपा अध्यक्ष विजय शर्मा, राष्ट्रीय भाजपा सचिव तथा प्रदेश भाजपा सह-प्रभारी डा. नरेंदर सिंह, पूर्व मंत्री मास्टर मोहन लाल, मनोरंजन कालिया, पूर्व विधायिका सीमा देवी, विधायक दिनेश सिंह बब्बू, प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश बागा, नरेंद्र परमार, राकेश शर्मा, सोशल मीडिया जिला अध्यक्ष विदा सैनी ने डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। वहीं मुखर्जी के बलिदान दिवस पर पौधारोपण कर पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया गया।

इस अवसर पर अश्वनी शर्मा ने कहा कि डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जीवन कार्यकर्ताओं के लिए अनुकरणीय है। राजनीति की अलख जगाने वाले डा. मुखर्जी ने सबसे पहले जम्मू-कश्मीर में लगी धारा 370 के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने नेहरू की तुष्टीकरण की नीति का विरोध किया। मुखर्जी ने नेहरू मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर गुरु गोलवलकर के साथ चर्चा कर जनसंघ का गठन किया। देश की एकता और अखंडता का जो पाठ मुखर्जी ने पढ़ाया था। मुखर्जी के पार्टी, राजनीति व समाज में योगदान को हमेशा याद किया जाता है। अपने संकल्प को पूरा करने के लिए वह जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े थे। वहां पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नजरबंद कर दिया गया, जहां 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई। मुखर्जी ने नारा दिया था कि देश में 'दो सविधान, दो निशान व दो प्रधान' नहीं चलेंगे और आज जम्मू-कश्मीर में बिना परमिट के जाने का श्रेय भी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को ही जाता है। शर्मा ने सभी को डा. मुखर्जी के दर्शाए हुए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।

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