मनुष्य को अपनी शक्ति को लोक हित में लगाना चाहिएं: अशोक शास्त्री
उन्होंने कहा कि आदमी जैसा सोचता है वैसी ही आभा उसके शरीर के इर्द-गिर्द बनती है। ऐसे ही बाहरी वातावरण से ऐसे ही सजातीय संस्कारों को भी आकर्षित करती है।
संवाद सहयोगी, घरोटा: मनुष्य को अपनी शक्ति को स्वार्थ में नहीं अपितु लोक हित में लगाना चाहिए। यह विचार कथावाचकअशोक शास्त्री ने गावं पच्चोवाल में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कहे। श्री लक्ष्मी नारायण पावन धाम में स्वामी रामानंद जी चैतन्य के नेतृत्व में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अशोक शास्त्री ने सनातन धर्म, संस्कृति, ग्रंथों, हिदु संतों, मूल्यों पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि आदमी जैसा सोचता है वैसी ही आभा उसके शरीर के इर्द-गिर्द बनती है। ऐसे ही बाहरी वातावरण से ऐसे ही सजातीय संस्कारों को भी आकर्षित करती है। आपकी आभा सुंदर और सुहावनी है तो उसी प्रकार की आभा और विचार आपकी और खिच आते हैं। इसलिए आपने विचारों को सुंदर व स्वच्छ रखें। इस मौके समाजिक कुरीतियों के अतिरिक्त मुनष्यों को चरित्रवान व नैतिक मूल्यों से संपन्न होने को प्रेरित किया। उन्होने युवाओं को रोजाना सूर्य नमस्कार, योग करने के अतिरिक्त तिलक धारन करने, प्राणायाम करने को भी प्रेरित किया। जिस से शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहा जा सके।