सिविल अस्पताल में एंटी बायोटिक, खांसी और दर्द की दवा नहीं

सर्दी के मौसम में जहां सर्दी, जुकाम, खांसी आदि बीमारियां लोगों को जकड़ रहीं हैं तो वहीं सिविल अस्पताल में पिछले एक महीने से सरकार ने दवाईयां भेजनी ही बंद कर दी हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Dec 2018 01:05 AM (IST) Updated:Tue, 18 Dec 2018 01:05 AM (IST)
सिविल अस्पताल में एंटी बायोटिक, खांसी और दर्द की दवा नहीं
सिविल अस्पताल में एंटी बायोटिक, खांसी और दर्द की दवा नहीं

संस, पठानकोट : सर्दी के मौसम में जहां सर्दी, जुकाम, खांसी आदि बीमारियां लोगों को जकड़ रहीं हैं तो वहीं सिविल अस्पताल में पिछले एक महीने से सरकार ने दवाईयां भेजनी ही बंद कर दी हैं। आलम यह है कि सिविल अस्पताल में दवाईयों का 30 प्रतिशत स्टॉक आधा-अधूरा रह गया है। सिविल की डिस्पेंसरी से मिलने वाली करीब 159 दवाइयों में 50 दवाइयां ऐसी हैं जिनका बचा-कुचा स्टॉक ही बाकी रहा गया है। जितना स्टॉक अस्पताल के पास होना चाहिए उतना जमा नहीं है। ऐसे में मरीजों को डॉक्टरों द्वारा लिखी गईं सारी दवाएं नहीं मिल रहीं हैं और वह अधूरी डोज के साथ ही घरों को लौट रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि दवाइयां ही नहीं बल्कि फ‌र्स्ट एड से लेकर इंजेक्शनों की कमी भी सामने आ रही है। सबसे ज्यादा डिमांड में रहने वाले एंटी बायोटिक, खांसी की दवा, पेन किलर, आयरन की दवा, कैल्शियम, अटैक की दवा समेत जच्चा-बच्चा के लिए जरूरी कुछ दवाएं भी नहीं हैं। काबिलेगौर हो कि सिविल अस्पताल पठानकोट न सिर्फ जिला पठानकोट के लोगों के लिए ईलाज का केंद्र है बल्कि जेएंडके एंव हिमाचल प्रदेश के साथ लगते क्षेत्रों के भी कई लोग यहां पर ईलाज के लिए आते हैं। ऐसे में सिविल अस्पताल क्षेत्र के प्रमुख अस्पतालों में एक है। रोजाना सैंकड़ों की संख्या में लोग यहां आते हैं। लेकिन जब ओपीडी की पर्ची कटवाने से लेकर अन्य सारी सरकारी औपचारिकताओं को पूरा करके काफी देर लाईन में खड़ा रहने और डाक्टर से चेकअप करवाने के बाद भी लोगों को आधी-अधूरी डोज लेकर घर लौटना पड़े तो स्वाभाविक सी बात है ऐसी व्यवस्था के साथ शायद ही मरीजों के तंदरूस्त होने की उम्मीद की जा सकती है।

चार बार की डिमांड, फिर भी नहीं मिली दवाएं

दवाईयों के स्टॉक में आई भारी कमी के बाद से सिविल अस्पताल प्रबंधन 4 बार सरकार को लिखित में दवाईयों की मांग भेज चुका है। अस्पताल की ओर से कई प्रकार की दवाओं की सख्त जरूरत बताते हुए सरकार से दवाएं मांगीं गईं हैं। लेकिन एक महीने बाद भी सरकार ने दवाओं का स्टॉक नहीं भेजा है। हालात ऐसे हैं कि काम चलाने के लिए सिविल अस्पताल प्रबंधन ने अस्पताल के खर्च से दवाएं खरीदनी शुरू कर दीं हैं। लेकिन अस्पताल प्रबंधन के सूत्रों की मानें तो सरकार द्वारा अगर लंबे समय तक दवाएं न भेजीं गईं तो अस्पताल प्रबंधन की ओर से ज्यादा देर तक इन दवाओं को अपने स्तर पर खरीद कर मरीजों में बांटना मुश्किल हो जाएगा।

नशा छुड़ाने की दवाएं बिल्कुल खत्म

सबसे अधिक परेशानी सिविल अस्पताल के नशा मुक्ति केन्द्र में नशा छोड़ने के लिए आ रहे लोगों को हो रही है। सिविल अस्पताल में नशा मुक्ति की दवाएं बिल्कुल खत्म हो गईं हैं। न तो सिविल में ट्रॉमाडोल मिल रही है और न ही मैल्ट्रिक दवा। कई दिन पहले इन दवाइयों का पूरा स्टॉक ही खत्म हो गया। नशा छुड़ाओ केंद्र की इंचार्ज एवं मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सोनिया मिश्रा ने बताया कि दवाईयों की कमी को पूरा करने की मांग प्रबंधन से की जा चुकी है लेकिन हल नहीं हुआ।

ब्लड प्रेशर कंट्रोल के इंजेक्शन भी नहीं

सिर्फ दवाईयों ही नहीं बल्कि सिविल अस्पताल में टीकों की भी भारी कमी आ रही है। सिविल अस्पताल के स्टॉक रजिस्टर के अनुसार क्रम नं 1 से लेकर 48 तक लगभग हर प्रकार के टीकों का स्टॉक कम है। इनमें मुख्य तौर पर ब्लड प्रेशर कंट्रोल एंव एंटीबायोटिक के इंजेक्शन हैं। इसके अलावा अन्य बीमारियों के रोकथाम के लिए जरूरी टीके भी भारी मात्रा में कम हैं, जिससे काफी ज्यादा परेशानी मरीजों को पेश आ रही है।

डॉक्टर ने लिखीं पांच दवाएं, मिलीं सिर्फ दो : शांति देवी

गांव पंजोड़ की शांति देवी ने बताया कि उनकी बहू की डिलीवरी हुई है। बीते रविवार को जब वह दवा लेने आई तो रविवार होने के कारण उन्हें वापिस भेज दिया गया आज सोमवार को फिर से वह दवा लेने आईं हैं लेकिन पांच दवाओं की पर्ची में सिर्फ 2 ही दवाएं मिलीं हैं। बाकी की दवाएं मजबूरन बाहर से खरीदनी पड़ेंगी।

नहीं मिली इंफेक्शन की दवा : सुनील

गांव नरोट जैमल ¨सह से अपनी मां का उपचार करवाने आए सुनील ने बताया कि उनकी मां को इंफेक्शन हो गई है। चेकअप तो यहां पर हो गया है। चेकअप के बाद डाक्टर ने पर्ची पर दो दवाएं भी लिख कर दे दीं हैं, लेकिन सिविल की डिस्पेंसरी से उन्हें दवा नहीं मिली है। अधूरे ईलाज की ही यहां पर व्यवस्था है।

अधूरी डोज से कैसे होंगे ठीक : राजकुमार

मोहल्ला भदरोआ के रहने वाले राजकुमार ने बताया कि उनके पेट में जलन हो रही थी। डाक्टर ने चेकअप कर दो दवाएं प्रिस्क्रिप्शन पर लिख कर दीं हैं। लेकिन एक ही दवा डिस्पेंसरी से मिली है। अधूरी डोज लेकर वह कैसे ठीक होंगे यह तो सिविल अस्पताल प्रबंधन ही जानता होगा।

स्टॉक को किया जा रहा है मैनेज : एसएमओ

सिविल अस्पताल के सीनियर मेडिकल अफसर डाक्टर भूपिन्द्र ¨सह ने यह माना की सरकार दवाईयों की सप्लाई में देरी कर रही है। दवाईयों की जरूरत के अनुसार दवाईयां मुहैया नहीं हो रहीं हैं। परन्तु मरीजों को भी कोई समस्या पेश नही आने दी जा रही है। अस्पताल के खर्च से ही दवाएं खरीद कर स्टॉक मैनेज किया जा रहा है।

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