900 साल पुराना है नगरी स्थित माता बाला सुन्दरी मंदिर
नगरी स्थित माता बाला सुंदरी मंदिर में श्रद्धालुओं का आना नवरात्रों में लगातार जारी रहता है।
नगरी स्थित माता बाला सुंदरी मंदिर में श्रद्धालुओं का आना नवरात्रों में लगातार जारी रहता है। नवरात्रों में यहां जम्मू कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश व दिल्ली के साथ-सथ देश भर से श्रद्धालु माता के मंदिर में माथा टेकने आते हैं व माता रानी उनकी मनोकामना पूर्ण करती है। मंदिर का इतिहास
माता बाला सुंदरी मंदिर का इतिहास 900 वर्ष पुराना है। माता बाला सुंदरी को माता वैष्णो देवी की बहन का स्वरूप माना जाता है। मंदिर परिसर में माता बाला व माता सुंदरी पिडी के रूप में प्रकट हुई थी। यह मंदिर स्वयंभू मंदिर है। उस समय राजा आनंदपाल को माता रानी ने स्वप्न में आकर दर्शन दिए थे और बताया था कि इस समय वह पिडी रूप में मंदिर में विराजमान है। उसी समय आनंदपाल ने यहां पहुंच कर पूजा आराधना शुरू कर दी और मंदिर का भव्य निर्माण करवाया गया। कहा जाता हे कि मोहम्मद गौरी की सेना पहाड़ी क्षेत्र के बिलावर के एक मंदिर से लूटपाट करके यहां से गुजर रही थी। यहां पहुंचते ही पूरी सेना अंधी हो गई तब मोहम्मद गौरी की ओर से माता रानी के दरबार में अपनी भूल का पश्चाताप किया गया था। यहां माता रानी के मंदिर में राम भक्त हनुमान की विशाल प्रतिमा भी विराजमान है। तैयारियां
मंदिर कमेटी के पुजारी कमल पुरी बताते हैं कि वैसे तो मंदिर में लोगों का आना पूरा साल लगा रहता है। लेकिन नवरात्रों दिनों में यहां भ़क बहुत होती है। लाइनें लगाकर लोग माता के दर्शन करते हैं। उन्होंने बताया कि पहले नवरात्र से लेकर नवमीं तक यहां लंगर लगे रहते हैं। यहां भक्त माता के श्री चरणों में शीश झुका कर मनोकामना पूरी करते हैं। यहां पर प्रसाद और लंगर का भी विशेष प्रबंध नवरात्रों में किया जाता है। वैसे हर मंगलवार को यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।