मुक्तेश्वर धाम में सोमवती अमावस पर उमड़ा सैलाब

हिदू धर्म की लगभग 5508 साल पुरानी प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर पर हर वर्ष साल में लगभग दस बार काफी संख्या में श्रद्धालु नतमस्तक होने आते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 05:20 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 05:20 PM (IST)
मुक्तेश्वर धाम में सोमवती अमावस पर उमड़ा सैलाब
मुक्तेश्वर धाम में सोमवती अमावस पर उमड़ा सैलाब

संवाद सहयोगी, जुगियाल : हिदू धर्म की लगभग 5508 साल पुरानी प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर पर हर वर्ष साल में लगभग दस बार काफी संख्या में श्रद्धालु नतमस्तक होने आते हैं। इसी के तहत सोमवार को सोमवती अमावस के पवित्र स्नान पर श्रद्धालु काफी संख्या में सुबह चार बजे आना शुरू हो गए। शाम ढलने तक लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने रावी नदी में पवित्र स्नान कर भगवान भोले नाथ का आशीर्वाद प्राप्त किया। लेकिन इस दौरान कोरोना काल की दूसरी लहर के चलते लोग शारीरिक दूरी और मास्क का प्रयोग करते नजर नहीं आए। बेशक मुक्तेश्वर धाम प्रबंधक कमेटी ने लंगर और जलपान की व्यवस्था की थी। लेकिन लोगों की भारी भीड़ के आगे यह व्यवस्था चल नहीं सकी। इस मौके पर प्रशानिक अधिकारी भी मौजूद नहीं थे। जबकि प्रशासन को पहले ही पता था कि हर सोमवती अमावस को इस पवित्र स्थान पर भारी पवित्र रावी नदी में लोग आते हैं। अगर इसी प्रकार प्रशासन की ओर से कोताही चलती रही तो आने वाले समय में भारी मात्रा में कोरोना फैल सकता है।

महाभारत काल के दौरान एक साल का अज्ञातवास पाडवों की ओर से शिवालिक की पहाडि़यों में बसे गांव डूंग में रावी नदी के किनारे किया गया था। वहीं पर उन्होंने भगवान भोले नाथ की अराधना की तथा धर्म युद्ध में भगवान भोले नाथ ने स्वयं प्रगट होकर इसी स्थान पर उनको विजयश्री का आशीर्वाद दिया था। वहीं मान्यता है कि सोमवती अमावस्या और चैत्र के महीने की अमावस्या के एक दिन पहले और एक दिन बाद जो भी व्यक्ति रावी नदी में स्नान कर भगवान भोले नाथ को जलाभिषेक करता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। इसी के साथ इस स्थान को मिनी हरिद्वार का नाम भी दिया गया है।

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