आपातकाल दिवस पर विशेष : पूर्व मंत्री ने बताया- 19 माह जेल में रहा, शादी भी जेल में ही हुई

जागरण संवाददाता पठानकोट आपातकाल की यादें आज भी याद करते ही देह सिहर जाता है। उन्नी

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 05:00 AM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 05:00 AM (IST)
आपातकाल दिवस पर विशेष : पूर्व मंत्री ने बताया- 19 माह जेल में रहा, शादी भी जेल में ही हुई
आपातकाल दिवस पर विशेष : पूर्व मंत्री ने बताया- 19 माह जेल में रहा, शादी भी जेल में ही हुई

जागरण संवाददाता, पठानकोट: आपातकाल की यादें आज भी याद करते ही देह सिहर जाता है। उन्नीस महीने किस कदर एक जेल से दूसरी जेल में शिफ्ट किया जाता रहा यह अब मैं भूल चुका हूं। कुछ यादें अभी ताजा हैं। यह बात तीन बार पठानकोट से विधायक रह चुके पूर्व मंत्री मास्टर मोहन लाल ने कहीं।

उन दिनों कहानी को याद करते हुए मास्टर मोहन लाल बताते हैं कि इंदिरा गांधी का शासन किसी क्रूर शासक से कम नहीं था। लोगों के मूल अधिकार को पूरी तरह से छीन लिया गया था। अभिव्यक्ति की तो आजादी ही नहीं थी। कुछ कहने पर उसे तुरंत जेल में डाल दिया जाता था। आठ महीने तक मैं सुंदर नगर के अंगुरा वाला बाग में लुक-छिप कर रहा। उस समय यह बाग रतन सिंह टायरों वाला का था। उस समय सैंटी और बिहारी लाल मेरे घनिष्ठ मित्र थे। एक सुबह का तो दूसरा शाम का भोजन मुझे दे दिया करता था। मेरा काम वेश बदल कर पत्र को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाने का था।कभी नारी के वेश तो कभी पागलों के वेश, कभी बूढ़ों के वेश में मैं निकलता था।यहां से जम्मू तक उस पत्र को पहुंचाकर फिर वापस आ जाता था।करीब आठ महीने तक यह सिलसिला चलता रहा, जिसके बाद मुझे गिरफ्तार कर गुरदासपुर की जेल में डाल दिया गया।वहां पर मेरे साथ कई लोग थे। जिसमें लाला जगत नारायण, यशपाल, मनमोहन कालिया आदि शामिल थे। इसके बाद मुझे पटियाला और फिरोजपुर की जेलों में भी रखा गया।जेल में ही मैने पढ़ाई शुरु कर दी।यहां लोगों को फांसी दी जाती थी उसी के समीप मैं रात में पढ़ाई करता था।इस दौरान कई लोगों से मेरी जान-पहचान हुई, जिसमें ओम प्रकाश, भीमसेन, समरेंद्र शर्मा, प्रदीप रैणा, बाबू राम, पन्ना लाल, मेघ राम, चमन लाल, अमरनाथ आदि शामिल थे।मेरे जीवन की सबसे बड़ी घटना भी इसी आपात्काल से जुड़ी हुई है। इसी जेल में रहते हुए मेरी शादी हुई। शादी की कहानी बड़ी मजेदार है।

जैन संत विमल मुणि महाराज ने यूथ कांग्रेस की पत्नी रेवा शर्मा को कहा कि तुम गुरदासपुर जेल जाकर एक शख्स से मिलो।उसका नाम मोहन लाल है।उसके कहने पर वह मेरे पास आई। पहली दफा उसने मुझे रिजेक्ट कर दिया।तीसरी दफा जब वह आई तो मैने कहा इंदिरा गांधी मुझे जीने नहीं देगी। मुझे जेल में ही मरवा देगी। तुम अपना जीवन क्यों बर्बाद कर रही हो। उसने मुझे एक बात कही।भगत सिंह अविवाहित शहीद हुआ। अगर आप मुझसे शादी नहीं करोगे तो मैं जीवन भर कुवारी रह जाउंगी।उसके इस प्रेम को देख कर मैं दंग रह गया।मैने हां भर दी।पठानकोट के एसडीएम कोर्ट में मेरा शगुन हुआ और शादी भी यहीं हुई। शादी के दिन मां आई हुई थी। मां ने मेरे हाथ में हथकड़ी देख कर कहा मोहन तुमने ऐसा कौन से गुनाह किया जो तेरे हाथ में हथकड़ी है। वह देख कर मुझे इतना ही कह कर बेहोश हो गई।शादी के बाद मेरी पत्नी जब मुझसे मिलने आई तो पहली बार तो उसे जेल सुपरिटेंडेंट ने मिलवाने से मना कर दिया।

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