फादर्स-डे पर विशेष : संक्रमित होने पर पिता ने कभी नकारात्मक नहीं होने दिया
संतान जब भी कभी दुख संकट या किसी मुसीबत में हो तो सबसे पहले उन्हें पिता संभालता है और अपनी जान की बाजी लगाकर भी उन्हें कष्ट से बाहर निकाल लेता है।
संवाद सहयोगी, पठानकोट: संतान जब भी कभी दुख, संकट या किसी मुसीबत में हो तो सबसे पहले उन्हें पिता संभालता है और अपनी जान की बाजी लगाकर भी उन्हें कष्ट से बाहर निकाल लेता है। पिता की हिम्मत, संघर्ष बच्चों के लिए हमेशा जीवन में प्रेरणादायक रहते हैं। ऐसे ही कोविड काल में संतान के पिता के संघर्ष की कई कहानियां बन चुकी हैं। पिता ने अपनी जान की परवाह किए बिना अपनी संतान के लिए कष्ट झेलते हुए उसकी सुरक्षा की है। ऐसा ही एक मामला गांव ऐवा धीरा रोड का सामने आया है। उक्त गांव में एक पांच सदस्यों का परिवार रहता है और परिवार में कुल पांच लोग है, जिनमें पिता-माता, दो बच्चे और उनकी दादी महिला है। सबसे पहले इस परिवार से रविद्र कुमार पाजिटिव आया। उसके बाद उनकी 60 वर्षीय बुजुर्ग माता व 15 वर्षीय बेटा पाजिटिव पाया गया।
रविद्र कुमार ने कहा कि उसने अपने परिवार के पांचों सदस्यों के कोरोना टेस्ट करवाए थे और उसके घर के तीन सदस्य पाजिटिव पाए गए। वे खुद, उसकी 60 वर्षीय माता रतनो देवी व उसका 15 वर्षीट बेटा कनन दुग्गल, जबकि उसकी पत्नी नीतू बाला व बेटी काश्वी नेगेटिव रहे है। सेहत विभाग की ओर से उन्हें फतेह किट्स दी गई और घर में ही होम आइसोलेट कर दिया गया। पाजिटिव पाए जाने पर रविद्र कुमार अपने 15 वर्षीय बेटे व माता के साथ एक ही कमरे में रहते हुए परिवार की देखभाल में जुट गए।
रविद्र कुमार के 15 वर्षीय बेटे कन्नन दुग्गल ने कहा कि उनके पिता एक जिम्मेदार व्यक्ति हैं और होम आइसेलोशन के दौरान वे उन्हें कई तरह की अलग-अलग कहानियां व हसमुख बातें करके उनके मन को लुभाते थे। पिता ने कभी भी मन में नेगेटिव सोच नहीं आने दी और समय-समय पर दवाइयों की खुराकें भी उसे देते रहे। बेटे ने कहा कि उसकी माता नीतू बाला व उसकी बहन काश्वी भी उसके साथ काफी हंसी मजाक करके उसे खुश रखते थे।