साइबर क्राइम: सतर्क रहें.. इंटरनेट मीडिया पर खुद को दोस्त बताने वाला भी हो सकता है ठग
हाईटेक ठगों ने पैसे ऐंठने के अपना लिए हैं नए तरीके। इंटरनेट मीडिया इनका आजकल प्रमुख हथियार बना हुआ है। इलाके में प्रसिद्ध लोगों का फेक अकाउंट बनाकर उनके दोस्तों व रिश्तेदारों से मांग रहे हैं पैसे।
विनोद कुमार, पठानकोट: लोगों को लालच देकर उनकी मेहनत की कमाई को ठग सकें इसके लिए शातिर ठगे ने टेक्नोलाजी का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। आज नए-नए तरीकों से लोगों को ठगा जा रहा है। मोबाइल फोन, इंटरनेट मीडिया और गैर जरूरी एप्स इनके प्रमुख हथियार बन चुके हैं। आज भी कई लोग हैं जिन्हें मोबाइल की नई तकनीक के बारे में एक्सपर्ट स्तर की जानकारी नहीं होती। ऐसे लोगों को ये शातिर ठग अपना शिकार बनाते हैं, क्योंकि इन्हें फंसाना आसान होता है। केस में महिलाओं की संलिप्त होने के कारण पीड़ित कई बार बदनामी के डर से थाने में शिकायत तक नहीं करते हैं। हालांकि लोग अब जागरूक हो रहे हैं और साइबर क्राइम के प्रत्येक माह तीन से चार मामले दर्ज किए जा रहे हैं। केस स्टडी - 1 : विधायक विज के पिता के नाम पर मांगे पैसे
बीती 18 जून को पठानकोट के विधायक अमित विज के स्वर्गीय पिता अनिल विज के नाम और फोटो का इस्तेमाल करते हुए ठगों ने एक फर्जी अकाउंट बनाया और उनके दोस्तों व रिश्तेदारों से आनलाइन मैसेजिंग के जरिये पैसों की मांग की। हालांकि विधायक विज ने फर्जी खाते की जानकारी मिलते ही अपने परिचितों को बताया और कहा कि किसी को पैसे न दें। इसके बाद उन्होंने थाना दो में शिकायत भी दर्ज कराई। ऐसे मामलों में ठग आनलाइन पेमेंट एप्स के जरिये पैसे की मांग करते हैं। गौर हो कि विधायक अमित विज के पिता अनिल विज की मौत करीब एक साल पहले हो चुकी है। उक्त मामले में एक परिचित से फोनपे एप के जरिये 9675449083 नंबर पर 20 हजार रुपये भेजने को कहा गया था। केस स्टडी-2: भाजपा नेता अनिल रामपाल का अकाउंट हैक कर मांगे पैसे
बीते वर्ष 13 दिसंबर को प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी सदस्य व गुरदासपुर के जिला प्रभारी अनिल रामपाल की फेसबुक पर फेक आइडी बनाकर दस से अधिक लोगों से दस से 20 हजार रुपये की मांग की गी। अच्छी बात यह रही कि लोगों ने राशि देने से पहले उनको फोन कर इसका कारण पूछा। इसके बाद इस पूरे मामले का पर्दाफाश हुआ। इसके बाद उन्होंने पुलिस को शिकायत दी। ओटीपी देने से कतराने लोग तो ठगों ने ढूंढे नए तरीके
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि ठगों को पता है कि लोग ओटीपी देने से कतराने लगे हैं। ऐसे में उन्होंने कई प्रकार के ऐसे एप बनाना शुरू कर दिए हैं कि लोग न चाहते हुए भी उसमें फंस जाते हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि वह बड़ी अथवा सरकारी कंपनियों से मिलते जुलते एप बनाकर लोगों को पैसा डबल करने का लालच देते हैं। छोटी राशि को वो एप में डबल कर देते हैं, लेकिन जैसे ही कोई बड़ी राशि जमा कराता है तो वह पैसे डबल करना बंद कर देते हैं।
साइबर ठगी से ऐसे बचें
- फोन पर किसी को भी खाते संबंधी जानकारी न दें। बैंक कभी भी फोन पर खातों की जानकारी नहीं मांगता है।
- किसी को भी डेबिट/क्रेडिट का पिन या ओटीपी न बताएं।
- समय-समय पर अपनी बैंक पासबुक को अपडेट करते रहें।
- संभव हो तो जो नंबर आपके बैंक खाते से जुड़ा है, उसके लिए साधारण मोबाइल फोन का इस्तेमाल करें।
- बिना पूरी जानकारी के किसी भी लिक को न खोलें।
- बचत खाते में बहुत ज्यादा पैसे न रखे जाएं।
- आनलाइन शापिंग के लिए अलग खाते का इस्तेमाल करें, जिसमें जरूरत अनुसार ही पैसे रखे जाएं।
- इंटरनेट मीडिया पर सतर्कता से दोस्त बनाएं।
-अज्ञात लोगों से आनलाइन ज्यादा बात न करें।
गैर जरूरी एप्स को मोबाइल पर डाउनलोड न करें: एसएसपी
एसएसपी पठानकोट सुरेंद्र लांबा का कहना है कि मोबाइल में आपकी सारी प्राइवेसी है। मोबाइल में हम अपनी कई प्रकार की जानकारियां स्टोर कर देते हैं। कई लोग अपने मोबाइल में एनी डेस्क, डिवाइस शेयर व क्यूक स्पोर्ट जैसे एप डाउनलोड कर लेते हैं। इनसे कोई अन्य व्यक्ति आपके मोबाइल की स्क्रीन की गतिविधियों को देख सकता है। इसलिए, जिन एप्स के बारे में आपको जानकारी नहीं है और जिसकी जरुरत नहीं उन्हें डाउनलोड न करें।