रोडवेज अधिकारियों पर डायरेक्टर का दबाव, किसी भी तरह चलाएं बसें

हड़ताल के दूसरे दिन भी रोडवेज प्रबंधन ने पनबस को चलाने की कोशिश की परंतु पनबस कर्मचारी बस के आगे आकर बैठ गए। करीब आधा घंटा तक प्रबंधन ने बस को भेजने की कोशिश की परंतु पनबस कर्मचारी नहीं हटे। आखिरकार डिपो प्रबंधन को पनबस वापस ले जाने के लिए कहना पड़ा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 07:00 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 07:00 PM (IST)
रोडवेज अधिकारियों पर डायरेक्टर का दबाव, किसी भी तरह चलाएं बसें
रोडवेज अधिकारियों पर डायरेक्टर का दबाव, किसी भी तरह चलाएं बसें

जागरण संवाददाता, पठानकोट: पनबस कर्मचारियों की हड़ताल के चलते आम लोगों के लिए परेशानियां पैदा हो गई हैं। अमृतसर और जालंधर जाने वाले यात्रियों के पास तो प्राइवेट बस का विकल्प है लेकिन, चंडीगढ़ और दिल्ली जाने वालों को ज्यादा दिक्कतें पेश आ रही हैं। हड़ताल के दूसरे दिन भी रोडवेज प्रबंधन ने पनबस को चलाने की कोशिश की परंतु पनबस कर्मचारी बस के आगे आकर बैठ गए। करीब आधा घंटा तक प्रबंधन ने बस को भेजने की कोशिश की परंतु पनबस कर्मचारी नहीं हटे। आखिरकार डिपो प्रबंधन को पनबस वापस ले जाने के लिए कहना पड़ा। वहीं, रोडवेज अधिकारियों का कहना है कि उनपर भी हायर अथारिटी की तरफ से दबाव बनाया जा रहा है कि किसी भी तरह से बसें चलाई जाएं।

उधर, हड़ताली कर्मियों के कारण पेश आ रही समस्या से निजात पाने के लिए सरकार ने आउटसोर्स पर कर्मचारियों को बुलाने की योजना तैयार कर ली है। उम्मीद है कि अगले आठ से दस दिनों के भीतर पठानकोट के अतिरिक्त अन्य डिपो को भी आउट सोर्सिस से कर्मचारी भेज कर लोगों को सुविधा देगी। हड़ताल के दूसरे दिन मात्र 11 बसें चलीं

पनबस कर्मियों के चलते रोजाना चलने वाली 81 बसों में से दूसरे दिन केवल 11 बसें ही चल पाई। पहले दिन हड़ताल के चलते केवल नौ बसें ही चल पाई थीं। दूसरे दिन अमृतसर के लिए पांच, जालंधर के लिए चार तथा चंडीगढ़ व जम्मू के लिए केवल एक-एक रूट ही चल पाया। इससे डिपो को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ा है।

10 के बाद मुख्यमंत्री व परिवहन मंत्री के हलकों में निकालेंग रोष रैलियां-

पनबस पठानकोट के प्रधान सुखविद्र सिंह, महासचिव कमल ज्योति, सेंटर बाडी सदस्य राज कुमार काका, जोगिद्र पाल लवली ने कहा कि सरकारी ट्रांसपोर्ट को बचाने के लिए विभाग कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की मांग को तुरंत प्रभाव से लागू करे। उन्होंने कहा कि सरकारी बसों की संख्या को दस हजार किया जाए, एडवांस बुकर, डाटा एंट्री आप्रेटरों के वेतन में बढ़ोतरी तथा नाजायज शर्ते लगाकर निकाले गए कर्मचारियों को तुरंत प्रभाव से बहाल किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर वीरवार तक यदि सरकार ने उनकी मांग का कोई हल न निकाला तो 10 दिसंबर के बाद परिवहन मंत्री तथा मुख्यमंत्री के हलकों में पनबस कर्मी रोष रैलियां निकालकर जनता को सरकार के झूठे वादों के बारे में जागरूक करेगी। इसका खामियाजा सरकार को अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में चुकाना पड़ेगा।

चंडीगढ़, दिल्ली व लुधियाना जाने वाले यात्री ज्यादा परेशान

पनबस कर्मियों की हड़ताल के चलते सबसे ज्यादा परेशानी पठानकोट से चंडीगढ़, दिल्ली और लुधियाना जाने वाले यात्रियों को हो रही है। कारण, उक्त तीनों रूटों पर केवल लुधियाना को छोड़ कर बाकी रुटों पर प्राइवेट बसों की सर्विस नहीं है। चंडीगढ़ और दिल्ली के लिए पठानकोट से केवल पठानकोट डिपो की सर्विस ही चलती है। पठानकोट से चंडीगढ़ जाने वाले राही महिद्र सिंह, निखिल कुमार, प्रेम मजोत्रा ने कहा कि वह एक घंटा तक बस स्टैंड पर चंडीगढ़ के लिए बस का इंतजार करते रहे, लेकिन बस नहीं आई। मजबूरन उन्हें बाईपास चौक जाना पड़ रहा है। जम्मू जाने वाली पुष्पा रानी ने बताया कि पठानकोट डिपो की केवल एक बस जा रही है और जेएंडके ने भी अपनी रोजाना चलने वाली सर्विस को कम कर दिया है, जिस कारण लोगों को भारी परेशानियां पेश आ रही हैं।

सरकार तलाश रही है विकल्प : जीएम

पठानकोट डिपो के जनरल मैनेजर सरदार दर्शन सिंह गिल ने बताया कि उनके पास 11 पक्के ड्राइवर व कंडक्टर है। इस कारण बुधवार को भी केवल 11 बसें ही चलाई जा सकीं। उन्होंने कहा कि हड़ताल से निपटने के लिए सरकार आउट सोर्सिस से स्टाफ की सहायता लेने जा रही है। इसके तहत पठानकोट डिपो ने भी 26 ड्राइवरों की डिमांड भेजी है, लेकिन स्टाफ आते कम से कम एक सप्ताह का समय लगेगा। उन्होंने कहा कि पठानकोट ही नहीं बाकी डिपो के भी रूट प्रभावित चल रहे हैं। उसी के तहत पठानकोट डिपो भी पक्के स्टाफ के अनुसार ही लोगों को सुविधा दे पाएगा। हड़ताल की रोजाना रिपोर्ट हायर अथारिटी को भेजी जाएगी। उन्होंने कहा कि डायरेक्टर की तरफ से दबाव बनाया जा रहा है कि किसी भी तरह से बसें चलाई जाएं।

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