जागरण स्पेशल : मिड-डे मील अप्रैल से बंद, विभाग को निदेशालय से आदेश का इंतजार
ोरोना की रफ्तार ने महत्वांकाक्षी योजनाओं को भी हालात खराब कर दी है। इसमें से एक मिड-डे मील है।
जागरण संवाददाता, पठानकोट : कोरोना की रफ्तार ने महत्वांकाक्षी योजनाओं को भी हालात खराब कर दी है। इसमें से एक मिड-डे मील है। इसके तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को मुफ्त भोजन दिया जाता है। अप्रैल से इसे बंद कर दिया गया है। इसके पीछे का तर्क यह दिया जा रहा है कि दूसरे चरण में वायरस जानलेवा है। इसलिए शिक्षा विभाग ने बच्चों के हितों को ध्यान में रखते हुए स्कूल को बंद कर दिया है, जिस कारण मिड-डे मील भी बंद है। हालांकि इस बार न तो घर-घर मील पहुंचाया जा रहा है और न ही अभिभावकों के खातों में पैसे बेजे जा रहे हैं। इस संबंध में ंिवभागीय अधिकारियों का कहना है कि निदेशालय से आदेशों के आने पर व्यवस्था की जाएगी।
अभी भी जिले में 72 फीसद से ज्यादा बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। इसमें से अधिकतर बच्चे मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं या आर्थिक रूप से कमजोर हैं। हालांकि कोरोना काल के दौरान सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसमें कुछ सबल परिवार के बच्चे भी शामिल हैं। गौरतलब है कि सरकारी स्कूलों में इस समय कुल 56574 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। पहली से पांचवीं कक्षा तक 16794 विद्यार्थी और प्राइमरी विंग 5658 विद्यार्थी हैं। पहले घर-घर मील पहुंच रहा था, अब पूरी तरह से बंद
कोरोना के प्रथम चरण में शिक्षा विभाग ने घर-घर जाकर बच्चों को मिड डे मील खुराक पहुंचाने के लिए शिक्षकों की ड्यूटी लगाई थी। अक्टूबर तक यह सिलसिला चलता रहा। स्कूल खुलने के बाद दोबारा से मिड-डे मील परोसा जाने लगा, जो मार्च तक जारी रहा। अप्रैल में कोरोना का प्रकोप बढ़ते ही स्कूलों को बंद कर दिया गया, लेकिन, इन बच्चों के लिए मिड-डे मील पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई। नियम अनुसार नहीं बंद कर सकते मिड-डे मील
नियमों के अनुसार मिड-डे मील को किसी भी हालत में बंद नहीं किया जा सकता है। इसके बदले विभाग बच्चों को सूखा राशन दे सकता है। उनका कहना है कि इस समय लगभग सभी सरकारी स्कूल के बच्चों का बैंक में खाता है। उनके खाते में सीधे पैसे भी डाले जा सकते हैं। इससे किसी भी बच्चे को परेशानी नहीं होगी। जिन बच्चे के खाते नहीं है उनके अभिभावकों के खाते में डाले जा सकते हैं। डईओ बोले- निदेशालय से नहीं आए कोई आदेश
मिड-डे मील के तहत सरकारी प्राइमरी स्कूलों में प्रत्येक बच्चे को 100 ग्राम और अपर प्राइमरी में 150 ग्राम खाद्यान्न मुहैया कराने का प्रावधान है। यह योजना 15 अगस्त 1995 को शुरू हुई थी। इस संबंध में डीईओ सेकेंडरी बलदेव राज का कहना है निदेशालय के फैसले के अनुसार ही मिड डे मील को रोका गया है। जैसे ही आदेश आते हैं मिड डे मील की व्यवस्था की जाएगी या खाते में पैसे डाले जाएंगे।
खबर का जोड़ साल-2020-21 में सरकारी स्कूलों में दाखिल कुल बच्चों की संख्या
कक्षा छात्रों की संख्या
प्राइमरी-1 3168
प्राइमरी-2 2411
पहली 2852
दूसरी 3059
तीसरी 2421
चौथी 3305
पांचवी 3497
छठी 3921
सातवीं 4038
आठवीं- 4276