शिअद-बसपा के गठबंधन से बदल सकते हैं राजनीतिक समीकरण, बसपा के लिए वोट कनवर्ट करवाना शिअद के लिए चुनौती

शिअद-बसपा के गठबंधन के बाद राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं। जिले की तीनों विधानसभा की सीटें बहुजन समाज पार्टी के खाते में गई हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 04:36 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 04:36 AM (IST)
शिअद-बसपा के गठबंधन से बदल सकते हैं राजनीतिक समीकरण, बसपा के लिए वोट कनवर्ट करवाना शिअद के लिए चुनौती
शिअद-बसपा के गठबंधन से बदल सकते हैं राजनीतिक समीकरण, बसपा के लिए वोट कनवर्ट करवाना शिअद के लिए चुनौती

जागरण संवाददाता, पठानकोट: शिअद-बसपा के गठबंधन के बाद राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं। जिले की तीनों विधानसभा की सीटें बहुजन समाज पार्टी के खाते में गई हैं। शिअद-भाजपा गठबंधन के दौरान यहां से भाजपा चुनाव लड़ती आ रही है और हमेशा से ही इन तीनों सीटों पर अच्छी पकड़ रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा सुजानपुर विधानसभा सीट यहां से निकालने में कामयाब रही थी। लेकिन अब हालात कुछ और हैं। अभी के हालातों में बसपा के लिए सबसे बड़ी समस्या क्षेत्र में कद्दावर नेता की कमी है। दूसरा यह कि बसपा को वोट कनवर्ट करवाना शिअद के लिए चैलेंज है। 2017 के विधानसभा चुनाव पर नजर दौड़ाएं तो सुजानपुर से बसपा उम्मीदवार करनैल चंद को मात्र 1083 ही वोट मिले थे। भोआ से बसपा के उम्मीदवार चैन सिंह को मात्र 695 वोट मिले थे। पठानकोट से अंकुर खजुरिया को 470 वोट मिले थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में भी बसपा कुछ खास नहीं कर पाई। सुजानपुर से बसपा उम्मीदवार करनौल चंद को 4287, भोआ से अमरजीत सिंह को 2841 व पठानकोट से संसार चंद को 1129 वोट मिले थे।

शिरोमणि अकाली दल का दावा है कि जिले में उनके पास पचास हजार से अधिक वोट हैं, जिसके तहत भोआ विधान सभा में 25 हजार, सुजानपुर में 18 हजार तथा पठानकोट में 12 हजार वोट हैं। पिछले पच्चीस वर्षों से उक्त वोट को शिअद भाजपा को कनवर्ट करवाकर उसे जीत में बदलवाती थी, लेकिन अब उसे बहुजन समाज पार्टी के लिए कनवर्ट करवाना शिअद के लिए चैलेंज हैं। शिअद नेताओं का कहना है कि यह हाईकमान का फैसला है जिसे मानते हुए जो वोट पहले भाजपा के खाते में कनर्वट करवाते थे उसे अब बसपा के खाते में कनवर्ट करवाना है, जिसमें किसी किस्म की कोई परेशानी नहीं है। कई नेताओं की उम्मीदों पर फिरा पानी, प्रत्याशियों की सूची होगी लंबी

शिअद-बसपा में गठबंधन होने के बाद यहां दोनों राजनीतिक पार्टियों के नेता अभी से 2022 के चुनाव में जुट गए हैं, वहीं कई नेताओं की उम्मीदों पर पानी भी फिर गया है।पिछले वर्ष भाजपा व कांग्रेस को अलविदा कह शिअद का दामन थामने वाले नेताओं को पूरी उम्मीद थी कि 2022 के चुनाव में पार्टी उन्हें टिकट देगी। लेकिन, गठबंधन के अनुसार जिला की पठानकोट, सुजानपुर व भोआ की सीटें बसपा के खाते में गई है। इसलिए, वह चाहते हुए भी अब चुनाव नहीं लड़ पाएंगें, क्योंकि इसके लिए या तो उन्हें फिर से पार्टी बदलनी पड़ेगी या फिर आजाद प्रत्याशी के रुप में लड़ना पड़ेगा।उधर, गठबंधन होने के बाद जिला की तीनों सीटों पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची भी दिन व दिन लंबी होना शुरु हो जाएगी। कारण, नेताओं को लगेगा कि गठबंधन होने के बाद वह जीत की स्थिति में हैं।

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