बांध प्रशासन और कमेटी की योजना को मिलाकर किया जाएगा काम

बाबा मुक्तेश्वर धाम की पवित्र गुफाओं को बैराज की झील में डूबने से बचाने की लाखों शिव भक्तों और मुक्तेश्वर धाम प्रबंधक कमेटी की मांग के चलते सेंट्रल वाटर कमिशन (सीडब्ल्यूसी) की टीम शुक्रवार को बाबा मुक्तेश्वर धाम पहुंची।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 11:21 PM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 11:26 PM (IST)
बांध प्रशासन और कमेटी की योजना को मिलाकर किया जाएगा काम
बांध प्रशासन और कमेटी की योजना को मिलाकर किया जाएगा काम

जागरण टीम, जुगियाल/ शाहपुरकंडी : बाबा मुक्तेश्वर धाम की पवित्र गुफाओं को बैराज की झील में डूबने से बचाने की लाखों शिव भक्तों और मुक्तेश्वर धाम प्रबंधक कमेटी की मांग के चलते सेंट्रल वाटर कमिशन (सीडब्ल्यूसी) की टीम शुक्रवार को बाबा मुक्तेश्वर धाम पहुंची।

टीम अधिकारियों ने मुक्तेश्वर धाम के अलावा रणजीत सागर बांध परियोजना का भी निरीक्षण किया। सीडब्ल्यूसी के मुख्य अभियंता आइबीओ शिवनंदन कुमार, एसके शर्मा डायरेक्टर, एमएंडए सीडब्ल्यूसी चंडीगढ़ के अलावा रणजीत सागर बांध परियोजना के मुख्य अभियंता एस के सलूजा, एसई हेडक्वार्टर नरेश महाजन, एसई ब्यास देव, गुरपिदर सिंह संधू, जेपी सिंह, अधिशासी अभियंता लखविदर सिंह, जनकराज डोगरा, एमएस गिल और बाबा मुक्तेश्वर धाम प्रबंधक कमेटी के चेयरमैन ठाकुर भीम सिंह के अलावा कई अधिकारी उपस्थित थे। कमेटी के अधिकारियों ने बाबा मुक्तेश्वर धाम प्रबंधक कमेटी की ओर से धाम की पवित्र गुफाओं को बचाने संबंधी एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी से तैयार करवाई गई प्रपोजल नंबर एक को चेक किया। इसके बाद कमेटी के चेयरमैन भीम सिंह और अन्य पदाधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया। प्रबंधक कमेटी के चेयरमैन ठाकुर भीम सिंह ने सीडब्ल्यूसी के अधिकारियों को बताया कि लाखों शिवभक्तों की मांग पर उन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी से प्रपोजल नंबर एक को तैयार करवाया है, ताकि धाम की पवित्र गुफाओं के साथ उसके दूसरे धार्मिक स्थलों को भी बचाया जा सके। इसमें श्रद्धालुओं के लिए स्नान गृह, जोड़ा घर, लंगर हाल आदि शामिल हैं। प्रबंधक कमेटी की इस प्रपोजल पर सीडब्ल्यूसी के अधिकारी सहमत नजर आए। मगर बांध प्रशासन प्रपोजल नंबर दो पर ही अपनी सहमति जता रहा था।

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मंदिर को बचाने के लिए छह वर्षों से चल रहा है संघर्ष

बाबा मुक्तेश्वर धाम बचाओ संघर्ष कमेटी एवं प्रबंधक कमेटी पिछले छह सालों से धाम को बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। लाखों शिवभक्तों की भी यही मांग है कि हजारों साल प्राचीन लाखों लोगों की आस्था के केंद्र बाबा मुक्तेश्वर धाम की पवित्र गुफाओं को हर हालत में डूबने से बचा बचाया जाए। पंजाब सरकार की ओर से इस पवित्र धाम को धार्मिक पर्यटन स्थल विकसित करने के उद्देश्य से यहां पर चार करोड़ की लागत से रोप-वे बनाने पर भी विचार चल रहा है।

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मंदिर कमेटी ने टीम के आगे रखी अपनी मांग

बाबा मुक्तेश्वर मंदिर कमेटी के पदाधिकारी भीम सिंह, भाग सिंह, सूबेदार शिव सिंह, अनिल कुमार, सूरज तिवारी, हरि कृष्ण, उत्तम सिंह आदि ने टीम को बताया कि कमेटी श्रद्धालुओं की राय अनुसार ही उनके इंजीनियरों द्वार बनाई हुई प्रपोजल नंबर एक पर ही निर्माण कार्य चाहते है। इसके लिए तीन सौ फुट लंबी व 65 फुट ऊंची दीवार बनाने की योजना बनाई है। उन्होनें बताया कि बैराज बांध प्रशासन पैसे की बचत करने के लिए प्रपोजल नंबर एक पर ही कार्य करना चाहती है। इससे उनके पावन स्थल पर श्रद्धालुओं के लिए कई मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल सकेगी। उन्होनें साथ में बताया कि इस पावन कार्य के लिए फंड की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी और इस पावन स्थल को पूरी तरह स्थायी रूप से सुरिक्षत करने के लिए ही पूरी निष्ठा से कार्य किया जाएगा।

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टीम के अधिकारियों ने कही यह बात

सेंट्रल वाटर कमिशन निदेशक एसके शर्मा, चीफ इंजीनियर संदीप कुमार सलुजा व अन्य अधिकारियों ने बताया कि इस पावन स्थल को पूरी तरह सुरक्षित करने के लिए बांध प्रशासन व जल आयोग पूरी तरह सकारात्मक ढंग से तैयार है। निदेशक एसके शर्मा ने बांध अधिकारियों को कहा कि वह कमेटी द्वारा बनाई हुई

प्रपोजल और बैराज बांध प्रशासन द्वारा बनाई हुई योजना पर पूरी तरह विचार करके दोनों डिजाइनों को मिला कर इस पावन स्थल को स्थाई रूप से सुरिक्षत करने के लिए कार्य करें।

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प्रोजेक्ट- 1 : मंदिर कमेटी इसे लागू करवाना चाहती है।

- इसमें मुक्तेश्वर धाम पूरी तरह से सुरक्षित है।

-श्रद्धालुओं के लिए बनाया गया स्नान घर भी बच जाएगा।

- श्रद्धालुओं के लिए लंगर स्थल भी पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा।

-पार्किंग का भी उचित प्रबंध रहेगा।

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प्रोजेक्ट-2 : केवल मुक्तेश्वर धाम का मुख्य मंदिर ही बचेगा।

-श्रद्धालुओं के लिए स्नान घर भी नहीं बचेगा।

-पार्किंग का उचित प्रबंध नहीं होगा।

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आपत्ति

-मृतकों की अस्थियां भी विर्सजित नहीं हो सकती।

- मंदिर की मान्यता पर लगता प्रश्न चिन्ह

-दरिया से जल लेकर शिवलिग का जलाभिषेक व डूबकी लगाने के लिए जगह नहीं बचनी है।

-केवल मंदिर में ही माथा टेक कर श्रद्धालु वापस चले जाते।

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