कथलौर सैंक्चुअरी में विलुप्त होने के कगार पर खड़े जीवों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज, टैप कैमरों ने खींची एशियन पाम सीविट व पारकूपाइन की तस्वीरें

कथलौर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी में जानवरों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विभाग ने पहले चार अमेरिकन अमेरिकन ट्रैप कैमर लगाए थे। कैमरों को छिपाकर वृक्षों पर लगाया गया है। इनसे खींची गई तस्वीरें सीधी विभागीय अधिकारियों के मोबाइल चली जाती हैं। इन कैमरों की तस्वीरें रात में ब्लैक एवं व्हाइट होगी और दिन में कलर। विभिन्न प्रजातियों के जानवरों में हुई वृद्धि की सही तरीके से जानने के लिए कैमरों की संख्या अब 12 कर दी गई है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 05:00 AM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 05:00 AM (IST)
कथलौर सैंक्चुअरी में विलुप्त होने के कगार पर खड़े जीवों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज, टैप कैमरों ने खींची एशियन पाम सीविट व पारकूपाइन की तस्वीरें
कथलौर सैंक्चुअरी में विलुप्त होने के कगार पर खड़े जीवों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज, टैप कैमरों ने खींची एशियन पाम सीविट व पारकूपाइन की तस्वीरें

जागरण संवाददाता, पठानकोट : बारिश का सीजन जंगली जीव-जंतुओं की वृद्धि के लिए अनुकूल माना जाता है। इसमें कुछ जीवों की प्रजनन क्षमता बढ़ जाती है और इसी मौसम में वे अपने बच्चे को जन्म देते हैं। कथलौर सैंक्चुअरी में विलुप्त होने के कगार पर खड़े कुछ जीवों मे बढ़ोतरी देखी गई है। यह एक शुभ संकेत माना जा रहा है। वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट ने इन जीवों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक दर्जन हाई डेफिनिशन कैमरे लगाए हैं। इसमें से दो कैमरे ऐसे हैं जो रात में भी जीवों की गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं।

कथलौर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी में जानवरों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विभाग ने पहले चार अमेरिकन अमेरिकन ट्रैप कैमर लगाए थे। कैमरों को छिपाकर वृक्षों पर लगाया गया है। इनसे खींची गई तस्वीरें सीधी विभागीय अधिकारियों के मोबाइल चली जाती हैं। इन कैमरों की तस्वीरें रात में ब्लैक एवं व्हाइट होगी और दिन में कलर। विभिन्न प्रजातियों के जानवरों में हुई वृद्धि की सही तरीके से जानने के लिए कैमरों की संख्या अब 12 कर दी गई है।

विभाग के लगातार प्रयास से कुछ ऐसे भी जंतुओं में बढ़ोतरी देखी जा रही है, जो विलुप्त होने के कगार पर है। इसमें से पहला सीविट कैट है। एशियन पाम सीविट कैट दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई के जंगलों में पाई जाती है। यह दो से पांच किलोग्राम की होती है। इन्हें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची द्वितीय के तहत संरक्षित किया गया है। इसकी गतिविधि अवधि शाम छह बजे से चार बजे के बीच है। ये जीव सर्वाहारी हैं। जामुन और गूदेदार फल, कीड़े, छिपकली, छोटे सांप, मेंढक आदि इनका मुख्य भोजन है।

दूसरा जीव पारकूपाइन है। यह खरगोश, चूहा, गिलहरी जैसे जानवरों की प्रजाति का है। यह भी इन प्राणियों की तरह भोजन को कुतर कर खाता है। इसके आगे के दांत भी हमेशा बढ़ते रहते है। इसलिए साही लकड़ी को कुतर कर दांतों को घिसता रहता है। इसके शरीर पर 30 हजार से भी ज्यादा कांटे होते है। इसके शरीर पर पुराने कांटे हटने के बाद नए कांटे आते रहते हैं। जंगली जानवर का हमला होने पर यह खुद को इन कांटों के नीचे समेट लेता है। इन दिनों इसकी भी तादाद में वृद्धि देखी जा रही है। इसके अलावा हिरन की तीन तरह की प्रजातियां, जंगली सूअर, जैकाल, मोर, जंगली कैट, मोनीटर लिजर्ट और खरगोश की भी संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

1837 एकड़ में फैली है कथलौर सैंक्चुअरी

कथलौर सेंक्चुअरी 1837 एकड़ में फैली हुई है। इसमें आम लोगों के आने जाने पर रोक है। हालांकि कुछ समय पहले इसके कुछ एरिया को पर्यटकों के लिए खोलने की इजाजत मिली है। इसपर करीब एक करोड़ दो लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि इससे जीव जंतुओं की किसी भी प्रकार की कोई हानि न हो। बरसात के सीजन में इसे भी बंद कर दिया जाता है। जानवरों की संख्या का लिखित रिकार्ड नहीं : डीएफओ

डीएफओ वाइल लाइफ राजेश कुमार ने बताया कि जानवरों की संख्या में कितनी बढ़ोतरी हुई है, इसका कोई लिखित रिकार्ड नहीं है। इनकी गणना भी नहीं होती, लेकिन कैमरे में जीव जंतुओं के बच्चे को देखकर और गतिविधियों से पता लगाया जाता है कि इनकी संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। यह हमारे लिए अच्छी बात है।

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