श्री रामायण जी की छत्रछाया में धूमधाम से निकली भगवान वाल्मीकि की शोभायात्रा

भगवान वाल्मीकि जी के पावन जन्मदिवस के उपलक्ष्य में विशाल शोभायात्रा निकाली गई। वाल्मीकि समाज के प्रतिनिधियों द्वारा वाल्मीकि मंदिर में ध्वजारोहण करने तथा भगवान वाल्मीकि जी की आरती करने के उपरांत श्री रामायण धर्मग्रंथ की छत्रछाया में शोभायात्रा शहर के विभिन्न हिस्सों से होकर गुजरी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 10:01 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 10:01 PM (IST)
श्री रामायण जी की छत्रछाया में धूमधाम से निकली भगवान वाल्मीकि की शोभायात्रा
श्री रामायण जी की छत्रछाया में धूमधाम से निकली भगवान वाल्मीकि की शोभायात्रा

संवाद सूत्र, बंगा : बंगा के वाल्मीकि आश्रम मंदिर से भगवान वाल्मीकि जी के पावन जन्मदिवस के उपलक्ष्य में विशाल शोभायात्रा निकाली गई। वाल्मीकि समाज के प्रतिनिधियों द्वारा वाल्मीकि मंदिर में ध्वजारोहण करने तथा भगवान वाल्मीकि जी की आरती करने के उपरांत श्री रामायण धर्मग्रंथ की छत्रछाया में शोभायात्रा शहर के विभिन्न हिस्सों से होकर गुजरी। बैंड बाजे के साथ निकली शोभायात्रा में सबसे आगे श्री रामचन्द्र जी द्वारा छोड़ा गया घोड़ा लव-कुश के साथ नजर आया। उनके साथ वीर हनुमान जी की झांकी भी नजर आ रही थी। इसके उपरांत भगवान वाल्मीकि द्वारा लव-कुश को शिक्षा-दीक्षा देने की झांकी, माता सीता का वाल्मीकि आश्रम में प्रवेश की झांकी, श्री कृष्ण, शिव-पार्वती, महाराजा बर्बरीक की झांकी के अलावा, लंकापति रावण तथा उनके परिजनों की झांकियां पेश की गई। इसके अलावा बाबा बालकनाथ जी की झांकी भी देखने योग्य थी। शोभायात्रा में भगवान वाल्मीकि महिला संकीर्तन मंडली द्वारा भजन पेश किए गए। वाल्मीकि युवक मंडल द्वारा शोभायात्रा के दौरान रामायण के भजनों को प्रस्तुत कर संगत को निहाल किया गया। वाल्मीकि शक्ति अमर है, हर-हर वाल्मीकि, जय श्री वाल्मीकि के नारों की गूंज से शहर का माहौल भक्तिमय हो गया।

शोभा यात्रा बस स्टैंड बंगा से हप्पोवाल रोड, पट्टी मसंदा, बाबा गोला पार्क, एमसी कार्यालय, कृष्ण नगर, पटेल चौक, घाटी बाजार से मुख्य बाजार, श्री गुरु रविदास चौक, संतोख नगर, मोहल्ला सिद्ध, श्री गुरु रविदास नगर से होता हुआ गढ़शंकर चौक गुरु तेग बहादुर गेट, रेलवे रोड, चरणकमल रोड, मुकंदपुर रोड से होते हुए वाल्मीकि आश्रम मंदिर बंगा में समाप्त हुई।

इस दौरान विभिन्न स्थानों पर भक्तजनों के लिए लंगर लगाया गया। शोभायात्रा में जगदीश घई, शीतल बाली, प्रबोध कुमार, अरुण कुमार, गुलशन वडियाल, वासदेव हीर, दीपक, बूटा अटवाल, पार्षद सुरेंद्र घई, अमरजीत सिंह, विधायक सुखविदर कुमार सुक्खी, पूर्व विधायक मोहनलाल, ठेकेदार राजेंद्र सिंह, जिला योजना कमेटी के चेयरमैन सतवीर सिंह, हरप्रीत सिंह कैंथ, कुलजीत सिंह सरहाल, मनोहर लाल गाबा, मास्टर रामकिशन, राजकुमार महलखुर्द, रणवीर राणा, नरेन्द्र जीत रत्तू, सर्वजीत कुमार, बृज भूषण, डा. बख्शीश सिंह, मनिदर सिंह, कौंसलर मनजिद्र बाबी, तलविदर कौर, अनीता खोसला, मीनू सागर, वंदना, हिम्मत तेजपाल, जसविदर सिंह मान, जतिदर सिंह मान, कुलविदर लाडी, पंडित प्रदीप शर्मा, प्रवीण बंगा सोहन लाल ढंडा, सुखदीप शुकार, रविदर कौर मेहमी, डोगर राम बैंस, परमजीत सिंह राय, मनविदर कुमार मोनू, सचिन के अलावा बंगा म्यूनिसिपल कमेटी के ईओ, एसओ, सेनेटरी इंस्पेक्टर के अलावा सफाई कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारी तथा सफाई कर्मचारी यूनियन के कार्यकता, शहर के विभिन्न समाजसेवी संगठनों के प्रतिनिधि तथा राजनीतिक दलों के नेता गण मौजूद रहे। चारों युगों की घटनाओं के ज्ञाता थे भगवान वाल्मीकि : सतबीर सिंह पल्ली झिक्की

बंगा के श्री महर्षि वाल्मीकि आश्रम मंदिर में वाल्मीकि समाज तथा समाजसेवी संगठनों को भगवान वाल्मीकि के प्रकाश उत्सव की बधाई देते हुए जिला योजना कमेटी के चेयरमैन सतबीर सिंह पल्ली झिक्की ने कहा कि भगवान वाल्मीकि जी दिव्य ²ष्टि के मालिक थे। उन्होंने हजारों साल पहले चारों युगों में होने वाली घटनाओं के बारे में संसार को अवगत करा दिया था। उनकी कही गई हर बात आज संसार में चरितार्थ है। उन्होंने कहा कि भगवान वाल्मीकि ने अपने रचित ग्रंथ में संसार को ऐसा करुणामय तथा मर्यादित जीवन जीने का संदेश दिया है जिसको लोकतंत्र की नींव कहा जा सकता है। इस मौके पर उनको वाल्मीकि समाज द्वारा सम्मानित किया गया तथा बंगा के सभी कौंसलरों, समाजसेवी संगठनों ,शोभायात्रा में सहयोग करने वाले सहयोगियों के अलावा जनसेवा में जुटे हुए प्रतिनिधियों का भी सम्मान किया गया। आधुनिक संसार के सृष्टिकर्ता हैं भगवान वाल्मीकि : डा. सुखविदर कुमार सुक्खी

बंगा के विधायक डा. सुखविदर कुमार सुक्खी ने वाल्मीकि समाज को भगवान वाल्मीकि की जयंती पर बधाई देते हुए कहा कि भगवान वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण ग्रंथ ने संसार का जिस प्रकार मार्गदर्शन किया है वह विश्व कल्याण का सूत्रधार है।

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