10 रुपये में गरीबों का पेट भरने वाली सांझी रसोई बंद

महंगाई के इस दौर में गरीबों के लिए वरदान साबित हो रही सांझी रसोई अब बंद हो चुकी है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 02:03 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 03:51 PM (IST)
10 रुपये में गरीबों का पेट भरने वाली सांझी रसोई बंद
10 रुपये में गरीबों का पेट भरने वाली सांझी रसोई बंद

सुशील पांडे,नवांशहर: महंगाई के इस दौर में गरीबों के लिए वरदान साबित हो रही सांझी रसोई अब बंद हो चुकी है। पिछले वर्ष 23 मार्च को कोरोना के कारण लगे लाकडाउन के बाद इसे बंद कर दिया गया था। अब जब सभी व्यापारिक संस्थान खुल गए हैं, पर सांझी रसोई को नहीं खोला जा सका है। एनजीओ वतन के वारिस के सहयोग से रेडक्रास इसे चला रहा था और रोजाना इसमें करीब 350 लोग मात्र दस रुपये में पेट भर खाना खाते थे। वर्ष 2017 में नवांशहर की तत्कालीन डीसी सोनाली गिरि ने सांझी रसोई में लोगों को 10 रुपये में पेट भर खाना देने के लिए प्रयास किए थे। पहले इसे डीसी कांप्लेक्स में शुरू किया गया था। इसके बाद इसे जिला अस्पताल में शिफ्ट कर दिया। इसके बाद फिर से नए डीसी कांप्लेक्स में इसे शिफ्ट कर दिया गया। डीसी कांप्लेक्स के साथ सांझी रसोई के स्थान पर अब सरकारी कैंटीन को चलाई जा रही है। एक मई 2017 को प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में साझी रसोई की शुरुआत की थी। इसके तहत गरीबों को कैंटीन के अंदर बिठाकर खाना खिलाया जाएगा। सरकार ने ही इसमें 10 रुपये में जरूरतमंदों को भर पेट खाना देने की शुरुआत की थी। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह द्वारा पूरे प्रदेश में शुरू की गई साझी रसोई सरकार के ड्रीम प्रोजेक्टों में से यह एक था। सांझी रसोई को सोमवार से लेकर शुक्रवार तक खोला जाता था। इसमें सोमवार को रोटी, चावल व मूंग मसर की दाल, मंगलवार को रोटी, चावल, काले चने बुधवार को रोटी चावल ,आलु पकौड़े की सब्जी मिलती थी। इसके अलावा वीरवार को रोटी चावल, कढ़ी पकौड़ा व शुक्रवार को रोटी, चावल व साबुत मसर की दाल दी जाती थी। ज्यादा बोली के कारण किसी ने नहीं लिया ठेका प्रशासन इस रसोई की कैंटीन की अधिक बोली मांगने के कारण इसकी जुलाई 2018 में बोली फेल हो गई थी। उस समय एक लाख रुपये की बोली दी गई था। इस कारण किसी ने भी रसोई की बोली देने में दिलचस्पी नहीं दिखाई और बोली असफल रही थी। इससे पहले सिविल प्रशासन की तरफ से ठेकेदार को छह रुपए एक प्लेट रोटी के मिलते थे, जिसमें 10 रुपये वह खाना खाने वाले से चार्ज करते थे। इसके बाद रेड क्रास के सहयोग से एनजीओ वतन के वारिस द्वारा चलाया जाता था। सांझी रसोई चलाने वाले संचालक वतन के वारिस के अध्यक्ष के विदेश जाने के कारण इसे दोबारा शुरू नही किया जा सका है। जल्द ही सांझी रसोई को शुरू किया जाएगा, ताकि आम आदमी को राहत मिल सके।

डा.शेना अग्रवाल, डिप्टी कमिश्नर ।

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