टीबी मरीजों की पहचान को 20 अक्टूबर तक चलेगा सर्वे
एसएमओ बंगा डा. कविता भाटिया ने बताया कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीइपी) के तहत वर्ष 2025 तक देश से टीबी को खत्म करने का लक्ष्य रखा है जिसके मरीजों की पहचान बेहद जरूरी है।
संवाद सूत्र, बंगा: एसएमओ बंगा डा. कविता भाटिया ने बताया कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीइपी) के तहत वर्ष 2025 तक देश से टीबी को खत्म करने का लक्ष्य रखा है, जिसके मरीजों की पहचान बेहद जरूरी है। इसलिए बंगा के स्लम क्षेत्रों में टीबी रोगियों की पहचान के लिए एक सक्रिय केस फाइंडिग अभियान शुरू किया जा रहा है, जिसके तहत विभिन्न सर्वेक्षण दल टीबी रोगियों की पहचान करने के लिए घर-घर जाएंगे । सर्वे 20 अक्टूबर तक चलेगा। उन्होंने कहा कि टीबी एक खतरनाक बीमारी है। यदि इसका इलाज न किया जाए, तो यह मृत्यु का कारण बन सकती है। एक टीबी रोगी एक स्वस्थ रोगी को भी सांस द्वारा संक्रमित कर सकता है। इसलिए टीबी के मरीजों को अपना मुंह ढंककर रखना चाहिए। एक अनुमान के मुताबिक भारत में 26 लाख से अधिक सक्रिय टीबी रोगी हैं, जिनमें से हर साल पांच लाख टीबी रोगियों की मृत्यु हो जाती है। उन्होंने कहा कि दो हफ्ते से ज्यादा खांसी हो तो इसकी जांच कराएं। टीबी लाइलाज नहीं है। मरीजों को टीबी का इलाज जरूर पूरा करना चाहिए, नहीं तो यह भयानक मोड़ ले सकता है। उन्होंने कहा कि टीबी के खिलाफ लड़ाई में सबसे बड़ी बाधा सामाजिक भेदभाव है। इसके कारण मरीजों ने न केवल अपनी बीमारी के बारे में बताया, बल्कि दवा लेने से भी परहेज किया और बीमारी को छुपाकर रखा। इस मौके पर डा. जसविंद्र पाल, हरमेश कुमार, डा, तेजिद्रपाल सिंह व अन्य स्टाफ मौजूद थे।