नवांशहर में ओवरस्पीड और धुंध ने तीन साल में लील ली 305 लोगों की जान

पिछले तीन वर्षों में ही जिले में हुई विभिन्न दुर्घटनाओं में 300 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 12:41 AM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 12:41 AM (IST)
नवांशहर में ओवरस्पीड और धुंध ने तीन साल में लील ली 305 लोगों की जान
नवांशहर में ओवरस्पीड और धुंध ने तीन साल में लील ली 305 लोगों की जान

सुशील पांडे, नवांशहर : पिछले तीन वर्षों में ही जिले में हुई विभिन्न दुर्घटनाओं में 300 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। कोरोना के कारण बेशक मार्च से लेकर जून तक हादसों में कमी आई थी और मात्र पांच लोगों ने ही इन तीन माह में अपनी जान गंवाई लेकिन लाकडाउन खुलने के बाद हादसे फिर से बढ़ने लगे। अकेले अक्तूबर माह में ही 23 लोग सड़क हादसे में मारे गए। पिछले तीन वर्ष के आंकड़ों पर गौर करें तो 305 के करीब लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। पिछले 11 वर्षों की बात करें तो एक हजार से ज्यादा लोग जिले की सड़कों पर अपना दम तोड़ चुके हैं। औसतन हर वर्ष 100 से ज्यादा और हर माह आठ से नौ लोगों की जान सड़क दुर्घटना में जाती है। सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं नवंबर से लेकर जनवरी में धुंध का कारण ही होती हैं। हाईवे बनने के बाद से और बढ़ गए हादसे

लोगों को उम्मीद थी कि हाईवे का निर्माण होने के बाद सड़क हादसों में कमी आएगी क्योंकि सड़क डबल लेन हो जाएगी पर हाईवे बनने के बाद दुर्घटनाएं कम होने के बजाय बढ़ी हैं। जहां सिगल लेन होने के कारण वाहन चालक अपनी स्पीड पर कंट्रोल रखते थे वहीं अब हाईवे पर कारों की गति 120 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा होती है। तेज स्पीड के कारण मौतों का आंकड़ा बढ़ा है। वहीं कई मुख्य गांवों को हाईवे से पासिग नहीं मिली है। करीब पांच किलोमीटर पर पासिग है। जिस कारण गांव के लोग समय व तेल बचाने के रात व दिन को उल्टे रास्तों की ओर से आकर सड़क को दूसरी ओर क्रास करते हैं। जुलाई के बाद से होने वाले हादसों अधिकतर ऐसे ही हादसे हैं।

90 फीसदी हादसे कार व दोपहिया वाहनों के

पिछले तीन वर्षों में 90 फीसदी हादसे दोपहिया वाहनों व कारों के ही हुए हैं। इन हादसों में भी ट्रैक्टर व ट्राली का अहम योगदान रहा है जो कि ओवरस्पीड के कारण हुए हैं। दोपहिया वाहन चालकों को रात के अंधेरे में कई अज्ञात वाहन टक्कर मार कर चले जाते हैं। अब ज्यादातर दोपहिया वाहन चालक हाईवे पर बने पासिग को क्रास करते दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। तीखे मोड़ व प्रशासन की बेरुखी हादसों की वजह

जिले में दो नेशनल हाईवे चंडीगढ़-अमृतसर और बंगा-आनंदपुर साहिब हैं। 80 किलोमीटर चंडीगढ़-अमृतसर हाईवे सबसे व्यस्त रहता है। यह जिले के ठीक मध्य से निकलता है। हाईवे पर हादसों की बड़ी वजह कुछ प्वाइंट्स पर तीखे मोड़ या फिर आबादी वाले गांवों से आने वाले लिंक मार्गो का मिलना है।

-जिले में हर साल कुछ विशेष जगहों पर हादसों के कारण कई लोगों की मौत हो जाती है। इन विशेष स्थानों पर लगातार हादसे होते रहते हैं पर जिला व पुलिस प्रशासन की ओर से इन हादसों को रोकने के लिए कोई पुख्ता कदम नहीं उठाए जाते हैं।

-नवांशहर में बंगा से लेकर आसरों तक करीब 50 ब्लैक स्पाट थे पर मोहाली से लेकर फगवाड़ा तक के 25 ब्लैक स्पाट तो खत्म हो गए हैं पर अभी भी आसरों से लेकर काठगढ़ तक के क्षेत्र में दुर्घटनाओं की संख्या में कोई कमी नहीं आई है।

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-तीन साल में 300 से अधिक लोगों की मौत

-25 जगह रोपड़-फगवाड़ा रोड पर हर साल होते हैं 95 फीसद हादसे

-80 किलोमीटर लंबा है रोपड़-फगवाड़ा रोड

धुंध में यह रखें सावधानी

-- गाड़ी के लाइट व आपके देखने की क्षमता को ध्यान में रखकर स्पीड रखें।

-- कार को सड़क के दोनों ओर की मार्किंग को डिवाइड करने वाली मार्किंग लाइन से सटाकर चलाएं।

-- पार्किंग लाइट आन रखें। यह लगातार ब्लिक करते हैं जिससे पीछे या सामने से आ रहे वाहनों का पता चल जाता है।

-- दोपहिया वाहनों में भी इंडीकेटर व पार्किंग लाइट जलाकर चलें।

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