श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना कच्चा टोबा शिव मंदिर

नवांशहर के प्राचीन मंदिरों में शिवाला स्वरूप चंद शिव मंदिर (कच्चा टोबा मंदिर) में श्रद्दालु दूर दूर से माथा टेकने के लिए आते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 02:52 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 03:56 PM (IST)
श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना कच्चा टोबा शिव मंदिर
श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना कच्चा टोबा शिव मंदिर

जागरण संवाददाता,नवांशहर: नवांशहर के प्राचीन मंदिरों में शिवाला स्वरूप चंद शिव मंदिर (कच्चा टोबा मंदिर) में श्रद्दालु दूर दूर से माथा टेकने के लिए आते हैं। करीब 220 साल पहले शहर में उम्मट परिवार ने अपनी वंश वृद्धि के लिए भगवान के आगे उपासना की। इसके फलस्वरूप पुत्र धन की प्राप्ति हुई। परिवार वालों ने नवजन्मे बच्चे का नाम ज्योति रखा। वंश की वृद्धि के लिए उम्मट परिवार के सदस्यों की ओर से कुलाम रोड पर शिव मंदिर का निर्माण करवाया गया। मंदिर के निर्माण के लिए दूसरे राज्यों से माहिर कारीगरों को बुलाया गया। मंदिर में सबसे पहले शिवलिग की स्थापना की गई। मंदिर का इतिहास बताया जाता है कि 1984 में एक ज्योति आकाश से आई और शिवलिग में समा गई। जो शिवलिग मंदिर में स्थापित है, उसका आधा रंग लाल है, जिसे अ‌र्द्ध नागेश्वर के रूप में माना जाता है। 1987 में नवांशहर की शिव भक्त लड़की ने डोली पर जाने से इसलिए मना कर दिया था कि उसकी इच्छा थी कि वह भगवान शिव के दर्शन करे। वो मंदिर में जाकर बैठ गई । कहा जाता है कि लड़की की श्रद्दा व भक्ति को देखर भगवान शिव ने दर्शन दिए थे। उसके बाद से यह मंदिर अगाध आस्था का केंद्र बना हुआ है।

मंदिर में दूर दूर से लोग माथा टेकने के लिए आते हैं। मान्यता है कि अगर कोई लगातार 41 दिनों तक यहां पर जोत जलाने सहित श्रद्धाभाव से शिवलिग पर जल चढ़ाता है, तो उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। सावन में तो यहां पर श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ लगी रहती है।

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