कृष्ण-सुदामा व परीक्षित मोक्ष कथा का प्रसंग सुनाया

कच्चा टोबा शिव मंदिर में गो सेवा मिशन के तत्वाधान धार्मिक कार्यक्रम करवाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 04:18 PM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 06:03 PM (IST)
कृष्ण-सुदामा व परीक्षित मोक्ष कथा का प्रसंग सुनाया
कृष्ण-सुदामा व परीक्षित मोक्ष कथा का प्रसंग सुनाया

संवाद सूत्र, नवांशहर : कच्चा टोबा शिव मंदिर में गो सेवा मिशन के तत्वाधान में आयोजित की जा रही श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन श्रीमद्भागवत का रसपान पाने के लिए भक्तों का सैलाब कथा स्थल पर उमड़ पड़ा। कथावाचक अतुल कृष्ण शास्त्री महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा का समापन करते हुए कई कथाओं का भक्तों को श्रवण करवाया, जिसमें प्रभु कृष्ण के 16108 शादियों के प्रसंग के साथ, सुदामा प्रसंग और परीक्षित मोक्ष की कथाएं सुनाई। उन्होंने बताया सुदामा जी के पास कृष्ण नाम का धन था। संसार की दृष्टि में गरीब तो थे, लेकिन दरिद्र नहीं थे। अपने जीवन में किसी से कुछ मांगा नहीं। पत्नी सुशीला के बार-बार कहने पर सुदामा अपने मित्र कृष्ण से मिलने गए। भगवान के पास जाकर भी कुछ नहीं मांगा। भगवान अपने स्तर से सब कुछ दे देते हैं। सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। इसके उपरांत दत्तात्रेय जी के चौबीस गुरुओं के बारे में बताया।

कथा समापन के दौरान अतुल कृष्ण शास्त्री महाराज ने भक्तों को भागवत को अपने जीवन में उतारने की बात कही, जिससे सभी लोग धर्म की ओर अग्रसर हो। साथ ही भक्तों को बताया कि श्रीमद्भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है, तो वहीं इसे करवाने वाले भी पुण्य के भागी होते है।

गो सेवा मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णानंद महाराज ने टेलीफोन के माध्यम से सभी को आशीर्वाद दिया और मंदिर प्रबंधक कमेटी का धन्यवाद किया। अंत में कथा व्यास व उनके पूरे परिकर को शिवाला सरुप चंद ट्रस्ट, श्यामा श्याम संकीर्तन मंडल व राधा रमण संकीर्तन मंडल की ओर से सम्मानित किया गया। कथा के समापन के बाद भंडारे का आयोजन किया गया। इस कथा में कौंसिल प्रधान सचिन दीवान, अमन शर्मा, राकेश उम्मट, प्रेम कुमार, राकेश तनेजा, राहुल, करण, विकास दुआ, विनोद शर्मा, अंकुश निझावन, जगमोहन नंदा, रितीश बजाज, हरी ओम शर्मा, परविदर बत्रा, राकेश सोनी, प्रेम शर्मा के साथ-साथ काफी रसिकजन मौजूद रहे।

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