पेट्रोल व डीजल की कीमतों में उछाल, ट्रांसपोटर्स बेहाल
मोहम्मद शाहिद, नवांशहर रोजाना पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ रही तेजी के कारण जनता बेहाल हो चुकी
मोहम्मद शाहिद, नवांशहर
रोजाना पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ रही तेजी के कारण जनता बेहाल हो चुकी है और सरकार भी बेबस नजर आ रही है। आलम यह है कि डीजल व पेट्रोल पर सरकार का कोई नियंत्रण तक नहीं है, लेकिन महंगाई रोजाना बढ़ रही है।
इस संबंधी अकाली नेता कुलजीत ¨सह लक्की का कहना है कि विश्व में तेल की कीमतों ऐसे ही बढ़ती रही तो ट्रांसपोर्ट का काम बिल्कुल ही बंद हो जाएगा। सभी को इस पर बैठकर ¨चतन करना चाहिए। देश में बढ़ती महंगाई का कारण तेल पदार्थों के रेट बढ़ने से ही है और राज्य सरकार अपने-अपने राज्यों में तेल पदार्थों पर टैक्स कम करें और राज्य को बढ़ रही महंगाई से निजात दिलाई जाए।
अकाली नेता शंकर दुग्गल ने पंजाब सरकार पर आरोप लगाया कि बढ़ रही मार्केट में दामों को लेकर केंद्र सरकार तो काफी गंभीर है, लेकिन पंजाब सरकार जनता से देश में सबसे अधिक पेट्रोल व डीजल पर टैक्स वसूल रही है। पंजाब सरकार को चाहिए कि तेल पदार्थों पर अपना टैक्स कम कर जनता को राहत दिलाए। अगर पंजाब सरकार अपना टैक्स कम नहीं करती तो पंजाब में किसानों को बहुत नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। अगर जनता को राहत दिलानी है तो पंजाब सरकार पेट्रोलियम पदार्थ पर अपना टैक्स कम करें।
डॉ. मंगत ने कहा कि सरकार कोई भी रहे, महंगाई पर अंकुश लगाने पर फेल होती नजर आ रही है। हर रोज बढ़ रहे पेट्रोलियम पदार्थों पर दामों को लेकर केंद्र सरकार फेल हो चुकी है और ऐसा मालूम होता है कि तेल कंपनियों के आगे केंद्र सरकार नतमस्तक हो चुकी है और जनता को लूटने के लिए खुली छूट दे रखी है। जब चाहे जैसे चाहे तेल कंपनियां अपना रेट बढ़ाने पर अपना हक समझती है। अगर केंद्र सरकार ने तेल के दामों पर अंकुश नहीं लगाया तो वह दिन दूर नहीं जब देश में इमरजेंसी जैसे हालात पैदा होंगे और इंसान एक दूसरे को लूटने पर मजबूर हो जाएगा।
ट्रांसपोर्टर जीता ने बताया कि तेल पदार्थों के हर रोज रेट बढ़ने पर सबसे ज्यादा अगर नुकसान होता है तो वह ट्रांसपोर्टर का ही होता है। क्योंकि किराया ग्राहक से जो करते हैं ग्राहक वही भाड़ा देता है, लेकिन तेल का रेट शाम को कुछ और होता है और सुबह होते ही कुछ और हो जाता है। ऐसे ही तेल के अगर जो मूल्य बढ़ता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हम अपनी गाड़ियों को खड़ा करने पर मजबूर हो जाएंगे और फिर व्यापारियों का माल उनके गोदामों पर ही सड़ने लगेगा। जब खेतों में बिजली की सुविधा नहीं है वहां पर फसल उगाने के लिए एकमात्र डीजल ही साधन होता है जो के फसल से भी ज्यादा तेल पर खर्च आने से किसान बेहाल होता है। सरकार द्वारा अगर तेल पदार्थों पर अंकुश नहीं लगाया तो ट्रांसपोर्टर्स कारोबारी दोनों तबाह और बर्बाद की कगार पर हैं।