पीएचसी जाडला में एसएमओ ने गर्भवती औरतों को किया जागरूक
सिविल सर्जन डा. गुरिदरबीर कौर के दिशा निर्देशों के अंतर्गत सीनियर मेडिकल अफसर डा. गीतांजली सिंह की अगुवाई में पीएचसी जाडला में विश्व ब्रैस्टफीडिग सप्ताह के तहत गर्भवती औरतों व नवजात शिशुओं की माताओं को मां के दूध की महत्ता संबंधी जानकारी प्रदान करने के लिए प्रोग्राम का आयोजन करवाया गया।
जागरण संवाददाता, नवांशहर:
सिविल सर्जन डा. गुरिदरबीर कौर के दिशा निर्देशों के अंतर्गत सीनियर मेडिकल अफसर डा. गीतांजली सिंह की अगुवाई में पीएचसी जाडला में विश्व ब्रैस्टफीडिग सप्ताह के तहत गर्भवती औरतों व नवजात शिशुओं की माताओं को मां के दूध की महत्ता संबंधी जानकारी प्रदान करने के लिए प्रोग्राम का आयोजन करवाया गया। गौर हो कि सेहत विभाग की तरफ से हर साल एक से सात अगस्त तक विश्व ब्रैस्टफीडिग सप्ताह मनाया जाता है। इस साल विश्व ब्रैस्टफीडिग सप्ताह का विषय ब्रैस्टफीडिग को सुरक्षित करना एक सांझी जिम्मेदारी है।
डा गीतांजली सिंह ने विश्व ब्रैस्टफीडिग सप्ताह को समर्पित अपने संदेश में कहा कि मां का पहला दूध बच्चों के लिए एक किस्म का पहला टीका होता है जो उसे कई बीमारियों से बचाता है। इसको कोलैस्ट्रोम कहा जाता है, जो बच्चे को बीमारियों के साथ लड़ने की शक्ति देता है और बच्चे को तंदरुस्त रखता है।
डा. सिंह ने कहा कि प्रसूति के बाद छह महीने तक बच्चों को केवल मां का दूध ही दिया जाना चाहिए। मां का दूध अमृत के समान होता है। यह कुदरत की ओर से नवजात बच्चों के लिए एक अनमोल तोहफा है। उन्होंने कहा कि मां का दूध बच्चों को पिलाना माताओं के लिए भी लाभदायक होता है। स्तनपान कराने वाली माताओं में छाती के कैंसर होने का खतरा कम रहता है। इस मौके पर सेहत विभाग के कई अधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे। बच्चे के मानसिक व शारीरिक विकास के लिए जरूरी है मां का दूध : डा. मान
संवाद सहयोगी, बलाचौर:
एसएमओ बलाचौर डा. कुलविदर मान के नेतृत्व में विभिन्न स्थानों पर मां के दूध के महत्व पर जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए गए है। इस अवसर पर गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करवाने वाली माताओं को मां के दूध के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इस संबंध में जानकारी देते हुए एसएमओ डा. कुलविदर मान ने कहा कि कि एक से सात अगस्त तक सेहत विभाग द्वारा ब्रैस्टफिडिंग सप्ताह मनाया जा रहा है। जिस दौरान स्तनपान करवाने वाली माताओं को इसके बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि मां का दूध बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। शिशुओं को प्रथम दो वर्षो तक विशेष रूप से स्तनपान कराना चाहिए। जिससे वे स्वस्थ और सतर्क रह सकें। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों को केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए उन्हें शहद या पानी नहीं देना चाहिए। डा. मान ने कहा कि बच्चे को छह महीने के बाद ही आहार दिया जाना चाहिए। साथ में दो साल तक स्तनपान करवाना भी फायदेमंद होता है। स्तनपान से न केवल बच्चे को बल्कि मां को भी कई फायदे होते हैं। उन्होंने कहा कि स्तनपान कराने वाली माताओं में ब्रैस्ट कैंसर होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।