सिविल में डाक्टरों की हड़ताल के दौरान मरीज दे रहे तीसरी लहर को न्यौता
छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ सरकारी डाक्टरों की हड़ताल लगातार जारी है।
जागरण संवाददाता,नवांशहर:
छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ सरकारी डाक्टरों की हड़ताल लगातार जारी है। सरकारी ओपीडी को बेशक बंद कर दिया गया है। लेकिन हड़ताली डाक्टारों ने मरीजों की परेशानी को देखते हुए अपने स्तर पर सिविल अस्पताल परिसर में ही पैरलल ओपीडी का संचालन लगातार जारी रखा हुआ है। हड़ताल के कारण सिविल में आने वाले मरीजों की संख्या में भी कमी आई है। पहले जहां रोजाना लगभग 300-400 मरीज चैकअप के लिए आते थे। वहीं अब संख्या सैकड़ों में सिमट कर रह गई है। लेकिन मरीजों की संख्या में कमी होने से सिविल में अफरातफरी में इजाफा हो गया है। जांच के लिए आने वाले मरीजों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। मई व जून माह में कोरोना की दूसरी लहर की मार झेल चुके जिले में इस तरह की लापरवाही सब पर भारी पड़ सकती है। पिछले एक सप्ताह से जिले में कोरोना के मात्र तीन केस ही आए हैं। इस दौरान किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई। जिसके कारण जिले में प्रशासन के साथ-साथ जनता ने भी राहत की सांस ली थी। लेकिन ऐसे में जब कोरोना जिले में अपनी अंतिम सांसे गिन रहा हो तब लोगों का कोरोना प्रोटोकाल की अनदेखी करना तीसरे लहर को न्यौता देता नजर आ रहा है।
---शुक्रवार को भी रही डाक्टरों की हड़ताल
छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर डाक्टरों की ओर से लगातार धरना दिया जा रहा है। शुक्रवार को भी डाक्टरों ने हड़ताल कर प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
इस अवसर पर कई स्थानों पर मेडिकल अफसर तथा सीनियर मेडिकल अफसर रोष धरने में शामिल हुए। सिविल अस्पताल नवांशहर के डा. सतविदर सिंह ने कहा कि अगर सरकार अपना यह आदेश वापस नहीं लेती है, तो इसका बड़ा खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी। इस संघर्ष को और भी तेज कर दिया गया है। अब डाक्टर प्रतिदिन ही हड़ताल करेंगे। कोविड, वैक्सीन व इमरजेंसी सेवाओं के अलावा अन्य सेवाओं को बंद रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि अभी तक पंजाब सरकार अपने सरकारी डाक्टरों को प्राथमिक वेतन के 25 प्रतिशत के बराबर एनपीए देती आ रही है। जिसे बढ़ाकर 33 प्रतिशत किया जाना चाहिए। साथ ही एनपीए को पहले की तरह प्रारंभिक वेतन का हिस्सा बनाया जाए। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डाक्टर पंजाब के छठे वेतन आयोग की उस सिफारिश का विरोध कर रहे हैं, जिसके जरिए गैर-प्रैक्टिस भत्ते को मूल वेतन से जोड़ दिया गया है।