हड़ताली डाक्टरों की मांग पर सरकार खामोश, मरीज परेशान

जागरण संवाददातानवांशहर पिछले तेरह दिनों से छठे पे-कमिशन की सिफारिशों के विरोध में हड़ताल कर रहे डाक्टरों के कारण सिविल में मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 10:30 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 10:30 PM (IST)
हड़ताली डाक्टरों की मांग पर सरकार खामोश, मरीज परेशान
हड़ताली डाक्टरों की मांग पर सरकार खामोश, मरीज परेशान

जागरण संवाददाता,नवांशहर:

पिछले तेरह दिनों से छठे पे-कमिशन की सिफारिशों के विरोध में हड़ताल कर रहे डाक्टरों के कारण अस्पताल में ओपीडी सेवा बंद पड़ी हुई है। जिसके कारण लोग परेशान हो रहे हैं। शनिवार को भी डाक्टरों ने अस्पताल आने वाले मरीजों को देखने से इंकार कर दिया। डाक्टरों का साफ कहना है कि जब तक प्रदेश सरकार उनकी मांगों को नही मानती तब तक ओपीडी सेवा को पक्के तौर पर बंद ही रखा जाएगा। वहीं अस्पताल में ओपीडी सेवा बंद होने से कई मरीजों को बिना इलाज ही वापस जाना पड़ा। बलाचौर से इलाज के लिए आए बलदेव राज ने बताया कि पिछले कई दिनों से उनका इलाज सिविल अस्पताल नवांशहर में चल रहा है। लेकिन अब डाक्टर ने जांच करने से मना कर दिया है। जिसके कारण उन्हें अब अपनी जांच किसी निजी अस्पताल में करानी होगी। वहीं गांव चक्क फुल्लु की जसविदर कौर ने कहा कि उसके पित्त में पत्थरी है। पिछले कई दिनों से दर्द के कारण उसका बुरा हाल है। वे इस उम्मीद में अस्पताल आई थी कि डाक्टर को चेक करवाकर दवाई ले लेगी पर हड़ताल के कारण उनका इलाज नहीं हो सका। मजबूर होकर अब उन्हें किसी निजी डाक्टर से अपना इलाज कराना होगा। बाक्स के लिए- शनिवार को भी हड़ताल पर रहे डाक्टर

डाक्टरों की ओर से केवल इमरजेंसी,कोरोना व वैक्सीनेशन के कार्यों को ही चालू रखा गया है। अस्पताल में आने वाले मरीजों की जांच के साथ-साथ अन्य कार्यो को भी बंद कर दिया गया है। इस संबंध में डाक्टर सतविदर पाल ने बताया कि शुक्रवार को डाक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ चंडीगढ़ में प्रदर्शन किया था। इसके बावजूद प्रदेश सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर होती नजर नहीं आ रही है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि प्रदेश सरकार ने डाक्टरों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो संघर्ष को और तेज कर दिया जाएगा।

डाक्टरों की मांगों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार सरकारी डाक्टरों को एनपीए के 25 प्रतिशत के बराबर प्राथमिक वेतन देती आ रही है। जिसे बढ़ाकर 33 प्रतिशत करने की मांग की जा रही है। साथ ही उन्होंने एनपीए को पहले की भांति प्रारंभिक वेतन का हिस्सा बनाने की भी मांग की है।

इस मौके पर डा. निरंजन पाल, डा. सतविदर पाल सिंह, डा. प्रदीप, डा. रमनदीप कुमार, डा. स्वर्ण जीत कलेर, डा. वरिदरपाल, डा. हरतेश पाहवा, डा. नवनीत कौर, डा. अमित कुमार, डा. योगिता, डा. पूनम दीप, डा. सुनीता रानी, डा. गुरपिदर कौर, डा. मोनिका कपूर, डा. अजय बसरा, डा. निर्मल कुमार, डा. नीना शांत, डा. अवतार सिंह, डा. गुरपाल कटारिया, डा. हरजिदर कुमार, डा. गुरकीरत सिंह, डा. विजय कुमार, डा. प्रदीप अरोड़ा, डा. राजिदर मागा, डा. शिगारा सिंह आदि मौजूद रहे।

chat bot
आपका साथी