पांच साल से लड़ाई जारी, पर नहीं मिला शहीद का दर्जा
जबर विरुद्ध एक्शन एंड वेलफेयर कमेटी पिछले पांच सालों से शहीद भगत सिंह को शहीद का दर्जा दिलवाने के लिए लगातार संघर्ष कर रही है पर आज तक उनका संघर्ष कामयाब नहीं हो पाया है।
जागरण टीम, नवांशहर: जबर विरुद्ध एक्शन एंड वेलफेयर कमेटी पिछले पांच सालों से शहीद भगत सिंह को शहीद का दर्जा दिलवाने के लिए लगातार संघर्ष कर रही है, पर आज तक उनका संघर्ष कामयाब नहीं हो पाया है। कमेटी ने शहीद के स्मारक स्थल पर 2018 में लगातार कई दिनों तक भूख हड़ताल की थी, पर फिर भी उनकी मांग को पूरा नहीं किया गया। कमेटी के प्रधान जसवंत सिंह भारटा ने कहा कि चार साल पहले अमित शाह से जब वो मिले, तो उन्होंने कहा था कि प्रदेश सरकार को इसके लिए सिफारिश करनी चाहिए, लेकिन अभी तक शहीद का दर्जा नहीं मिल पाया।
शहीद भगत सिंह के प्रपौत्र यदवेंद्र सिंह ने अप्रैल 2013 में आरटीआइ के जरिए भारत के गृह मंत्रालय से पूछा था कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को कब शहीद का दर्जा दिया गया था। और अगर ऐसा अब तक नहीं हुआ, तो सरकार उन्हें यह दर्जा देने के लिए क्या कदम उठा रही है। मई 2013 में भारत के गृह मंत्रालय के लोक सूचना अधिकारी श्यामलाल मोहन ने जवाब दिया कि मंत्रालय के पास यह बताने वाला कोई रिकार्ड नहीं कि इन तीनों क्रांतिकारियों को कब शहीद का दर्जा दिया गया।
जिला शहीद भगत सिंह नगर की जबर विरुद्ध एक्शन एंड वेलफेयर कमेटी के सदस्यों ने भगत सिंह और उनके साथियों को शहीद का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरिदर मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में धरना लगाकर गृहमंत्री अमित शाह से शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को शहीद का दर्जा दिलाने व सरकारी छुट्टी की घोषणा करने की मांग की थी। कमेटी की ने इस मांग को लेकर डिप्टी कमिश्नर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपे थे। कमेटी के सदस्यों ने गृहमंत्री अमित शाह से मिलने की मांग करते हुए कहा कि वह शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को शहीद का दर्जा दिलाने व शहीदी दिवस पर सरकारी छुट्टी की घोषणा करने संबंधी पहलकदमी करें। उन्होंने कहा कि इन शहीदों ने देश को आजाद करवाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, इसलिए उनकी उनकी मांग को पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि वे इस मांग को लेकर शहर-शहर घूम कर प्रचार कर रहे हैं। हर पार्टी के नेता को मिल रहे हैं और जब तक सरकार उनकी मांग को मानेगी नहीं, उनका संघर्ष ऐसे ही जारी रहेगा। खटकड़कलां में म्यूजियम संचालक जोधपाल सिंह ने बताया कि छुट्टी वाले दिनों में यहां आने वालों की संख्या बढ़ जाती है। शहीद के शहीदी दिवस, स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस, शहीद के जन्म दिवस पर लोगों की आमद आम दिनों के मुकाबले अधिक होती है।