कोरोना का खौफ : सिविल अस्पताल में इलाज करवाने नहीं जा रहे हैं डेंगू के मरीज

जासं नवांशहर जिले में अक्टूबर माह में डेंगू मरीजों की संख्या 300 के करीब पहुंच गई है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 06:04 PM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 05:04 AM (IST)
कोरोना का खौफ : सिविल अस्पताल में इलाज करवाने नहीं जा रहे हैं डेंगू के मरीज
कोरोना का खौफ : सिविल अस्पताल में इलाज करवाने नहीं जा रहे हैं डेंगू के मरीज

जासं, नवांशहर : जिले में अक्टूबर माह में डेंगू मरीजों की संख्या 300 के करीब पहुंच गई है। इनमें से 80 मरीज जिले के सरकारी अस्पतालों से इलाज करवा रहे हैं तो बाकी के मरीज निजी अस्पतालों से ही इलाज करवाने में अपनी भलाई समझ रहे हैं। लोगों को डर है कि कहीं डेंगू की चपेट में आने के बाद अगर वह सिविल अस्पताल में इलाज करवाने गए तो उन्हें कोरोना न हो जाए। इसलिए कई मरीज अपने घरों में ही डाक्टरों से इलाज करवा रहे हैं। वहीं डेंगू की वजह से लोगों के सेल यानि प्लेटलेट्स कम हो रहे हैं। ब्लड डोनर्स कौंसिल से हर रोज औसतन 10 लोग प्लेटलेट्स ले जा रहे हैं। नवांशहर शहर में 25 केस

जिला एपिडिमोलाजिस्ट डा. जगदीप ने बताया कि सेहत विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जिले में सरकारी अस्पताल में अब तक डेंगू के 80 मरीज हैं। वहीं, निजी अस्पतालों में 200 से ज्यादा लोग डेंगू का इलाज करवा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में आए 80 केसों में से 25 केस नवांशहर के हैं। 20 केस बलाचौर के, 10 केस बंगा के ,10 केस राहों के औप बाकि केस अन्य क्षेत्र के हैं।

रोजाना दस लोगों को दिए जा रहे प्लेटलेट्स

ब्लड डोनर्स कौंसिल के प्रधान पुष्प राज कालिया ने बताया एक दिन में औसतन आठ से दस लोगों को प्लेटलेट्स दिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 50 हजार से कम प्लेटलेट्स होने पर डाक्टर इन्हें प्लेटलेट्स चढ़ाने की सलाह दे देते हैं। पिछले साल ही स्थापित हुए थी ब्लड सेल सेप्रेटर यूनिट नवांशहर के ब्लड बैंक में पिछले साल ही ब्लड सेल सेप्रेटर यूनिट को स्थापित किया था। इसका फायदा जिले व आसपास के जिले के लोगों को मिलता है। इससे पहले डेंगू के मरीज को प्लेटलेट्स चढ़वाने के लिए चंडीगढ़ या लुधियाना के अस्पतालों में दाखिल होना पड़ता था। ब्लड सेल सेप्रेटर यूनिट यानि (कंपोनेंट एंड ए-फोरेसेंज यूनिट) के जरिए खून के एक यूनिट से प्लाजमा, प्लेटलेट्स, पैकड रेड ब्लड सेल, प्लेटलेट्स कंस्ट्रक्ट (गाढ़ा लाल खून) अलग किया जाता है। इससे एक यूनिट से चार अलग-अलग तरह के कंपोनेंट निकाले जा सकते हैं। जिससे एक यूनिट से चार बीमारियों से पीड़ित मरीजों का इलाज होता है। पिछले साल डेंगू के आए थे 150 केस

पिछले साल डेंगू के 150 केस आए थे। वहीं 2018 में डेंगू के मरीजों की संख्या 432 थी। वर्ष 2017 में डेंगू के मरीजों की संख्या 250 ही थी और इससे पिछले सालों में भी डेंगू के मरीजों की संख्या कभी 400 पार नहीं हुई थी। अक्टूबर से लेकर नवंबर तक डेंगू के केसों में बढ़ोतरी हो सकती है। अभी तक डेंगू के 300 से अधिक मरीज आ चुके हैं लेकिन आधिकारिक तौर पर 80 केस ही है। जिले में केस - 280

सरकारी अस्पताल में इलाज करवा रहे - 80 मरीज

निजी अस्पतालों में - 200 सरकारी अस्पतालों में इलाज करवाने वाले मरीज नवांशहर -25 केस

बलाचौर- 20 केस

बंगा - 10 केस

राहों - 10 केस

अन्य क्षेत्रों से- 15

2020 में केस (अक्टूबर तक ) - 280

2019 में केस - 150

2018 में -432

2017- 250

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